CGMSC Scam: सीजीएमएससी घोटाले में एक्टिव मोड़ में ED, आधा दर्जन IAS अफसरों पर तिरछी नजर, ACB-EOW की जांच रिपोर्ट की पड़ताल ख़त्म, इन 2 IAS अफसरों का नाम संदिग्धों की फेहरिस्त में अव्वल नंबर पर…. 

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दिल्ली/रायपुर: CGMSC Scam: छत्तीसगढ़ में अरबों के CGMSC घोटाले में आधा दर्जन आईएएस अफसर भी लपेटे में बताये जा रहे है। इनमे 2017 बैच के आईएएस चंद्रकांत वर्मा और 2008 बैच के आईएएस भीम सिंह का नाम प्रमुख रूप से शामिल बताया जाता है। ED ने ECIR दर्ज कर पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है, इस सिलसिले में एजेंसी ने ACB-EOW की चालान एवं विवेचना में शामिल अन्य दस्तावेजों और सबूतों का जायजा लेने के बाद संदेहियों के खिलाफ वैधानिक प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।

हालांकि सीजीएमएससी में प्रबंध संचालक के पद पर समय-समय पर पदस्थ अन्य आईएएस अधिकारियों की कार्यप्रणाली का भी रुख किया है। सूत्रों के मुताबिक दोनों आईएएस चंद्रकांत वर्मा और भीम सिंह पर जल्द ही एजेंसियों का शिकंजा कस सकता है। उनकी घोटाले में सीधेतौर पर लिप्तता सामने आई है। यह भी बताया जा रहा है कि ACB-EOW की पूछताछ के बाद ED भी जांच के दायरे में शामिल बताये जा रहे अफसरों को तलब कर सकती है। CGMSC घोटाले को लेकर ED का गलियारा इन दिनों सक्रिय नजर आ रहा है। माना जा रहा है कि एजेंसियों के कदम एक बड़ी कार्यवाही की ओर बढ़ रहे है। 

CGMAC घोटाले में कई विभागीय अफसर और ठेकेदार इन दिनों जेल की हवा खा रहे है। इनमे बसंत कुमार कौशिक, क्षिरोद्र रौतिया, डॉ. अनिल परसाई, कमलकांत पाटनवार एवं दीपक कुमार बंधे का नाम प्रमुख रूप से शामिल है। जबकि मोक्षित मेडिकेयर प्राइवेट लिमिटेड के संचालक शशांक चोपड़ा भी न्यायिक हिरासत में अपना वक़्त गुजार रहे है।   CGMSC घोटाले में अस्पतालों में दवाओं-उपकरणों की खरीदी के नाम पर सरकारी तिजोरी से अरबों की रकम पानी की तरह बहाई गई थी।

सूत्र तस्दीक करते है कि सीजीएमएससी घोटाले में सरकारी रकम की अवैध निकासी का मामला 550 करोड़ से ज्यादा का आंकड़ा पार कर चूका है, घोटाले की रकम का आंकड़ा मौजूदा आंकड़े की तुलना में दोगुने से ज्यादा आंका गया है। यह भी बताया जा रहा है कि मोक्षित कॉर्पोरेशन के अलावा अन्य सप्लायर कंपनियों को भी जांच के दायरे में लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक प्रारंभिक विवेचना में ही ED को बड़े पैमाने पर सरकारी रकम में हेरफेर के लिए आपराधिक षड्यंत्र के सबूत हाथ लगे है।

इसके बाद ईडी भी संदेहियों से पूछताछ को लेकर सक्रिय नजर आ रही है। उसने संदेहियों पर शिकंजा कसने के लिए वैधानिक प्रक्रिया को अमल में लाया गया है। जानकारी के मुताबिक घोटालों की तह तक पहुंची ED ने जेल में बंद ईओडब्ल्यू के आरोपियों से भी जल्द पूछताछ के आसार जाहिर किये है। फ़िलहाल, एजेंसियों का शिकंजा भ्रष्टाचार की बड़ी मछलियों पर केंद्रित बताया जा रहा है।