छत्तीसगढ़ में आयुष्मान कार्ड घोटाला, 2 दर्जन से ज्यादा अस्पतालों में छापेमारी के बाद FIR की तैयारी, केंद्रीय फंड पर सेंधमारी से अलर्ट पर सीबीआई, गरीबों के इलाज की योजना को उद्योगपति डॉक्टरों ने फायदे के धंधे में ऐसे किया तब्दील…

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रायपुर: भारत सरकार की आयुष्मान कार्ड योजना पर छत्तीसगढ़ के कई नामी-गिरामी उद्योगपति डॉक्टरों ने पलीता लगा दिया है। उनके अस्पतालों को गरीबों के इलाज के एवज में सालाना करोड़ों का भुगतान किया जा रहा था। जबकि ऐसे अस्पतालों में ना तो सम्बंधित बीमारी के विशेषज्ञ डॉक्टर है, और ना ही आयुष्मान कार्ड योजना के नियमों के तहत डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ। इसके बावजूद भी सरकार की आँखों में धूल झोंकते हुए कई अस्पतालों ने इस योजना का आर्थिक फायदा उठाने में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी थी। इस गोरखधंधे की भनक लगते ही छत्तीसगढ़ सरकार ने 2 दर्जन से ज्यादा अस्पतालों में छापेमारी कर कई दस्तावेज समेत अन्य साक्ष्य बरामद किये है। इन निजी अस्पतालों द्वारा आयुष्मान योजना के तहत फर्जी और अवैध क्लेम कर प्रतिमाह करोड़ों की राशि बतौर भुगतान प्राप्त की जा रही थी। 

बताया जा रहा है कि आयुष्मान योजना को गैरकानूनी गतिविधियों से फायदे का धंधा बनाने वाले अस्पतालों और उनके संचालको के खिलाफ राज्य सरकार ने कड़ाई बरतना शुरू कर दिया है। आयुष्मान कार्ड योजना और शहीद वीर नारायण सिंह स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत फर्जी व अवैध क्लेम करने वाले मेडिकल संस्थानों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग ने छापेमार कार्रवाई की है। प्रदेश के कई निजी अस्पतालों में आधी रात छापेमारी से हड़कंप है। बताया जा रहा है कि दिन-रात जारी कार्यवाही में कई अस्पतालों की असलियत उजागर हो गई है। 
छापेमारी के दौरान प्रशासन की टीम को कई चौकाने वाले फर्जी मेडिकल क्लेम हाथ लगे है।

जानकारों के मुताबिक प्रदेश के कई बड़े मल्टीस्पेशलिटी सुविधाओं से लैस अस्पतालों का दावा करने वाले संचालकों पर अब गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है। इन अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर व सुविधाओ के उपलब्ध ना होते हुए भी वे आयुष्मान समेत दूसरी जनहितकारी योजनाओं का बेजा लाभ उठा रहे थे। इन मेडिकल संस्थानों में भर्ती मरीजों के आयुष्मान कार्ड के मोटे भुगतान के लिए फर्जी मेडिकल रिपोर्ट का सहारा भी लिया जा रहा था।

ऐसी रिपोर्ट उद्योगपति डॉक्टरों द्वारा तैयार की जाती थी। ताकि मरीजों के इलाज का मोटा क्लेम किया जा सके। बताया जाता है कि आयुष्मान योजना के तहत लाभ उठाने वाले ऐसे अस्पतालों को हर साल करोड़ों का भुगतान किया जा रहा था। जांच दल के सदस्यों के मुताबिक मल्टीस्पेशलिटी सुविधा का दावा करने वाले कई अस्पताल गली-कूचों में ऐसे स्थानों पर है, जहाँ एम्बुलेंस और आम आवाजाही दूभर है, यहाँ सड़क तक नहीं है। यही नहीं विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ-साथ पैरामेडिकल स्टाफ भी नदारद पाया गया। ज्यादातर अस्पतालों में गिना-चुना स्टाफ नजर आया।

छापेमारी के बाद प्रदेश के मेडिकल कारोबार और अस्पताल संचालक उद्योगपतियों के बीच गहमागहमी देखी जा  रही है। सरकारी कार्यवाही से बचने के लिए संदेही डॉक्टरों ने हाथ पैर मारना शुरू कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग ने 14 व 15 फरवरी को रायगढ़ जिले में 6 से ज्यादा निजी अस्पतालों में छापेमारी की थी। इस टीम में डॉक्टरों के अलावा बायो मेडिकल इंजीनियर भी थे। रायपुर, महासमुंद जिले के कई अस्पतालों में भी टीम ने दस्तक दी थी। स्वास्थ्य विभाग ने 10 फरवरी को 28 अस्पतालों में अनियमितता मिलने पर सभी को कारण बताओ नोटिस जारी किये थे। इस मामले में संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर 15 अस्पतालों का पंजीयन एक वर्ष के लिए निरस्त कर दिया था। जबकि 4 अस्पतालों को 6 माह के लिए और अन्य 4 को 3 माह के लिए निलंबित किया गया था।

इस दौरान 5 अस्पतालों को चेतावनी जारी कर समझाइश दी गई थी।  सूत्र तस्दीक कर रहे है कि अब ऐसे अस्पतालों के खिलाफ मेडिकल एक्ट और IPC के तहत FIR दर्ज कर विवेचना की जाएगी। उधर छापेमारी दल में शामिल कई सदस्य तस्दीक कर रहे है कि इस कार्रवाई से कई अस्पतालों की अनियमितता और अयोग्यता सामने आ रही है। उनके मुताबिक दोषी डॉक्टरों और उनके संस्थानों के खिलाफ FIR दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाएगी।

यह भी बताया जाता है कि प्रदेश में आयुष्मान योजना के फर्जी भुगतान मामले को लेकर केंद्रीय जांच एजेंसियां भी सक्रिय हो गई है। दरअसल, जनहिरकारी स्वास्थ्य योजनाओं का केंद्रीय फंड के जरिये संचालन किया जाता है। इस कड़ी में आयुष्मान कार्ड योजना भारत सरकार की महती योजनाओं में शामिल है।