रायपुर: देश-प्रदेश में ईद की छटा बिखरी है। राजनैतिक गलियारों में रोजा-इफ्तार से फुर्सत पाने के बाद कई नेताओं ने ईद के मौके पर मतदाताओं को गले लगाया है। छत्तीसगढ़ में भी ईद का त्यौहार जोर-शोर से मनाया जा रहा है। बीजेपी और कांग्रेस से लेकर कई स्थानीय दलों के नेता ईद मिलन कार्यक्रम में व्यस्त नजर आ रहे है। इस आपा-धापी में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के समर्थक भी सक्रिय बताये जाते है।

यह भी बताया जाता है कि इस गुट ने सालाना मनाए जाने वाले ‘अप्रैल फूल’ महोत्सव की खासी तैयारी की है। इस अवसर पर गैंग के सदस्यों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये है। जानकारी के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री का गुट वर्ष 2018 से साल दर साल 1 अप्रैल को ‘अप्रैल फूल’ दिवस के रूप में मनाता है। इस दिन वर्ष 2018 में कांग्रेस के द्वारा घोषित ‘मैनिफेस्टो’ (पार्टी घोषणापत्र) की पूजा की जाती है।

उसे याद कर राजनैतिक संरक्षण में फले-फूले शराब, कोल, रेत और विभिन्न अपराधों में पारंगत विभिन्न गिरोह के सरगनाओं को सम्मानित किया जाता है। उनकी हौसला अफजाई के लिए कई इलाकों में सामूहिक भोज कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते है। छत्तीसगढ़ में आज मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री के इस तीज-त्यौहार पर जनता की निगाहे लगी हुई है.

राजनैतिक गलियारों से मिली जानकारी के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री साल दर साल कांग्रेस के शत प्रतिशत वादों के पूरा होने का संकल्प दोहराते रहे। लेकिन पूर्ण शराबबंदी तो दूर खुद शराब के कारोबार में पूरी तरह से समां गए। उन्होंने जहाँ 2200 करोड़ के शराब घोटाले को अंजाम दिया, वही प्रदेश की एक बड़ी आबादी को नशे की गर्त में धकेलने में जरा भी देरी नहीं की।

पूर्व मुख्यमंत्री ने शराबबंदी से हाथ पीछे खींचते हुए नशे के दंश लोगों पर खूब चुभाये, गांव-गांव में शराब की दुकाने खोल दी। लोगों को पीने का आदी बना दिया। ग्रामीण आबादी को 5 रुपये किलों वाला गोबर बिनने में व्यस्त कर दिया। जबकि खुद कोयले के अवैध कारोबार में जुट गए। 700 करोड़ का कोल खनन परिवहन घोटाला बघेल के मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठने के बाद अंजाम दिया गया था। बघेल के हाथ यही नहीं थमे, कोल कारोबारियों से 25 रुपये टन अवैध लेव्ही वसूलने के लिए गब्बर सिंह टैक्स थोप दिया गया। इसके तहत छत्तीसगढ़ शासन के पारदर्शी ऑनलाइन सिस्टम को ऑफलाइन कर सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ किया गया।

कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद प्रदेश के लाखों शिक्षित बेरोजगार के अरमानों पर भी पानी फेर दिया गया। हर माह ढाई हज़ार रूपए के लिए रास्ता देखते-देखते वक़्त बीत गया। वर्ष 2018 में किये गए वादे 2023 ख़त्म होते तक भी पूरे नहीं किये गए थे। इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले कई पत्रकारों तक को तत्कालीन मुख्यमंत्री ने झूठे मामलों में फंसा कर जेल दाखिल करा दिया था।

असल में भूपे का कार्यकाल दहशत और राजनैतिक गुंडागर्दी का प्रमुख अखाड़ा बन चूका था। दिसंबर माह के पहले हफ्ते में मतदाताओं को आभास हुआ था कि वे मूर्ख बनाये गए है, कांग्रेस का वादा – ‘थोथा चना बाजे घना’ नजर आने के बाद मतदाताओं ने बघेल के अप्रैल फूल महोत्सव पर विराम लगा दिया। आखिरकार मताधिकार का उपयोग कर जनता ने आतंक और लूटपाट की भूपे सरकार को रुखसत कर दिया।

प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में विष्णुदेव साय की ताजपोशी हुई। राजनीति के जानकार बताते है कि अब प्रदेश में बघेल के ‘अप्रैल फूल’ की सिर्फ यादे ही शेष बची है, मतदाता जागरूक हो गए है। ये पब्लिक है, सब जानती है। छत्तीसगढ़ की करीब ढ़ाई करोड़ की आबादी को कांग्रेस ने विश्वास दिलाया था कि सत्ता में आने के बाद प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी लागू की जाएगी। इसके लिए गंगा जल लेकर कसमे भी खाई गई थी।

पार्टी घोषणा पत्र में संकल्प लिया गया था कि शिक्षित बेरोजगारों को प्रतिमाह ढ़ाई हज़ार रुपये बेरोजगारी भत्ता दिया जायेगा। इसके अलावा कई लोक-लुभावन वादे भी किये गए थे। लेकिन साल दर साल पूरे 5 वर्ष बीत गए। मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठने के बाद बघेल ने पार्टी घोषणा पत्र में कांग्रेस के वादों से पल्ला झाड़ लिया। उन संकल्पों को पूरा करना तो दूर किसी पेशेवर गिरोह की तर्ज पर कुर्सी में बैठे सत्ता के शीर्ष ने सरकारी तिजोरी पर ही हाथ साफ करना शुरू कर दिया।

उसने कई घोटालों को अंजाम दिया। भ्रष्टाचार की लंबी फेहरिस्त प्रदेश और केंद्र की जांच एजेंसियों के टेबल में अब मुँह बांये पड़ी है। पूर्व मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र कई अधिकारी जेल की हवा खा रहे है। लबरा राजा के भी सीबीआई के हत्थे चढ़े जाने का अंदेशा जाहिर किया जा रहा है। फ़िलहाल, अप्रैल फूल का ग्रेंडगाला पार्टी के प्रति समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ताओं को मुँह चिढ़ा रहा है।