सीजीएमएससी घोटाले की जांच अंतिम पड़ाव पर, मुंबई के दवा कारोबारियों की गिरफ्तारी के आसार, EOW ने स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारियों को किया तलब….

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रायपुर: छत्तीसगढ़ के सीजीएमएससी में हुए 660 करोड़ रुपए के घोटाले में अब गिरफ्तारी की गाज मुंबई के कारोबारियों पर गिर सकती है। EOW ने अब तक की जांच में घोटाले की कड़ी पर अपनी निगाहे गढ़ा दी है। EOW को उस समय कामयाबी हाथ लगी जब विशेष अदालत ने मुंबई के कारोबारी राजेश गुप्ता, नीरज गुप्ता और अभिषेक कौशल की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। कारोबारियों ने स्वयं को निर्दोष बताते हुए इस घोटाले में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं होने का दावा किया था।

कारोबारियों ने कोर्ट में दलील दी थी कि ईओडब्ल्यू की एफआईआर में उनके स्वयं के नाम का उल्लेख नहीं किया है, बावजूद इसके उनकी गिरफ्तारी की आशंका है। कारोबारियों ने दलील देते हुए कोर्ट से अग्रिम जमानत दिए जाने का अनुरोध किया था। उधर अभियोजन पक्ष (EOW) ने इसका विरोध करते हुए विशेष न्यायाधीश के समक्ष पेश दलील में दावा किया कि घोटाले को सिंडिकेट बनाकर अंजाम दिया गया था। एजेंसी के मुताबिक इस खेल में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर तीनों दवा कारोबारियों ने पहले निविदा हासिल की फिर निर्धारित दर से कई गुना अधिक दर पर उपकरणों की सप्लाई की।

एजेंसियों के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिली भगत के इनपुट जांच के दौरान मिले हैं। इन तथ्यों को पेश कर अभियोजन ने अग्रिम जमानत खारिज करने का कोर्ट से अनुरोध किया। बहस के दौरान विशेष न्यायाधीश ने बचाव और अभियोजन पक्ष का तर्क सुनने के बाद कारोबारियों की अग्रिम जमानत रद्द कर दी। सूत्र तस्दीक कर रहे है कि स्वास्थ्य विभाग के कई पूर्व और मौजूदा अधिकारी EOW के हत्थे चढ़ सकते है।