CGPSC में फर्जीवाड़े को रफा-दफा करने के लिए नया फर्जीवाड़ा , मुन्नाभाइयों के सिर पर किसका हाथ ? सोशल मीडिया में परीक्षा से अनुपस्थित रहे अभ्यर्थी की उत्तर पुस्तिका का हवाला देकर तस्वीर वायरल , फिर साजिश की बू

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रायपुर / CGPSC में फर्जीवाड़े का मामला तूल पकड़ गया है | मामले को लेकर बीजेपी ने प्रदेश भर में आंदोलन करने का एलान किया है | इस बीच प्रदेश के जनसंपर्क संचालनालय द्वारा CGPSC के प्रचार-प्रसार और फेस सेविंग वाले समाचार जारी किये जा रहे है | ताकि मामले को ठंडा करने में मदद मिल सके | CGPSC की ओर से कोई भी अधिकारी असलियत बयां करने मीडिया के सामने नहीं आ रहा है | अलबत्ता जनसंपर्क संचालनालय को ढाल बनाकर अपनी उपलब्धि गिनाई जा रही है | फर्जीवाड़े का मामला गर्माते ही गुरुवार शाम से सोशल मीडिया में एक उत्तर पुस्तिका की तस्वीरें वायरल की जा रही है | इस तस्वीर को लेकर दावा किया जा रहा है कि ये उत्तर पुस्तिका उस अभ्यर्थी की है जो सहायक प्राध्यपक परीक्षा 2019 में शामिल हुआ था | यह भी दावा किया जा रहा है कि यह अभ्यर्थी परीक्षा कक्ष में मौजूद था |



सोशल मीडिया में वायरल उत्तर पुस्तिका 

गौरतलब है कि यह उत्तर पुस्तिका सोशल मीडिया में आखिर किस मकसद से वायरल की जा रही है , इसकी जांच बेहद जरूरी है | यही नहीं इस उत्तर पुस्तिका को CGPSC के गोपनीय कक्ष से पब्लिक प्लेटफॉर्म पर आखिर किसने और क्यों लाया , यह भी जांच का विषय है | आमतौर पर आरटीआई के जरिये इस तरह के दस्तावेज अभ्यर्थियों को दिए जाते है | लेकिन सोशल मीडिया में वायरल हो रही इस उत्तर पुस्तिका पर ना तो आरटीआई के जरिये जारी होने का हवाला दिया गया है और ना ही इसकी हकीकत की पुष्टि खुद CGPSC द्वारा की गई है | बावजूद इसके अनुपस्थित अभ्यर्थी की उत्तर पुस्तिका का दावा कर इसे सुनियोजित रूप से सोशल मीडिया में वायरल किया गया है |

(हालांकि सोशल मीडिया में जो उत्तर पुस्तिका की तस्वीर वायरल की जा रही है ,  उसकी हकीकत की पुष्टि न्यूज़ टुडे नहीं करता  | पाठकों को खबर से रूबरू कराने के लिए यह समाचार सामग्री संलग्न की गई है |)       

DEMO PIC

उधर सोशल मीडिया में वायरल इस उत्तर पुस्तिका को लेकर एक नए फर्जीवाड़े को अंजाम दिया जाना प्रतीत हो रहा है | CGPSC की कार्यप्रणाली को लेकर इसके चेयरमेन टामन सिंह सोनवानी की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है | CGPSC अपने गठन के दौरान से ही विवादों से घिरी रही है | मुन्नाभाइयों के मामले को लेकर उसका रुख शक के दायरे में रहा है | सहायक प्राध्यापक परीक्षा 2019 की आखिर वीडियोंग्राफ़ी क्यों नहीं कराई गई ? यह जांच का विषय है | जब इस परीक्षा का यह हाल है तो , अन्य परीक्षाओं की पारदर्शिता को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे है | लोग जानना चाहते है कि मुन्नाभाइयों के सिर पर आखिर किसका हाथ है | मामले की जांच को लेकर CGPSC के पीछे हटते कदमों से साफ है कि दाल में जरूर काला है | राज्य के संसदीय सचिव विकास उपाध्याय खुलेआम आरोप लगा रहे है कि CGPSC में पुरानी सरकार के अफसर फर्जीवाड़ा कर रहे है | राज्य सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए | विकास उपाध्याय के गंभीर आरोपों के बावजूद जांच के निर्देश देने के बजाए CGPSC की सरकारी फेस सेविंग चर्चा में है | 

गौरतलब है कि फर्जीवाड़े की  शिकायत सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2019 हिन्दी विषय के अभ्यर्थी वीरेन्द्र कुमार पटेल द्वारा की गई थी। जिसका रोल नंबर 190204103691 था। उसने उक्त परीक्षा में अनुपस्थित अभ्यर्थी अनुक्रमांक 190204103692 का साक्षात्कार सूची में नाम आने संबंधी शिकायत की  थी। उसने परीक्षा कक्ष में परीक्षार्थियों की वीडियोग्राफी कराए जाने का भी उल्लेख अपनी शिकायत में किया था। लेकिन जांच में CGPSC ने इस शिकायत को निराधार पाए जाने का दावा करते हुए कहा कि परीक्षा कक्ष की वीडियोग्राफी नहीं कराई गई | इससे साजिश की बू आ रही है | दरअसल मुन्नाभाइयों से बचाव और पारदर्शिता बरकार रखने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की वीडियोंग्राफी कराई जाती है | ताकि अभ्यर्थियों की शिनाख्ती हो सके | फ़िलहाल तो CGPSC ने वीडियोंग्राफी ना कराकर मुन्नाभाइयों के  बचाव का रास्ता खोल दिया है |