News Today Exclusive: छत्तीसगढ़ में नौकरशाही में भगदड़,CBI की आहट पाते ही देश-विदेश भागने की होड़,पूर्व चीफ सेकेट्री विवेक ढांड पहुंचे लंदन,लम्बी छुट्टी की लम्बी फेहरिस्त सुर्खियों में….

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छत्तीसगढ़ में पौने पांच सालो में दागी नौकरशाहो की समस्त श्रोतो से अर्जित संपत्ति का अब जहां केंद्रीय एजेंसियों ने हिसाब-किताब शुरू कर दिया है,वही बचे कूचे महीनो में कई IAS,IPS और IFS अफसरों ने अपनी नौकरी दांव पर लगाने के बजाए सरकारी दफ्तरों से दूरिया बनाना ही मुनासिब समझा है,इस भीड़ में वो चुनिंदा नौकरशाह सुर्खियां बटोर रहे है,जो इन वर्षो में मुख्यमंत्री बघेल की टोली में महत्वपूर्ण पदों पर काबिज थे। लेकिन अब मुखयमंत्री बघेल से ही कन्नी काटने लगे है। बताते है कि CBI की आहट पाते ही तनाव में आए ऐसे दागी अफसर देश विदेश की सैर पर है। जबकि बघेल की लुटिया अब मझदार में बताई जा रही है। दरअसल इस पंजाबी बाग़ के मुखिया विवेक ढांड के देश छोड़ देने से बघेलखण्ड गिरोह में खलबली मच गई है।

दिल्ली/मुंबई/रायपुर: छत्तीसगढ़ में नौकरशाही में भगदड़ मच गई है,ED के बाद CBI की दस्तक की सूचना मिलते ही पूर्व चीफ सेकेट्री विवेक ढांड देश छोड़ कर विदेश भाग गए है। जबकि दुर्ग रेंज के IG आनंद छाबड़ा अपनी IFS पत्नी समेत छुट्टी पर बताए जा रहे है।

बताते है कि कवर्धा में शक्कर कारखाने में बतौर एमडी पद स्थापना के दौरान IFS शालिनी रैना ने करोडो की आर्थिक गड़बड़िया की थी,इसकी जांच सालो से लंबित थी। उनके IPS पति आनंद छाबड़ा ने बतौर कवर्धा एसपी इन मामलों की जांच नहीं होने दी थी। शिकायतकर्ताओं ने अब मय सबूत एजेंसियों को इस दंपत्ति का काला चिटठा सौंपा है। यही हाल आनंद छाबड़ा की कार्यप्रणाली का भी है।

बताते है कि मुखबिरी फंड का सालाना करीब 30 करोड़ रूपए छाबड़ा ने खुद के ऐशो आराम में खर्च कर दिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हितो पर सरकारी संसाधान लुटाने वाले 2001 बैच के इस IPS अधिकारी के काले कारनामो से पुलिस महकमा शर्मसार बताया जाता है। नक्सली मोर्चो पर केंद्र और राज्य सरकार को जान माल का जबरदस्त नुकसान आए दिन इसी अधिकारी के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण उठाना पड़ रहा है। 

छत्तीसगढ़ में कोल खनन परिवहन,चिप्स और आबकारी घोटालो की जांच जोरो पर है। इस बीच नौकरशाहो और राजनेताओ के बेनामी काले धन की शिकवा शिकायते आम होती चली है।कोलकाता में एक व्यापारी की शिकायत के बाद भिलाई में निवासरत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल परिवार के टोलियो पर CBI का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। 54 करोड़ के शेयर घोटालो के पुख्ता सबूत कोलकाता में सामने आने के बाद CBI ने भिलाई के पद्मनाभपुर में कई ठिकानो पर छापेमारी कर कोठारी बंधुओ को धर दबोचा था।

सूत्र बताते है कि छापेमारी में कई शैल कंपनियों और उसमे राजनेताओ और नौकरशाहो के निवेश का काला चिटठा मिला है। बताते है कि केंद्रीय एजेंसियों की सक्रियता के चलते दागी अफसरों के लिए हालात अब जोखिम भरे हो गए है। लिहाजा कई नौकरशाह लम्बी छुट्टी में निकल कर अपना काला धन ठिकाने लगाने की मुहिम में जुट गए है।  

एजेंसियां इसकी जांच आबकारी आयुक्त एपी त्रिपाठी और विवेक ढांड ने आगे-पीछे देश छोड़ने का फैसला किया था। इसके लिए विदेशो में बसे नाते-रिश्तेदारों को माध्यम बनाया गया था। बताते है कि एजेंसियों को चकमा देने के लिए दोनों ही अफसरों ने कभी एक साथ तो कभी अलग-अलग मुंबई और दिल्ली दौरे कर देश से भाग निकलने का फूल प्रूफ प्लान तैयार किया था।

