CG News: छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के बढ़ते कदमों को थामना मुख्यमंत्री साय सरकार के सामने बड़ी चुनौती, साढ़े 6 करोड़ हड़पने के प्रकरण में DFO को निलंबित करने में लगे पूरे 4 साल, सुस्त नौकरशाही के चलते आदिवासी तेंदूपत्ता श्रमिकों के बोनस पर डाका….

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सुकमा/जगदलपुर/रायपुर CG News: छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के बढ़ते कदम साय सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहे है। राज्य सरकार ने 4 साल बाद सुकमा के उस DFO को निलंबित कर दिया है, जिस पर आरोप है कि उसने आदिवासी तेंदूपत्ता श्रमिकों के बोनस की लगभग साढ़े 6 करोड़ की रकम पर ही हाथ साफ कर दिया था। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के इस कड़े फैसले से नौकरशाही में हड़कंप है। इसके साथ ही हैरानी उस तथ्य और जांच रिपोर्ट को लेकर भी हो रही है, जो इतने वर्षों लगभग 4 साल तक सरकारी आलमारी में कैद करके रखी गई थी। सवाल उठ रहा है कि पूर्ववर्ती भूपे सरकार की रवानगी के बावजूद उस दौर में अंजाम दिए गए घोटालों से जुड़ी फाइलों को बीजेपी सरकार के संज्ञान में लाने के मामलों में आखिर क्यों लेट-लतीफी बरती जा रही है?

दरअसल, बस्तर के सुकमा में वर्ष 2021 में तेंदूपत्ता श्रमिकों के लिए जारी बोनस की बड़ी राशि संग्राहकों को सिर्फ कागजों में ही वितरित कर दी गई थी। मामले के खुलासे के बाद पीड़ित आदिवासियों ने तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी। लेकिन सालों तक जांच रिपोर्ट फाइलों में ही दबी रही। अब जाकर राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार में दोषी पाए गए 2015 बैच के आईएफएस अशोक कुमार पटेल को निलंबित कर दिया है। छत्तीसगढ़ में वन और जलवायु विभाग ‘ब्लैक मनी उत्पादन’ का बड़ा उपक्रम साबित हो रहा है। हालत यह है कि इस महकमे में ‘चालू’ अधिकारियों की कार्यप्रणाली से सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि वन्य जीवों के अरमानों पर भी पानी फिर रहा है।

भ्रष्टाचार की रकम डकारने के बावजूद दागी अफसर हिचकी तक लेने को तैयार नहीं है। जबकि दूसरी ओर नौकरशाही में ऐसे अफसरों के संरक्षण के चलते जल, जंगल और जमीन से जुड़ी एक बड़ी आबादी की जान पर बन आई है। प्रदेश की जनसँख्या में आदिवासी बाहुल्य इलाकों में सरकारी योजनाओं की प्रगति और भ्रष्टाचार को लेकर नौकरशाही की संवेदनशीलता का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि दागी अफसरों को निलंबित तक करने में राज्य सरकार को पूरे 4 साल लग गए। सूत्र तस्दीक करते है कि विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में वन एवं जलवायु विभाग की गतिविधियों से जुड़े सवालों की भरमार के चलते नौकरशाही भी कठघरे में खड़ी नजर आ रही है।

4 साल पुराने इस प्रकरण पर मचे बवाल के बाद उच्च अधिकारियों ने मामला साय सरकार के संज्ञान में लाया था। बताते है कि वन एवं जलवायु विभाग की मौजूदा प्रमुख सचिव की सुस्त कार्यप्रणाली के चलते भ्रष्टाचार के संरक्षण से जुड़े मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। जानकारी के मुताबिक पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग में कई सरकारी योजनाएं सिर्फ कागजों में ही संचालित की जा रही थी। इलाके के पीड़ितों की शिकायतों को भी नजरअंदाज कर दिया गया था। कभी दागियों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच का हवाला देकर तो कभी जांच रिपोर्ट के इंतज़ार में वैधानिक कार्यवाही से जुड़ी फाइले मंत्रालय स्तर में भी धूल खाते रही।

पीड़ितों के मुताबिक पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में उच्च पदस्थ नौकरशाही ने भ्रष्टाचार में लिप्त अफसरों के खिलाफ ना तो पुलिस में शिकायत दर्ज कराना मुनासिब समझा था और ना ही उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही करने में भी कोई रूचि दिखाई थी। नतीजतन, सरकार के आधे से ज्यादा विभागों में भ्रष्टाचार चरम पर बताया जाता है। जबकि भ्रष्ट अफसर सरकार के लिए दुधारू गाय साबित हो रहे है। यह भी बताया जाता है कि वन और जलवायु विभाग के प्रमुख सचिव स्तर के वरिष्ठ अफसरों ने सुकमा में तेंदूपत्ता श्रमिकों की शिकायत और जांच रिपोर्ट के प्रकरण में चुप्पी साधी हुई थी। राज्य में बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के 14 महीने बीत जाने के बावजूद आरोपी DFO के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही नहीं की गई।

बताते है कि दागी अफसर से जुड़ी फाइल महीनों तक धूल खाते रही। जिम्मेदार अफसर उस फाइल पर कार्यवाही करने के मसले पर लगातार अपने हाथ पीछे खींचते रहे। सुकमा डीएफओ अशोक पटेल पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के कार्यकाल में लेंटाना, सामाजिक वानकी और कांगेर वैली में खाद घोटाले और योजनाओं में करोड़ों की राशि के गबन के मामले सामने आए थे। सुकमा जिले में तेंदूपत्ता संग्राहकों को वर्ष 2021 और 2022 का तेंदुपत्ता के बोनस का नगद भुगतान सुनिश्चित करना था। इसके तहत 17 समितियों के 21,225 संग्राहकों को सवा तीन करोड़ रुपए तथा वर्ष 2022 में जिले 13197 संग्राहकों का कुल 2 करोड़ 59 लाख की रकम बतौर बोनस वितरित की जानी थी।

सूत्र तस्दीक करते है कि तत्कालीन डीएफओ ने एक ही झटके में लगभग दो करोड़ की राशि हड़प कर ली थी। इस मामले की शिकायत होने पर डीएफओ के खिलाफ हुई जांच में पुष्टि हुई। बहरहाल, देर आये दुरुस्त आये, की तर्ज पर राज्य सरकार नें आरोपी डीएफओ अशोक कुमार पटेल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। उनके निलंबन अवधि में बीजापुर के डीएफओ राम कृष्णा को सुकमा का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।