लो अब छत्तीसगढ़ में पेट्रोल घोटाला: सरकारी वाहन के कई महीनों से पहिये जाम, फिर भी 6 महीने में 6 लाख का फूंका गया पेट्रोल, बंद गाड़ी पर 18 लाख 55 हज़ार खर्च, सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ करने के लिए नए-नए नुस्खे, हैरत में लोग….

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रायपुर: छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार के सत्ता में काबिज होने के बावजूद भ्रष्ट नौकरशाही के हौंसले बुलंद बताये जाते है। अब पेट्रोल घोटाला सामने आया है। यह मामला वैसे तो उच्च शिक्षा विभाग में उजागर हुआ है। लेकिन इसकी बानगी राज्य सरकार के 3 दर्जन से ज्यादा महकमों में नजर आ रही है। यहाँ भी सरकारी वाहनों का बेजा इस्तेमाल और निजी कार्यों में उपयोग हो रहा है। हालत यह है कि कबाड़ हो चुके वाहनों पर भी सालाना लाखों की रकम डकारी जा रही है। 

एक ओर राज्य सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का पालन करने पर जोर दे रही है, तो दूसरी ओर दागी अफसर भी सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ करने का अवसर गवाने में पीछे नहीं है। मौका मिलते ही उनका चौका लाखों का साबित हो रहा है। हालिया मामले में उच्च शिक्षा विभाग में सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग और घोटाले का खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक उच्च शिक्षा विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय में पदस्थ अपर संचालक का वाहन बगैर सड़क पर रफ़्तार पकड़े 6 माह में 6 लाख का पेट्रोल पी गया है।

बताते है कि इस वाहन के पहिये कई महीनो से जाम है, उसे जहाँ है, वैसी स्थिति में रखा गया है। बावजूद इसके सरकारी रजिस्टरों में वाहन में ईंधन की खपत और अन्य कार्यों को लेकर 18 लाख 55 हज़ार रूपये का भुगतना कर दिया गया है। सूत्र तस्दीक कर रहे है कि मामले के खुलासे के बाद सहायक ग्रेड-2 आकाश श्रीवास्तव नामक बाबू को निलंबित कर दिया गया है। उधर बाबू ने आलाधिकारियों पर उंगली उठाई है। यह भी जानकारी सामने आई है कि सिर्फ वाहन घोटाला ही नहीं बल्कि उच्च शिक्षा विभाग में कई फर्जी कर्मचारियों के नाम पर सालाना लाखों का वेतन भी निकाला जा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक 4 फर्जी कर्मचारियों के नाम पर पिछले सालभर से 10-10 हज़ार रूपए पारिश्रमिक के नाम पर भुगतान किये जा रहे है। बताते है कि कई प्रभावशील अफसरों के निर्देश पर बोगस बिलिंग का काम जोरो पर है। फ़िलहाल, बाबू को निलंबित कर मुख्यालय में अटैच किया गया है। जबकि प्रकरण में FIR दर्ज कराने के बजाय लीपा-पोती शुरू हो गई है।