सूत्रों के मुताबिक ब्लैक मनी खपाने के दो अलग-अलग मामलों में रेरा के तत्कालीन चेयरमैन विवेक ढांड के खिलाफ लंबित मामलों की जांच आयकर और ED के हवाले है। राज्य के 1 हजार करोड़ के समाज कल्याण विभाग घोटाले में विवेक ढांड नामजद है,बिलासपुर हाई कोर्ट ने इस मामले की CBI जांच के निर्देश दिए थे। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। मुख्यमंत्री बघेल की अगुवाई में विवेक ढांड ही तमाम बड़े प्रशासनिक फैसले ले रहे थे। ऐसे में अचानक उनका देश छोड़कर रातो-रात चले जाना चर्चा का विषय बना हुआ है। 

सूत्र बताते है कि ED के आरोपी सूर्यकांत तिवारी,लक्ष्मीकांत तिवारी और सौम्या चौरसिया और कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल के सैकड़ो करोड़ का निवेश खुद विवेक ढांड ने रियल स्टेट कारोबार में कराया है। ब्लैक मनी ठिकाने लगाने के लिए किए गए इस निवेश के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को रेरा ने कम्प्लीट दर्शा कर अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिए है। जबकि मौके पर ना तो निर्माण कार्य की शुरुआत हो पाई और ना ही निर्माण कार्यो ने कही जोर पकड़ा। ऐसे में वो सैकड़ो उपभोक्ता छले गए,जिन्होंने सूर्यकांत तिवारी के प्रोजेक्ट पर प्लाट बुकिंग कराई थी,जमीनों के कच्चे-पक्के सौदे किए थे। 

सूत्रों द्वारा बताया जाता है कि सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत के काले धन खपाने के चर्चित प्रोजेक्ट के पन्ने ED के साथ CBI भी खंगाल रही है। इस बात की भनक दिल्ली के एक वरिष्ठ नौकरशाह के जरिए रायपुर में पहुंचते ही ढांड और एपी त्रिपाठी ने देश छोड़ने का फैसला ले लिया था। दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट पर इन दिनों एयरलाइंस कर्मी छत्तीसगढ़ कैडर के अखिल भारतीय सेवाओं के कई अधिकारियो की यात्राओं को लेकर पसोपेश में है। दरअसल, देश-विदेश की सैर सपाटे में भाग निकलने के लिए नौकरशाही मोटी से मोटी कीमत चुका कर जल्द ही देश छोड़ने में फुर्ती दिखा रहे है,एयरलाइंस एजेंटो के अलावा टूर ऑपरेटर के ठिकानो में सेवाओं के एवज में ब्लैक मनी खपाने के मामले भी सामने आ रहे है। 

देश-विदेश की यात्राओ और अंतर्राष्ट्रीय अय्याशी के लिए कई नौकरशाह अपनी सक्रिय सेवाओ के दौरान जिस बेफिक्री के साथ काला धन ठिकाने लगा रहे थे,बताते है कि ऐसे अफसरों के उनके रिटायरमेंट के बाद भी सरकारी तिजोरी में वित्तीय भार कम नहीं हो पाया है। पुख्ता जानकारी के मुताबिक मंत्रालय समेत मैदानी इलाको में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल संविदा नियुक्ति के नाम पर ऐसे रिटायर्ड अधिकारियों की भर्ती कर रहे है,जो उनके निर्देशों का पालन करने के लिए जेल जाने का भी जिगर रखता हो,ऐसे रिटायर्ड IAS अधिकारियो की सीधी भर्ती की जा रही है,जो सरकारी मशीनरी जाम करने और योजनाओ का रकम डकारने का हुनर रखते है। 

जानकारी के मुताबिक, पूर्व चीफ सेकेट्री, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कथित गुरु रेरा के पूर्व चेयरमैन और नवाचार आयोग के चैयरमेन विवेक ढांड,छत्तीसगढ़ छोड़ लंदन में बसने की तैयारी में है,बताते है कि लंदन में अपना ठिकाना तलाशने के बाद ढांड एंड कंपनी अमेरिकी देशो की यात्रा पर निकल पड़ेगी छत्तीसगढ़ की सरकारी धन संपदा को हथियाने के बाद ढांड का विदेश गमन चर्चा में है। 

