राजनैतिक रंग में रंगा ‘सियार’ निकला वन विभाग का मुखिया, पूर्व विधायक मनीष कुंजाम के कैंपा राव पर गंभीर आरोप, करोड़ों के तेंदूपत्ता घोटाले में निलंबित DFO गिरफ्तार, निरीह-गरीब, मजदूर आदिवासियों के करोड़ों के बोनस की रकम पाक-साफ….

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दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ में करोड़ों के तेंदूपत्ता घोटाले में सुकमा के DFO की गिरफ्तारी की बड़ी खबर सामने आ रही है। ACB-EOW की टीम ने आज सुबह सुकमा के तत्कालीन DFO अशोक पटेल को रायपुर स्थित एक बंगले से अपने कब्जे में ले लिया है। सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि गुरुवार सुबह आईएफएस अशोक पटेल को करोड़ों के तेंदूपत्ता घोटाले में लिप्तता के चलते गिरफ्तार किया गया है। यह भी बताया जा रहा है कि आज उन्हें अदालत में पेश कर ACB-EOW रिमांड में ले सकती है। सूत्र यह भी तस्दीक करते है कि वन एवं जलवायु विभाग के मुखिया भी एजेंसियों के निशाने पर है। हालांकि DFO की गिरफ्तारी को लेकर ACB-EOW की ओर से अभी कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है।

2015 बैच के आईएफएस अशोक पटेल ने वर्ष 2021-2022 की तेंदूपत्ता मजदूरों के करोड़ों की बोनस की रकम को ना तो उनके खातों में ट्रांसफर किया था और ना ही मजदूरों को नगदी में भुगतान किया गया था। राज्य सरकार ने मामला उजागर होने के बाद आरोपी DFO को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। अब उनकी गिरफ्तारी की खबर सामने आ रही है। उधर तेंदूपत्ता घोटाले से राजनैतिक गलियारा गरमाया हुआ है। पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वन एवं जलवायु विभाग के मुखिया कैंपा राव पर कई गंभीर आरोप लगाए है। उनका दावा है कि चुनावी चंदे और तेंदूपत्ता घोटाले की शिकायत वापस लेने के लिए वन विभाग के मुखिया ने मोटी रकम की पेशकश की थी।

उन्होंने इसका ब्यौरा भी जाहिर किया। पूर्व विधायक कुंजाम का यह भी दावा है कि तेंदूपत्ता घोटाले में कई बड़े अफसर शामिल है। इनमे वन और जलवायु विभाग के प्रमुख कैंपा राव की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने राव पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए घोटाले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। पत्रकारों से चर्चा करते हुए कुंजाम ने दावा किया कि तेंदूपत्ता संग्राहकों के बोनस की रकम वितरित ना कर उसे अपने खातों में ट्रांसफर किये जाने की शिकायत सबसे पहले उन्होंने ही की थी। कुंजाम ने हैरानी जताते हुए कहा कि शिकायत के बाद अन्य संदेहियों के अलावा उनके भी घर पर छापेमारी की गई थी।

उन्होंने कहा कि प्रभावशील अफसर उनका मुँह दबाना चाहते है, जबकि वे पीड़ित आदिवासियों के हितों को लेकर लगातार अपनी आवाज बुलंद कर रहे है। कुंजाम ने सुकमा के तेंदूपत्ता घोटाले को आदिवासियों का शोषण करार देते हुए पूरे प्रकरण की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। उधर पूर्व विधायक के गंभीर आरोपों के बाद राजनीति भी गरमाई हुई है। दरअसल, प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुंजाम ने यह भी दावा किया है कि हालिया पंचायत राज चुनाव में उम्मीदवारों को खड़ा करने और कई को चुनाव से हटाने के लिए वन विभाग के मुखिया लगातार उनके संपर्क में थे।

