सीबीआई ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन केंद्रीय चिकित्सा सेवा सोसायटी (सीएमएसएस) में हुए एक बड़े मच्छरदानी खरीद घोटाले की जांच शुरू कर दी है। इस मामले में FIR दर्ज की गई है जिसमें आरोप है कि पीएसयू ने सामान्यतया 49 से 52 रुपये में मिलने वाली कीटनाशक-उपचारित मच्छरदानी को 228 से 237 रुपये प्रति यूनिट की दर पर सीएमएसएस को बेचा।
सीबीआई अधिकारियों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान इंसेक्टिसाइड्स लिमिटेड (एचआईएल) ने 2021-22 में मलेरिया नियंत्रण के लिए मच्छरदानी की आपूर्ति का 29 करोड़ रुपये का अनुबंध जीईएम पोर्टल पर सीएमएसएस से प्राप्त किया। अपनी विनिर्माण क्षमता सीमित होने के बावजूद, एचआईएल एकमात्र बोलीदाता था जिसने प्रति यूनिट 228 से 237 रुपये की कीमत कोट की। इसके बाद एचआईएल ने उप-ठेका सूचीबद्ध विक्रेताओं को दिया, जिन्होंने कच्चा माल और रसायन उपलब्ध कराए, जबकि उत्पादन और कीटनाशक उपचार का काम अन्य विक्रेताओं ने किया।
FIR में आरोप लगाया गया है कि कम बोली लगाने वाली कंपनी शोभिका इम्पेक्स को दरकिनार कर एचआईएल के अधिकारियों ने खरीद प्रक्रिया को गड़बड़ाया। ऑर्डर अंततः मोहिंदर कौर निटिंग प्रा. लि. को दिया गया, जो विनिर्माण क्षमता नहीं रखती थी। वास्तविक उत्पादन कंपनी वीकेए पॉलिमर्स ने किया, जिसने जेपी पॉलिमर्स को 49-52 रुपये प्रति यूनिट दर से जाल बेचा।
एफआईआर में कहा गया है कि इस पूरे चक्र में सीएमएसएस को लगभग 6.63 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जबकि एचआईएल और उसके बिचौलियों ने लाभ कमाया। वीकेए पॉलिमर्स और जेपी पॉलिमर्स के बीच भी घनिष्ठ संबंध बताए जा रहे हैं। सीबीआई इस मामले की गहन जांच कर रही है और भ्रष्टाचार की पूरी गुत्थी सुलझाने की कोशिश कर रही है।
