Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व 30 मार्च से शुरू हो चुका है. इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विषेश पूजा अर्चना की जाती है. इसी तरह नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना करने का विधान है. देवी भागवत पुराण के अनुसार, माता चंद्रघंटा अत्यंत शांत, सौम्य है. माता का हृदय ममता से भरा हुआ है. माता भक्तों को कभी कष्ट में नहीं रहने देती हैं. सुख-समृद्धि और शांति देने वाली माता चंद्रघंटा की विशेष पूजा करने से साधक का आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में खुशहाली का प्रवेश होता है. साधक की सामाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है और जीवन के हर मोड़ पर सफलता और सुख की प्राप्ति होती है.
भौतिक सुख में वृद्धि
मां चंद्रघंटा का स्वरूप सरल और शांत है. माता साहस की देवी है जो अपने भक्तों को समृद्धि का अशीर्वाद देती हैं. माता की पूजा करने से भौतिक सुख में वृद्धि तो होती है साथ ही आंतरिक मन को भी शक्ति मिलती है. ध्यान दें कि इस बार नवरात्री की द्वितीया और तृतीया तिथि का व्रत एक ही दिन पर है. आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा की पूरी विधि क्या है और माता का प्रिय भोग व रंग क्या है. मां चंद्रघंटा के पूजा मंत्र भी जानेंगे.
मां चंद्रघंटा पूजा विधि
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहने.
- अब पूजा के लिए बैठें. मां चंद्रघंटा को लाल और पीले वस्त्र अर्पित करें.
- मां चंद्रघंटा को कुमकुम और अक्षत चढ़ाएं.
- पीला रंग माता को अति प्रिय है ऐसे में पूजा में पीले रंग के फूलों जरूर रखें.
- मां चंद्रघंटा को पीले मिठाई और दूध से बने भोग अति प्रिय हैं. तो केसर मिली चावल की खीर माता को भोग के रूप में अर्पित करें
- पूजा के दौरान ध्यान कर मां चंद्रघंटा के मंत्रों का जाप जरूर करें. इस दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ भी कर सकते हैं.
- मां चंद्रघंटा की आरती का पाठ कर तीसरे दिन की पूजा संपन्न करें.
मां चंद्रघंटा का प्रिय भोग
मां चंद्रघंटा का प्रिय भोग अर्पित करना बहुत महत्व रखता है. नवरात्रि के तीसरे दिन अगर मां चंद्रघंटा की पूजा करते समय खीर का भोग अर्पित नहीं करते हैं, पूजा अधूरी मानी जाएगी. माता के लिए खीर और रबड़ी का भोग सर्वोत्तम माना गया है. मां को विशेष रूप से केसर डाली गई खीर प्रिय है. खीर में लौंग, इलायची, पंचमेवा होना भी इसे और शुभ बनाता है. भोग में मिसरी का उपयोग करें. पेड़ा अर्पित करना भी अच्छा होगा.
मां चंद्रघण्टा का पूजा मंत्र
पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता । प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ॥
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम् । सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम् ॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम् । रंग, गदा, त्रिशूल,चापचर, पदम् कमण्डलु माला वराभीतकराम् ॥
(Disclaimer – प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. News Today इसकी पुष्टि नहीं करता है.)