मेल-मुलाकात से लेकर नगद रकम के ब्यौरे पर तीखी टिप्पणी कर पूर्व विधायक ने कैंपा राव पर कई गंभीर आरोप लगाए है। पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने कहा कि तेंदूपत्ता बोनस में गड़बड़ी में डीएफओ के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई के बाद 10 मार्च को धरना दिया गया था, जिसमें मांग रखी गई कि डीएफओ को निलंबित करने से कार्रवाई पूरी नहीं होगी, बल्कि बोनस के रूप में मिले 6.54 करोड़ की राशि को आदिवासी हितग्राहियों में बांटना होगा। 

कुंजाम ने एक मंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि बोनस घोटाले में डीएफओ व प्रबंधक ही नहीं बल्कि कई प्रभावशील उच्चाधिकारी भी शामिल हैं। उनके मुताबिक दोषियों को बचाने के लिए दिखावे के रूप में छापेमारी की गई थी। उन्होंने कहा कि ज्यादातर तेंदूपत्ता संग्राहक गरीब आदिवासी है, उनकी मेहनत का पैसा देने की मांग करना भी अब मुश्किल हो गया है।बीजेपी शासित छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में करोड़ों का तेंदूपत्ता घोटाला सामने आया है। यह वो इलाका है, जो कई वर्षों से नक्सलवाद की चपेट में है। 

बुनियादी सुविधाओं से दूर शोषण के शिकार कई इलाकों में आदिवासियों की रोजी-रोटी का मुख्य सहारा जंगलों से तेंदूपत्ते का संग्रहण बताया जाता है। राज्य सरकार आदिवासी श्रमिकों को प्रतिवर्ष ना केवल चरण पादुका वितरित करती है, बल्कि उनके श्रम और मेहनत के मद्देनजर नगदी के रूप में बोनस भी वितरित करती है। सरकार के प्रति विश्वास कायम करने के लिए इन दिनों इस इलाके में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवान अपनी जान की बाजी लगा कर ना केवल माओवादियों को खदेड़ रहे है, बल्कि आदिवासियों के जख्मों पर भी मलहम लगा रहे है। 

आमतौर पर श्रमिकों को इस तरह के बोनस की रकम उनके खातों में ट्रांसफर करने का चलन देशभर में प्रचलित है। लेकिन केंद्र और राज्य सरकार के ऑनलाइन सिस्टम को दरकिनार कर घोटालेबाजों ने गरीब आदिवासियों की मेहनत-मजदूरी के बोनस की करोड़ों की रकम पर ही हाथ साफ कर दिया है। बस्तर में बगावत में उतारू नौजवानों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार जी-तोड़ कोशिशे कर रही है।

प्रदेश को नक्सल मुक्त राज्य बनाने के सरकार की पहल से आदिवासियों में आत्मविश्वास पैदा किया जा रहा है, इसके सुखद परिणाम भी सामने आने लगे है। इस बीच आदिवासियों के हितों से जुड़े बोनस की रकम को डकारने का मामला गंभीर अपराध के दायरे में बताया जा रहा है। पीड़ितों ने मामले की शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग से भी की है। 

जानकारी के मुताबिक बस्तर के सुकमा में तेंदूपत्ता बोनस घोटाला उजागर होने के बाद फौरी कार्यवाही करते हुए राज्य सरकार ने सुकमा जिले के DFO को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। EOW को जांच के निर्देश दिए गए थे। ACB-EOW की टीम ने त्वरित कार्यवाही करते हुए तत्कालीन DFO समेत कई कारोबारियों, राजनैतिक ठेकेदारों और विभागीय कर्मियों के घरों पर छापेमारी की थी।

इसमें एजेंसी को घोटाले से जुड़े कई सबूत हाथ लगे थे, मामले की विवेचना भी जारी बताई जा रही है। इस बीच पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने वन विभाग की कार्यप्रणाली को कटघरे में ला खड़ा किया है। पूर्व विधायक के आरोपों को लेकर वन विभाग के मंत्री और मुखिया की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं प्राप्त हो पाई है।