केंद्र सरकार का दावा , राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन से मिली 90 लाख की फंडिंग , केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने किया खुलासा , गरमाया राजनैतिक पारा , कानून मंत्री के गंभीर आरोप , कांग्रेस की प्रतिक्रिया का इंतजार  

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नई दिल्ली वेब डेस्क / देश के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के एक दावे ने राजनैतिक गलियारों में खलबली मचा दी है | देश के कानून मंत्री कैसे झूठ बोल सकते है , यही नहीं रविशंकर प्रसाद जाने माने वकील भी है | लिहाजा उनका दावा मायने रखता है | उन्होंने कहा है कि चीन ने राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए फंडिंग की है | कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन ने पैसे दिए है | कांग्रेस ये बताए कि चीन से उसका प्रेम कैसे बढ़ गया ? रविशंकर प्रसाद ने यह भी कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में ही चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा किया था |  उन्होंने कहा कि एक कानून है जिसके तहत कोई भी पार्टी बिना सरकार की अनुमति के विदेश से पैसा नहीं ले सकती | लिहाजा कांग्रेस स्पष्ट करे कि इस चीनी डोनेशन के लिए क्या सरकार से मंजूरी ली गई थी?

दरअसल इन दिनों कांग्रेसी नेता राहुल गांधी , सोनिया गाँधी और प्रियंका लगातार चीन हमले को लेकर केंद्र पर सवालियां निशान लगा रहे है | उनके सवालों से राजनीति गरमाई हुई है | लिहाजा राजीव गांधी फाउंडेशन को लेकर रविशंकर प्रसाद का हमला केंद्र सरकार के पलटवार के रूप में देखा जा रहा है | हालांकि उनके इस दावे पर कांग्रेस की ओर से अभी तक कोई अधिकृत प्रतिक्रिया नहीं आई है | राजीव गांधी फाउंडेशन ने भी कोई जवाब नहीं दिया है |  

उधर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए डोनर की सूची 2005-06 की है |  उन्होंने दावा किया कि चीन से फाउंडेशन को 90 लाख की फंडिंग की गई है | कानून मंत्री ने एक और सवाल खड़े करते हुए कहा कि एक कानून है फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेटरी एक्ट 1976 | इसमें धारा चार, पांच, छह और तेईस में कहा गया है कि कोई भी उम्मीदवार विदेश से पैसा नहीं ले सकता | कोई भी राजनीतिक पार्टी विदेश से पैसा नहीं ले सकती | कोई भी राजनीतिक टाइप का संगठन, बिना सरकार के अनुमति के विदेशी फंड नहीं ले सकती. मेरा मानना है कि राजीव गांधी फाउंडेशन एक प्रकार से कांग्रेस का एक्सटेंशन था. क्या उन्होंने चीन से पैसा लेने से पहले केंद्र सरकार की अनुमति ली थी? 

उन्होंने सवाल खड़े करते हुए कहा कि कानून के मुताबिक कोई भी संस्थान अगर विदेशी फंड लेता है तो उसे इससे संबंधित सभी जानकारी सरकार को देनी होती है. क्या राजीव गांधी फाउंडेशन ने सरकार को चीन से लिए गए डोनेशेन की जानकारी दी थी? क्या उन्होंने बताया था कि किन शर्तों पर डोनेशन लिया और आपने इसका क्या उपयोग किया? अगर आपने जानकारी नहीं दी तो क्यों नहीं दी और अगर दी तो क्या ये बताया कि हम चीन के साथ फ्री ट्रेड के बदले में ये पैसा ले रहे हैं?  

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि क्या ये सब सोची समझी रणनीति के तहत हुआ, जिसके बाद कांग्रेस की सरकार में भारत और चीन के बीच व्यापारीय घाटा तैंतीस गुना बढ़ गया. कांग्रेस पार्टी जवाब दे कि आखिर चीन के प्रति इतना प्रेम क्यों उमड़ गया था कि पार्टी के साथ एमओयू साइन हो रहे थे? राजीव गांधी फाउंडेशन को चीनी दूतावास पैसा दे रही है उन्होंने कहा कि एक समय कांग्रेस के राज में चीन को अपने देश का इतना बड़ा भूभाग दे दिया. दस साल से शासन में कांग्रेस के लोग चीन के सामने घुटने टेके हुए थे. इसलिए जब कभी चीन को लेकर सवाल उठते थे उनके रक्षा मंत्री प्रभावी जवाब नहीं देते थे  

सरकार से जुड़े सूत्रों ने जानकारी दी है कि भारत स्थित चीनी उच्चायोग, राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए लंबे वक्त से फंडिग करता रहा है. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, राजीव गांधी फाउंडेशन की चेयरपर्सन हैं. जबकि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी इस बोर्ड के सदस्य हैं. राजीव गांधी फाउंडेशन की सलाना रिपोर्ट के मुताबिक साल 2005-06 में आरजीएफ को चीनी दूतावास की तरफ से डोनेशन मिला था. चीनी दूतावास को सामान्य दाताओं की सूची में रखा गया है.

जानकारी के मुताबिक डोनेशन देने की शुरुआत तब हुई जब राजीव गांधी फाउंडेशन ने कई सारे स्टडीज का हवाला देते हुए यह बताने की कोशिश की थी कि भारत और चीन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) यानी कि बिना रोक-टोक के आयात-निर्यात का होना बेहद जरूरी है | फ़िलहाल इस खुलासे के बाद कांग्रेस के जवाब का इंतजार किया जा रहा है | देखना होगा कि इस मामले को लेकर कांग्रेस बीजेपी और सरकार पर पलटवार करती है या फिर फेस सेविंग में जुटती है |