नई दिल्ली/लखनऊ/रायपुर: छत्तीसगढ़ में 2200 करोड़ के शराब घोटाले में अब नया मोड़ आ गया है। क़ानूनी- दांवपेचों के चलते प्रभावशील आरोपियों की जमानत की राह सुनिश्चित हो गई है, इसका मुख्य कारण एक बार फिर जांच एजेंसियों के क़ानूनी दांवपेचों में फंसना बताया जा रहा है। इसका बड़ा खामियाजा अब ED को भी उठाना पड़ रहा है। उसकी साख पर सवालिया निशान लगने लगे है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार ने पैनी निगाह रखी हुई थी। लिहाजा राज्य सरकार मामले की सीबीआई जांच से भी परहेज नहीं करेगी। बताया जा रहा है कि क़ानूनी फैसले को गंभीरता से लेते हुए योगी सरकार अपील के साथ-साथ घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश पर भी विचार कर रही है।
उधर सुप्रीम कोर्ट के नए फरमान को लेकर छत्तीसगढ़ का विधि विभाग भी सक्रीय हो गया है। कानून के जानकारों ने इस अंतर्राजीय मामले को लेकर छत्तीसगढ़ की ओर से ही सीबीआई जांच कराये जाने पर जोर दिया है। दरअसल शराब घोटाले से जुड़े नकली होलोग्राम मामले में यूपी STF की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इसका सीधा लाभ आरोपी विधु गुप्ता समेत अन्य प्रभावशील आरोपियों को सहज प्राप्त होने वाली जमानत की आशंका के रूप में देखा जा रहा है। UP STF ने इस मामले में होलोग्राम बनाने वाली प्रिज्म कंपनी के मालिक विधु गुप्ता को गिरफ्तार किया गया था।
इसके बाद रायपुर से आरोपी कारोबारी अनवर ढेबर, दागी आईएएस अनिल टुटेजा और आबकारी विभाग के तत्कालीन सचिव एपी त्रिपाठी को भी अपने कब्जे में लेकर पूछताछ की थी। मामले की विवेचना के दौरान सुप्रीम कोर्ट का फैसला तगड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। आरोपी विधु गुप्ता की याचिका पर कोर्ट ने तरोताजा फैसला सुनाया है। इसके पूर्व शराब घोटाला मामले में आरोपी अनिल टुटेजा की एक अन्य याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ED की ECIR ख़ारिज कर दी थी।
हालांकि इस दौरान मामले को जीवित रखने के लिए ED को नई ECIR दर्ज करनी पड़ी थी। इससे पहले की शराब घोटाले की विवेचना अंजाम तक पहुंचती सुप्रीम कोर्ट ने जांच पर रोक लगा दी है। उसका यह नया फैसला एजेंसियों को क्या रंग दिखाता है, यह तो वक़्त ही बताएगा।
लेकिन दिल्ली से बड़े शराब घोटाले की जांच में आ रहे लगातार अवरोध बीजेपी सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर भारी पड़ रहे है, उसे चुनौती देने में पीछे नहीं है। कानून के जानकारों के मुताबिक शराब घोटाले की अब सीबीआई जांच बेहद अहम् है। जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला मामले में ED ने नोएडा के कासना में FIR दर्ज करवाई थी। इसकी जांच यूपी STF कर रही है। इस FIR के आधार पर ही यूपी STF ने अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर और अरुण पति त्रिपाठी को गिरफ्तार किया था।
नकली होलोग्राम केस में विधु गुप्ता के खिलाफ दर्ज FIR को आरोपी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। यहाँ फैसला आरोपियों के पक्ष में नहीं आया था। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ आरोपी ने याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की। इसमें नोएडा के कासना थाने में दर्ज FIR को चैलेंज किया गया था। बताया जाता है कि कोर्ट के संज्ञान में लाया गया था कि शराब घोटाले में रकम का आंकड़ा छत्तीसगढ़ EOW, ED और UP-STF तीनों ही एजेंसियों के अलग-अलग है।
इसके अलावा कई क़ानूनी दांवपेचों का सहारा लेकर दर्ज FIR के तथ्यों पर भी सवालियां निशान लगाया गया था। इस FIR में आबकारी विभाग के तत्कालीन विशेष सचिव एपी त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर, रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के तत्कालीन कमिश्नर निरंजन दास और होलोग्राम सप्लाई करने वाली प्रिज्म कंपनी के डायरेक्टर विधु गुप्ता का नाम शामिल किया गया था। बताते है कि अदालत के स्टे से आरोपियों की जमानत सुनिश्चित मानी जा रही है। वहीं, मेरठ कोर्ट ने अनिल टुटेजा की ओर से पेश आवेदन को मंजूर करते हुए टुटेजा को छत्तीसगढ़ वापस भेजने की अनुमति प्रदान कर दी है। बताते है कि एक दो दिन में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के खास तत्कालीन सुपर सीएम मेरठ से रायपुर के लिए रवानगी डालेंगे।