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CG Coal Scam Case: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल मुश्किल में, आईएएस रानू साहू, समीर बिश्नोई और डिप्टी कलेक्टर सौम्या के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज, टुटेजा के बेटे यश की भी तलाश में ED…..

रायपुरः CG Coal Scam Case: छत्तीसगढ़ में 700 करोड़ के कोल घोटाले में निलंबित IAS रानू साहू, और समीर बिश्नोई के खिलाफ एक नया प्रकरण EOW ने दर्ज किया है। रायगढ़ की तत्कालीन कलेक्टर रानू के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की उप सचिव और डिप्टी कलेक्टर सौम्या चौरसिया के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज किया गया है। इन तीनों अधिकारियों ने पूर्ववर्ती सीएम भूपे के राज में अरबो कमाए। पिछले 5 वर्षों में इन अधिकारियों की चल – अचल संपत्ति आसमान छू रही है। देश – प्रदेश में इनके बड़े भूखंड, बंगले और कई बोगस कंपनियों में बड़ा निवेश पाया गया है।

हालांकि ये अधिकारी अभी जेल में है, लेकिन इनकी आकूत संपत्ति उन लोगों को मुँह चिड़ा रही है, जो कायदे कानूनों के तहत सरकारी सेवा में कार्यरत है। अब EOW और ACB में तीनों के खिलाफ एक और नया मामला, आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज किया गया है। यह तीनों FIR अलग-अलग दर्ज की गई है। ईओडब्ल्यू ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि सौम्या चौरसिया और उनके परिवार के नाम 9 करोड़ 20 लाख रुपए की 29 अचल संपत्ति होने की पुष्टि हुई है।

रानू साहू पर साल 2015 से 2022 तक करीब चार करोड़ रुपए की अचल संपत्ति खुद के नाम से और पारिवारिक सदस्यों के नाम से खरीदने का मामला सामने आया है। जबकि उनके सेवा में आने के बाद से 2022 तक का कुल वेतन 92 लाख रुपए बताया गया है। रानू साहू कोरबा और रायगढ़ जिले में कलेक्टर रह चुकी है। यही हाल समीर बिश्नोई का बताया जाता है। ताजा खबरों के मुताबिक सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने रानू साहू और दीपेश टांक को अंतरिम जमानत मंजूर की गई है। कानून के जानकार बताते है कि EOW में दर्ज इस नए आपराधिक प्रकरण के चलते आरोपियों की रिहाई का मामला खटाई में पड़ गया है।

वे भी निलंबित होने से पूर्व खनिज विभाग के सचिव के अलावा ‘चिप्स’ छत्तीसगढ़ इन्फोटेक प्रमोशन सोसाइटी में मलाईदार ओहदे पर भी तैनात थे। इसका कार्य राज्य में इन्फॉर्मेंशन टेक्नोलॉजी के विकास, आईटी एवं ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के कार्यान्वयन को बढ़ावा देने के लिए नोडल एजेंसी और प्रमुख प्रेरक के रूप में कार्य करना है। सूत्रों के मुताबिक बिश्नोई के खिलाफ EOW के अलावा ED की जांच अभी भी जारी है।

जानकारी के मुताबिक साल 2010 से 2022 तक उनका कुल वेतन 93 लाख रुपए है। इस कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपनी पत्नी प्रीति गोधरा के नाम से 5 करोड़ रुपए की कई अचल संपत्ति ले रखी है। जो उनके वेतन से 500 गुना ज्यादा है। बताया जाता है कि आरोपी अधिकारीयों ने सिंडिकेट बनाकर कई सौ करोड़ की अवैध वसूली की थी। यह चल – अचल संपत्ति का आंशिक ब्यौरा बताया जाता है।

सूत्रों के मुताबिक आरोपी अफसरों की चल – अचल संपत्ति 2 हज़ार करोड़ से ज्यादा आंकी गई है। उनके कई कच्चे – पक्के सौदे बाजार में सक्रीय है। लोग, अचरज में है कि एजेंसियों ने ‘ऊंट के मुँह में जीरा’ की तर्ज पर आरोपियों की आंशिक संपत्ति जब्त करने में ही अभी तक कामयाबी हासिल की है। जबकि आरोपियों ने कई रियल एस्टेट कारोबारियों के साथ मिलकर अरबों का निवेश किया है।

