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6 हज़ार करोड़ के महादेव ऐप घोटाले की सीबीआई जांच के आसार, पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल समेत आधा दर्जन आईपीएस अधिकारियों ने सटोरियों से कमाए अरबो रुपये, EOW और ED की जांच को प्रभावित करने से भी नहीं चुके दागी अफसर, मोदी गारंटी के तहत अब होगा न्याय….  

रायपुर: छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े घोटालों में से एक महादेव ऐप सट्टा कारोबार की जांच अब सीबीआई के हवाले किये जाने के आसार बढ़ गए है। माना जा रहा है कि जल्द ही राज्य सरकार इस अंतर्राष्ट्रीय सट्टा कारोबार की सीबीआई जांच की सिफारिश कर सकती है। बताते है कि गृह मंत्री अमित शाह के छत्तीसगढ़ दौरे से पूर्व राज्य सरकार इस बारे में कोई बड़ा फैसला ले सकती है। दुबई से संचालित इस सट्टा कारोबार का मुख्य भारतीय ठिकाना पूर्व मुख्यमंत्री बघेल का गृह क्षेत्र भिलाई, पाटन और दुर्ग बताया जाता है। जबकि तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल के निर्देश पर आधा दर्जन आईपीएस अधिकारी इसके संचालन में प्रोटेक्शन मनी के रूप में रोजाना लाखों का वारा-न्यारा कर रहे थे।

इस इलाके में जनता के भारी दबाव के बाद स्थानीय पुलिस के तत्कालीन अधिकारियों ने पहली बार सट्टा कारोबारियों के खिलाफ जुआ एक्ट में कार्यवाही कर सटोरियों और इस कारोबार को क़ानूनी संरक्षण प्रदान किया था। इस कार्यवाही के दौरान मगरमच्छ रुपी बड़े सट्टा कारोबारियों को छोड़ सतही लोगों को पुलिस ने आरोपी बना कर थाने से ही जमानत दे दी थी। 

जानकारी के मुताबिक सट्टा कारोबार का संचालन पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल की सरपरस्ती में लगभग आधा दर्जन आईपीएस अधिकारी संचालित कर रहे थे। इनमे प्रमुख रूप से 2001 बैच के IPS क्रमश: आनंद छाबड़ा, 2005 बैच के IG शेख आरिफ, 2004 बैच के IG अजय यादव और रायपुर के तत्कालीन एसएसपी 2007 बैच के प्रशांत अग्रवाल का नाम शामिल है। ED ने इन दागी अफसरों की कारगुजारियों से राज्य के EOW-ACB को अवगत भी कराया था। हालांकि एजेंसियों में लगाई गई सेंध के बाद दागी आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ EOW में नामजद FIR नहीं हो पाई थी।

बताते है कि आईपीएस लॉबी के सक्रिय होने से दागी अफसरों को वैधानिक कार्यवाही से बच निकलने का मौका मिल गया था। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री समेत दर्जनभर आरोपियों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज कर EOW ने मामले की विवेचना शुरू की थी। छत्तीसगढ़ के अलावा महादेव ऐप घोटाला महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश समेत कई राज्यों में अंजाम दिया गया था।

राज्य के अलग-अलग थानों में इस मामले को लेकर 70 से ज्यादा FIR दर्ज है। स्थानीय पुलिस, EOW और ED अलग-अलग एंगल से महादेव ऐप घोटाले की जाँच में जुटी है। ED के हवाले सिर्फ मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले विवेचना में शामिल किये गए है। जबकि अन्य आपराधिक मामलों को लेकर वैधानिक कार्यवाही के मामले राज्य सरकार की विभिन्न एजेंसियों के पास अभी भी लंबित बताये जाते है। बताया जाता है कि प्रभावशील दागी आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही से लेकर अन्य मामलों को रफा-दफा करने के प्रयास भी जोरो पर है।

ED ने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के रिश्तेदार और तत्कालीन सरकारी सलाहकार विनोद वर्मा और तत्कालीन मुख्यमंत्री के OSD मनीष बंछोर एवं आशीष वर्मा के ठिकानों पर दबिश दी थी। विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के करीबी ड्राइवर बप्पी से 5 करोड़ से ज्यादा की रकम भी ED ने जब्त की थी। यही नहीं महादेव ऐप के एक प्रमोटर ने दुबई से हवाला के जरिये 508 करोड़ रुपये पूर्व मुख्यमंत्री बघेल को सौंपे जाने का सनसनीखेज आरोप भी लगाया था।

इस मामले में अदालत में पेश ED की चार्जशीट में पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल का नाम शामिल कर उनके आपराधिक कृत्यों का हवाला भी दिया गया था। महादेव ऐप घोटाले और सटोरियों को संरक्षण देने के मामले में आईपीएस अधिकारियों की बड़ी हिस्सेदारी भी सामने आई थी। इसमें 2001 बैच के तत्कालीन इंटेरलीजेंस, IG रायपुर रेंज आनंद छाबड़ा को दोहरे पद पर तैनाती के एवज में दोहरी रकम प्राप्त होती थी। इसी तर्ज पर IG रायपुर शेख आरिफ और एसएसपी रायपुर को उनके पद और कार्यों के एवज में लाखों की रकम प्राप्त होती थी।

यही हाल एएसपी और कई थानेदारों का था। उन्हें भी सट्टा कारोबार के संरक्षण को लेकर प्रतिमाह लाखों प्राप्त होते थे। ED ने इन अफसरों को प्राप्त होने वाली मासिक रकम का ब्यौरा भी EOW को सौंपा था। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महादेव ऐप सट्टा कारोबार से जुड़े कारोबारियों और सटोरियों के खिलाफ कड़ी वैधानिक कार्यवाही किये जाने का ऐलान, विधानसभा चुनाव के दौरान किया था।

आईपीएस लॉबी के दबाव के चलते प्रभावशील अधिकारियों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही रफा-दफा किये जाने की उठा-पटक के बीच महादेव ऐप घोटाले की सीबीआई जांच की पहल सुर्ख़ियों में बताई जा रही है। हालांकि अभी सरकार की ओर से इस बारे में आधिकारिक रूप से कोई जानकारी सामने नहीं आई है। जबकि मंत्रालय के गलियारों में जल्द सीबीआई जांच की सिफारिश का मामला कई अफसरों की जुबान पर है। 

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