रायपुर/बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में CGPSC घोटाले पर सीबीआई की दलीलों से वाकिफ होते हुए कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि यह हत्या से भी ज्यादा जघन्य अपराध है क्योंकि, एक व्यक्ति की हत्या करने से केवल एक परिवार प्रभावित होता है। लेकिन, लाखों अभ्यर्थियों का करियर बर्बाद करने से पूरा समाज प्रभावित होता है। हाईकोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित प्रश्नपत्र लीक करने में शामिल आरोपी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे लाखों युवाओं के करियर और भविष्य के साथ खिलवाड़ करता है। इसके साथ ही अदालत ने उद्योगपति गोयल के बहू-बेटे की जमानत रद्द कर दी। अदालत में आरोपियों की रिहाई को लेकर बचाव पक्ष और सीबीआई ने अपने-अपने तर्क दिए थे।

सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि वर्तमान आवेदकों सहित आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ लगाए गए कथित आरोपों को किसी भी तरह से सामान्य आरोप नहीं कहा जा सकता। आरोपियों की हरकतें ”फसल को खा जाने वाली बाड़” का स्पष्ट उदाहरण हैं। जस्टिस बीडी गुरु की सिंगल बेंच ने छत्तीसगढ़ PSC में चयनित हो कर डिप्टी कलेक्टर बने गोयल दंपति शशांक और उनकी पत्नी भूमिका की जमानत याचिका खारिज कर दी। बता दें कि सीबीआई ने दोनों आरोपियों को 6 दिसंबर 2024 को गिरफ्तार किया था।
जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी। अदालत में सीबीआई की दलीले CGPSC घोटाले की अगली कड़ी से जुड़ी बताई जा रही है, विवेचना के पहलुओं के मद्देनजर अभी भी एजेंसियां जांच-पड़ताल में जुटी बताई जाती है, उसके रुख को देखते हुए अगली कड़ी में कई और उम्मीदवारों और अधिकारियों की गिरफ्तारी के आसार जाहिर किये जा रहे है।

CGPSC की 2020-2022 की भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली सामने आई थी। इसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री करप्शन बघेल के कई करीबी DSP और डिप्टी कलेक्टर बनने में कामयाब रहे थे। उन्होंने मोटी रकम चूका कर ऐसे मलाईदार पदों पर सफलता अर्जित की थी। कई नेताओं, उद्योगपतियों और अधिकारियों के नाते-रिश्तेदार पिछले दरवाजे से ऊंचे पदों पर चयनित किये गए थे। मामले के उजागर होने के बाद CGPSC के तत्कालीन चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी समेत कई अधिकारी जेल की हवा खा रहे है।
सीबीआई ने प्रारंभिक स्तर पर ही जांच के दौरान नेताओं-अधिकारी और रसूखदार कारोबारियों के करीबी रिश्तेदारों के सिलेक्शन में गड़बड़ी पाई थी।सोनवानी के करीबी रहे रायपुर के उद्योगपति बजरंग पावर एंड इस्पात लिमिटेड के डायरेक्टर श्रवण गोयल के बेटे शशांक गोयल और बहू भूमिका का चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ था।

घोटाले में उद्योगपतियों ने सरकारी नौकरियों में काबिज होने के लिए जनकल्याण के लिए खर्च किये जाने वाले CSR फंड से रिश्वत दी थी। जांच में पता चला कि उद्योगपति श्रवण गोयल ने अपनी कंपनी से CSR फंड के तहत ग्रामीण विकास समिति नामक NGO को दो बार में 45 लाख रुपए दिए। इस NGO की अध्यक्ष सोनवानी की पत्नी, भाई सचिव और भतीजा सदस्य है। सीबीआई के मुताबिक, यह राशि पीएससी की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा से पहले दी गई। इसके बदले में परीक्षा के प्रश्नपत्र दिए गए, जिसने उन्हें अपने बेटे और बहू को उपलब्ध कराया। दोनों ने इन्हीं प्रश्नपत्रों के आधार पर परीक्षा पास की और डिप्टी कलेक्टर बने। सीबीआई की जांच में सामने आया कि सोनवानी के कहने पर उप नियंत्रक ने प्रश्नपत्र ए-2 को दिए।

सोनवानी के भाई अनिल सोनवानी ने यह बात अपने बयान में कही। उसने यह भी स्वीकार किया कि एनजीओ को 2 मार्च 2022 और 18 मई 2022 को क्रमशः 20 लाख और 25 लाख रुपए मिले। हाईकोर्ट ने दोनों की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। सीबीआई की ओर से एडवोकेट बी गोपाकुमार ने पैरवी कर अदालत में जमानत का विरोध करते हुए सबूतों के साथ छेड़छाड़ का भी अंदेशा जाहिर किया।