रायपुर शहर में कई व्यावसायिक काम्प्लेक्स और भूखंडों पर मालिकाना हक़ वाला चस्पा ‘दाऊ’ नाम का बोर्ड भी इसी सिंडिकेट का बताया जाता है। कोल परिवहन घोटाले में व्यापारियों और उद्योगपतियों से अवैध वसूली करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश पर समीर बिश्नोई ने ऑनलाइन परमिट सिस्टम को ऑफलाइन कर दिया था। खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर बिश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को इसके लिए आदेश जारी किया था।

कोयले की अफरा – तफरी सिंडिकेट बनाकर की जाती थी। बताते है कि घोटाले का मास्टरमाइंड ‘किंगपिन’ कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी को बताया जाता है। इस गिरोह के माध्यम से ही कारोबारियों और व्यापारी से 25 रुपए प्रति टन के हिसाब से अवैध वसूली की जाती थी। यह रकम आरोपी सूर्यकांत तिवारी के कर्मचारियों के पास जमा की जाती थी।

बताते है कि खनिज विभाग में चढ़ोत्तरी के बाद ही पीट परमिट और परिवहन अनुज्ञा जारी की जाती थी। इस तरह से कोल स्कैम कर साल भर में 700 करोड़ से ज्यादा पर आरोपियों ने हाथ साफ़ किया था। छत्तीसगढ़ में अवैध कोल लेवी वसूली समेत कई घोटालों में सुर्ख़ियों में रहे रिटायर प्रमोटी आईएएस अनिल टुटेजा के पुत्र यश टुटेजा पर भी एजेंसियों का शिकंजा लगातार कसते जा रहा है। अनिल टुटेजा इन दिनों जेल की हवा खा रहे है, जबकि उनके पुत्र यश टुटेजा की तलाश में ईडी अपने हाथ – पांव मार रही है। सूत्रों के मुताबिक अनिल टुटेजा ने बड़े पैमाने पर अवैध कमाई का एक हिस्सा अपने पुत्र यश टुटेजा और दामाद के नाम कर रखा है। यही नहीं बिलासपुर में भी टुटेजा एंड कंपनी ने शहर के कई बड़े होटल, व्यावसयिक काम्प्लेक्स और भूखंडों की खरीदी की है।

इन्हे ब्लैक से वाइट करने के लिए भी इन्ही वर्षों में तिकड़म की गई थी। यह भी बताया जाता है कि टुटेजा ने ब्लैक मनी ठिकाने लगाने के लिए दुबई तक अपने संपर्क सूत्र स्थापित किये थे। देश प्रदेश में टुटेजा एंड कंपनी के कई बोगस सौदे भी सामने आये है। बताते है कि टुटेजा ने सुपर सीएम के रूप में खुद को स्थापित किया था। मुख्यमंत्री और उनका कार्यालय टुटेजा की उँगलियों में नाचता था। कई आईएएस, आईएफएस और आईपीएस अफसर सौम्या और टुटेजा के आगे नत मस्तक होते नजर आते थे। हालांकि अब खुद आरोपी अनिल टुटेजा जेल में तो उनका पुत्र यश टुटेजा प्रदेश से फरार बताया जाता है। बताते है कि ED को उसकी तलाश है।

सूत्र दावा कर रहे है कि यश टुटेजा कभी भी ED के हत्थे चढ़ सकते है। बताया जाता है कि रायपुर के कटोरा तालाब इलाके से लेकर विभिन्न जिलों में टुटेजा एंड कंपनी ने अरबों की जमीन की खरीद फरोख्त की थी। इसके कच्चे – पक्के सौदे भी अब तेजी से ठिकाने लगाए जा रहे है। फ़िलहाल यश टुटेजा भूमिगत बताये जा रहे है। जबकि एजेंसियां उनकी तलाश में जोर – शोर से जुटी हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के घोटालेबाज अफसरों की दांस्तान काफी रोचक बताई जाती है। इस गिरोह के खिलाफ आने वाले दिनों और भी कई मामले दर्ज किये जा सकते है।

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