दिल्ली /रायपुर :- लोकसभा के मानसून सत्र को लेकर कांग्रेस आलाकमान के पास साँस लेने तक की फुर्सत नहीं है | कांग्रेस ने पूरी ताक़त के साथ बीजेपी और केंद्र पर निशाना साधा हुआ है | भ्रष्टाचार और संविधान की रक्षा जैसे मुद्दों को लेकर पार्टी का हमलावर रुख उस समय सवालों के घेरे में आ गया जब छत्तीसगढ़ में पार्टी की इकाई ने शराब घोटाले में लिप्त आरोपियों को बचाने और जाँच एजेंसियों पर दबाव बनाने के लिए सड़को पर उतरने का फैसला किया | पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के पुत्र के बचाव में जुटी कांग्रेस का आर्थिक नाकाबंदी प्रदर्शन अब पार्टी पर भारी पड़ गया है |

सूत्रों के मुताबिक मामले से बेखबर कांग्रेस आलाकमान ने इस प्रदर्शन को लेकर छत्तीसगढ़ प्रभारी से रिपोर्ट मांगी है | पार्टी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस आलाकमान ने न तो ऐसे किसी प्रदर्शन की इजाजत दी और न ही पूर्व मुख्यमंत्री समेत अन्य नेताओं को सोनिया, राहुल, प्रियंका और मलिकार्जुन खड़गे से मिलने का मौका मिल पाया | ऐसे में किसके फरमान पर प्रदेश इकाई ने आर्थिक नाकेबंदी जैसे गैरकानूनी प्रदर्शन का समर्थन किया है ? इसे लेकर गहमा -गहमी देखी जा रही है | यह भी बताया जा रहा है कि किसी भी राष्ट्रीय नेता और पदाधिकारी ने चैतन्य बघेल के समर्थन में आयोजित प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी थी | इसके बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंगलवार को राज्य के विभिन्न जिलों में प्रदर्शन किया गया था |

जानकारों के मुताबिक आलाकमान की बगैर इजाजत आयोजित प्रदर्शन के मामले में प्रदेश के नेताओं से भी पूछताछ शुरू हो गई है | जानकारी के मुताबिक 3200 करोड़ के शराब घोटाले में लिप्त आरोपियों की पार्टी नेताओं के साथ सांठ -गांठ को लेकर आम जनता के बीच ख़राब सन्देश जाने से कांग्रेस आलाकामन हैरत में बताया जाता है | प्रदेश के सबसे बड़े शराब घोटाले में ACB -EOW और ED ने अपनी कार्यवाही तेज कर दी है | EOW ने जहाँ आबकारी विभाग से जुड़े FL -10 लाइसेंस धारकों और कुछ चार्टड एकाउंटेंट को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है, वही पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र चैतन्य बघेल को रायपुर सेन्ट्रल जेल दाखिल कर ED की टीम शेष आरोपियों और संदेहियों के काले कारनामों की पड़ताल में जुटी है | उधर आरोपियों की धर -पकड़ और कांग्रेस के प्रदर्शनों से राजनैतिक गलियारा गरमाया हुआ है |

कांग्रेस खेमों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के बिल्डर पुत्र चैतन्य बघेल के अलावा शराब कारोबारी त्रिलोक ढिल्लन, पप्पू बंसल, अनवर ढ़ेबर, विजय भाटिया समेत अन्य किसी भी आरोपी का कांग्रेस से कोई लेना -देना नहीं है | निष्ठावान कार्यकर्ताओं के मुताबिक इन कारोबारियों ने न तो कभी कांग्रेस दफ्तर का रुख किया और न ही किसी भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया था | इसके बावजूद कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने हजारो कार्यकर्ताओं की मंशा पर पानी फेरते हुए आर्थिक अपराध में शामिल तत्वों का समर्थन कर नया विवाद पैदा कर दिया है | कई कार्यकर्त्ता तस्दीक करते है कि कांग्रेस शासन काल के 5 वर्षो तक यही आरोपी मुख्यमंत्री और सरकार पर हावी रहे और जमकर लाभ कमाया | जबकि समर्पित कार्यकर्त्ता अपने स्वार्थो को दरकिनार कर पूरे समय पार्टी की मजबूती पर ज़ोर देते रहे |

कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ताओं की यह भी दलील है कि प्रदेश के कद्दावर नेता स्वर्गीय मोतीलाल वोरा के नेशनल हेराल्ड केस में आरोपी बनाये जाने के बावजूद प्रदेश कांग्रेस संगठन ने न तो धरना प्रदर्शन किया और न ही विधानसभा में कोई गतिरोध कायम किया | यही नहीं वरिष्ठ नेता और प्रथम मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी के जग्गी हत्याकांड में नामजद होने पर किसी तरह का आंदोलन किया गया था | एक प्रदर्शन को लेकर भिलाई विधायक देवेंद्र यादव लगभग 6 माह तक रायपुर और बिलासपुर जेल में निरुद्ध रहे | उनके प्रभावशील भाई भी कांग्रेस के नेता है, लेकिन देवेंद्र यादव के समर्थन में ऐसे आंदोलन की रूपरेखा तक तय नहीं की गई थी |

जानकार तस्दीक करते है कि पूर्व आबकारी मंत्री और आदिवासी नेता कवासी लखमा भी पिछले करीब 6 माह से जेल की हवा खा रहे है | लेकिन लखमा के समर्थन में कांग्रेस संगठन ने कोई राजनैतिक आंदोलन नहीं खड़ा किया है | पीड़ित कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की यह भी दलील है कि स्वयं के गिरेबान में झाँकने के बजाय पूर्व मुख्यमंत्री अपनी सफाई में उद्द्योगपति अडानी पर दोषारोपण कर रहे है | उनके मुताबिक सरगुजा के तमनार में कोयले की खदानों के आवंटन की नीव पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के हांथो रखी गई थी |

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का आर्थिक नाकेबंदी का कदम पार्टी के भीतर ही आलोचना का शिकार हो रहा है | कई कार्यकर्त्ता ये भी तस्दीक करते है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ नेताओं को गुमराह करते हुए अपने करीबी दो विधायकों के जरिये आर्थिक नाकेबंदी का प्रस्ताव पार्टी की एक बैठक में रखवाया था | इस पर बगैर ठोस चर्चा के एकतरफा प्रस्ताव पारित करा लिया गया था | पीड़ित कार्यकर्त्ता खुद को कांग्रेस का सच्चा सिपाही बता रहे है, जबकि आर्थिक अपराधों से जुड़े तत्वों को सत्ता के लुटेरे साबित करने में जुटे है | फ़िलहाल, पूर्व मुख्यमंत्री बघेल जेल की हवा खा रहे अपने प्रिय पुत्र की तीमारदारी और उसे VIP सुविधाएँ उपलब्ध कराने की क़वायतो में व्यस्त बताये जा रहे है |
