
रायपुर / दिल्ली : – छत्तीसगढ़ में प्रदेश कांग्रेस की बागडोर संभाल चुके वरिष्ठ नेता रविंद्र चौबे की एक टिपण्णी से प्रदेश कांग्रेस कमेटी में बवाल मच गया है। इस वरिष्ठ नेता का वक्तव्य सुनते ही पार्टी के आम कार्यकर्ताओं के बीच खलबली मच गई है। रविंद्र चौबे के बोल सुनते ही भरी बैठक में हंगामा खड़ा हो गया। कई कार्यकर्त्ता आपस में भिड़ गए, नौबत मारपीट तक जा पहुँचती, इससे पूर्व मौंके की नज़ाकत को भांपते हुए वरिष्ठ नेता चरणदास महंत ने हस्तक्षेप कर भड़के कार्यकर्ताओं को शांत किया। उन्होंने जैसे तैसे बैठक निपटाने में जरा भी देरी नहीं की। हालांकि तब तक इस वरिष्ठ नेता के सब्र का बांध भी टूट चूका था। उन्होंने ने भी पार्टी की नाजुक स्तिथि पर तंज कसते हुए हक़ीक़त बयां कर दी, उन्होंने साफ़ किया कि अब पार्टी में चमचे बना देते हैं, किसी को CM, किसी को PCC चीफ। इस अनुभवी नेता ने जमीनी कार्यकर्ताओं और नेताओं को दरकिनार किये जाने पर कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए पार्टी के कर्ता – धर्ताओं को आईना भी दिखाया। यह सब कुछ हुआ रायपुर में प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय ”राजीव भवन” में।

छत्तीसगढ़ में पूर्व मंत्री रविंद्र चौबे को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने की मांग पार्टी के ही जिम्मेदार कई पदाधिकारियों ने आलाकमान से की है। दरअसल, रायपुर के राजीव भवन में बुधवार को एक बैठक में कई जिला अध्यक्ष आपस में भीड़ गए। बस्तर के वरिष्ठ नेता और जगदलपुर जिलाध्यक्ष सुशील मौर्य ने चौबे के बयान को अनुशासनहीनता बताते हुए अपनी आपत्ति जताई। जबकि, दुर्ग ग्रामीण जिला अध्यक्ष राकेश ठाकुर ने दलील दी कि वरिष्ठ नेता चौबे ने पूर्व मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर उनकी तारीफ की थी। उन्होंने पलटवार करते हुए दावा किया कि, इसमें गलत कुछ नहीं है, जन्मदिन पर इस तरह की बातें कही जाती हैं, चौबे अपने बयान पर सफाई भी दे चुके हैं। इस दौरान बैठक में हंगामा खड़ा हो गया।

जानकारी के मुताबिक रविंद्र चौबे ने अपने भाषण की सधी हुई शुरुआत की लेकिन बोलते ही बोलते अचानक उनके सुर बदल गए। चौबे ने अपने वक्तव्य में दावा किया था कि प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व अब भूपेश बघेल को करना चाहिए। इस वक्तव्य को सुनते ही मौजूदा पीसीसी प्रमुख दीपक बैज ने बघेल को महाज्ञानी बताने में देरी नहीं की थी। दोनों नेताओं के रुख से नाराज आम कार्यकर्ताओं ने बैठक में फ़ौरन बखेड़ा खड़ा कर दिया। हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री रविंद्र चौबे ने साफ कहा है कि, मीडिया पर चल रही बातें भ्रामक और तथ्यहीन हैं। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में रविंद्र चौबे के खिलाफ सर्वसम्मति से अनुशासनात्मक कार्रवाई करने सिफारिश किये जाने की जानकारी सामने आई है। उनके खिलाफ अनुशासनहीनता के आरोपों को लेकर जिला अध्यक्षों ने कहा कि, यह देखा गया है कि जब छोटे कार्यकर्ता कुछ गलती करते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई कर दी जाती है। लेकिन बड़े नेताओं के मामले में उदासीनता बरती जाती है। बैठक में पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा के मामले में भी अब तक कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं करने को लेकर सवाल उठाए गए।

छत्तीसगढ़ की राजनीति में रविंद्र चौबे कांग्रेस का एक बड़ा चेहरा है। वे कई महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभाल चुके है। उन्होंने दुर्ग के साजा विधानसभा सीट से कई मौंके पर जीत – हार का स्वाद चखा है। नेता प्रतिपक्ष रह चुके रविंद्र चौबे की गिनती संयुक्त मध्यप्रदेश के दौर से पार्टी के एक कद्दावर नेता के रूप में होती है। विभिन्न विभागों के मंत्री के रूप में उनके कार्य यादगार बताये जाते है। कांग्रेस के भावी मुख्यमंत्री के रूप में भी चौबे को आँका जाता है। ऐसे में उनके बयानों के मायने भी तलाशे जा रहे है। राजनैतिक गलियारों में चर्चा आम है कि घोटालों से बचने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बाप – बेटे ने सत्ता का सौदा किया था। यह भी कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने नाटकीय तरीके से बीजेपी को सत्ता की चाबी सौंप दी थी। हालांकि बीजेपी के सत्ता में आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री के एकलौते पुत्र चैतन्य बघेल जेल की हवा खा रहे है, जबकि आईटी – ईडी, ACB – EOW का शिकंजा करप्शन बघेल पर लगातार कसता जा रहा है।