सूत्र बताते है कि ढांड समेत कई नौकरशाहो ने पौने पांच सालो में रियल स्टेट समेत देश-विदेश में कई प्रोजेक्ट में निवेश किया है। अरब के मशहूर प्रोजेक्ट “जीनोम”  में छत्तीसगढ़ से अरबो की रकम का हवाला सामने आया है। बताते है कि मामले की ED और CBI में पलट रही फाइल की भनक लगते ही आबकारी सचिव एपी त्रिपाठी और विवेक ढांड दुबई और सिंगापूर के रास्ते लंदन भागने में जुटे थे। लेकिन त्रिपाठी को मौका नहीं मिल पाया,ED ने उसे मुंबई एयरपोर्ट से धर दबोचा जबकि ढांड एंड कंपनी इंडिया से फुर्र हो गई। 

सूत्र बताते है कि सैर सपाटे के नाम पर देश छोड़ने का फैसला दोनों ही अधिकारियो ने रातो-रात लिया था। इसके लिए बाकायदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उनकी सहायता भी की थी। इन अफसरों के रायपुर मुख्यालय छोड़ने,मुंबई दिल्ली नियमित आवाजाही,छुट्टी के आवेदनों की ओपचारिकता समेत तमाम खानापूर्ति करने के बाद देश छोड़ने की अनुमति वाली साजिश में खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शामिल बताए जा रहे है। बताते है कि रेरा के कई आधे-अधूरे प्रोजेक्ट के पूर्ण होने की अनुमति देकर विवेक ढांड ने घोर आपराधिक कृत्यों को अंजाम दिया है। 

छत्तीसगढ़ के बड़े शहरों खासतौर पर रायपुर,बिलासपुर,दुर्ग,रायगढ़ और कोरबा में रियल स्टेट कारोबारियों को अनुचित फायदा पहुंचा कर ढांड का ना केवल देश छोड़ना बल्कि रेरा में घोटालो का एक तरफा प्रभार अपने संगी साथी IFS संजय शुक्ला को सौंपना भी जांच के घेरे में बताया जाता है। बताते है कि खुद बच निकल कर विवेक ढांड ने रेरा की कुर्सी उस IFS अधिकारी को सौंप दी है,जो दागी श्रेणी में है। 

जानकारी के मुताबिक IFS संजय शुक्ला के खिलाफ अपने विभिन्न कार्यकाल में नियम-कायदों के खिलाफ जा कर कार्य करने और पद का दुरुपयोग अपने हितो में करने को लेकर विभागों और शासन के पास कई शिकायतें लंबित है। उनके खिलाफ आयकर समेत विभिन्न एजेंसियां जांच में जुटी है,इसके बावजूद भी बगैर क्लीन चिट प्राप्त किए विवेक ढांड ने रेरा की कुर्सी,अपनी तर्ज पर दागी IFS अफसर को सौंप दी। 

सूत्र बताते है कि रेरा की योग्यता मापदंडो पर खरा ना उतरने के बावजूद दो जजों वाली रेरा अध्यक्ष चयन कमेटी भी खूब सुर्खियां बटोर रही है। बताते है कि अध्यक्ष चयन की औपचारिकता निभाने,ढांड के फैसले पर अपनी मुहर लगाने के लिए इस चयन समिति को भी उपकृत किया गया था। चयन समिति के सदस्यों को भी “रेरा का पेड़ा” मिलने के बाद समिति में शामिल दोनों जजों के फैसले हैरान करने वाले बताए जाते है। रेरा की कार्यप्रणाली से नाराज पीड़ित,चयन समिति के सदस्यों की समस्त श्रोतो से अर्जित संपत्ति की जाँच की मांग कर रहे है। 

छत्तीसगढ़ में सिर्फ विवेक ढांड,आनंद छाबड़ा,सुब्रत साहू ही नहीं कई ऐसे वरिष्ठ अधिकारी जो अखिल भारतीय सेवाओं का धंधा कर रहे थे। इन दिनों अचानक कभी बीमार पड़ने लगे है,तो उन्हें कभी अपने परिजनों की चिंता सताने लगी है। राज्य में विधान सभा चुनाव सिर पर है,नक्सली गतिविधियों से समूचे प्रदेश में वरिष्ठ अधिकारियो के मार्गदर्शन और मंजूरी के बगैर नक्सल उन्मूलन अभियान प्रभावित हो रहा है। मैदानी इलाको में पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था में कसावट की जरुरत है,ऐसे समय जिलों से SP कलेक्टर और रेंज IG का नदारद रहना जनता पर भारी पड़ रहा है। प्रशासनिक सूत्र बताते है कि मुख्यमंत्री की घोषणाओ को अमलीजामा पहनाने में जिन अधिकारियो की जरुरत है, वही इन दिनों देश-विदेश की दौड़ लगा रहे है। 

छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियो का पहले से ही टोटा है,मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अधिकारियो की कमी का रोना रो कर केंद्र से अधिकारियो का कोटा बढ़ाने की मांग भी की थी। समीक्षा बैठकों में केबिनेट को अधिकारियो की कमी और स्थापना व्यय के बारे में ब्रीफ भी किया गया है,बावजूद इसके मुख्यमंत्री भूपेश बघेल क्रियाशील अफसरों को लम्बी छुट्टी पर भेज रहे है। बताते है कि पूर्व में गंभीर कारणों और परिस्थितयां निर्मित होने पर ही एक माह की छुट्टी मंजूर की जाती थी। लेकिन बघेल अचानक छत्तीसगढ़ कैडर के कई अधिकारियो को लम्बी छुट्टी पर भेजकर खुद ब खुद प्रदेश की प्रशासनिक व्यस्था लचर करने में जुटे है,उपरोक्त जानकारी देते हुए एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने नौकरशाही के तनाव से न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ को अवगत कराया है। 

मुख्यमंत्री आवास में आयोजित एक बैठक पर प्रकाश डालते हुए इस अफसर ने बताया कि पुलिस और प्रशासनिक उच्च महकमा इन दिनों मुख्यमंत्री के गैर जिम्मेदाराना रवैये से दो-चार हो रहा है। नाम ना छापने की शर्त में पीड़ित अफसर की दलील है कि ED और CBI के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए मुख्यमंत्री लगातार दबाव बना रहे है।

अनुशासन और कायदे कानून पर जोर देने वाले इस अफसर के मुताबिक, हाथ खड़ा करने के बाद पुलिस महकमे के ऐसे चुनिंदा अधिकारियो को मैदान में उतारा गया है,जो अपनी नौकरी की बर्खास्तगी की राह देख रहे है। उनके मुताबिक पुलिस हिरासत में मौत,फर्जी एनकाउंटर और अपराधों की विभागीय जांच में निशाने पर आए पुलिस अधिकारियों को आपराधिक टास्क दिए जा रहे है,दागी पुलिस अफसरों की अचानक बहाली कर उन्हें कुछ खास इलाको में पद स्थापना दी जा रही है,जहां ED, CBI समेत अन्य जांच एजेंसियों और मुख्यमंत्री के राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ FIR दर्ज की जा सके। 

पुलिस सूत्रों के मुताबिक बस्तर में पुलिस हिरासत में मौत मामले को रफा दफा कर किसी विनीत दुबे नामक पुलिसकर्मी को बघेल सरकार के दुश्मनों को खोज निकालने की कमान सौंपी गई है। उनकी सहायता के लिए अलीम कलीम समेत कई गैंगस्टरों की तर्ज पर कार्य करने वाले पुलिस अधिकारियों को तैनात किए जाने की खबर है।

क्राइम ब्रांच की तर्ज पर गठित मुख्यमंत्री के सीधे संपर्क में रहने वाला यह दस्ता हर हफ्ते उन्हें अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।बताते है कि नव गठित दस्ते को पुलिस मुख्यालय ने अपनी मंजूरी नहीं दी है। बावजूद इसके गृह सचिव द्वारा बगैर ट्रांसफर बोर्ड के अनुमोदन के नई पदस्थापना आदेश जारी कराए जा रहे है। पुलिस मुख्यालय में सुरक्षा मानकों के खिलाफ घटिया उपकरणों की खरीदी ऊंची कीमतों पर की जा रही है। 

छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय सेवाओं के कई अधिकारियो की कार्यप्रणाली “चंबल” के डकैतों से भी ज्यादा खतरनाक बताई जाती है। ये अधिकारी मुख्यमंत्री की सरपरस्ती में गैर कानूनी धंधो को सरकारी कार्य समझ कर अंजाम दे रहे थे। इनकी वजह से छत्तीसगढ़ शासन का कामकाज पटरी से उतर चुका है। सरकारी दफ्तरों में कानूनी कार्यो के लिए चप्पल घसीटनी पड़ रही है,ज्यादातर मामलों में तन मन और धन का अपव्यय हो रहा है। जबकि नक्सली मोर्चे पर खर्च की जाने वाली रकम का बड़ा हिस्सा जरूरतमंद इलाको में पहुँचाने के बजाए कांग्रेस पार्टी के राजनैतिक कार्यक्रमो में खर्च हो रहा है।

फिलहाल राज्य में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भिलाई और पाटन में स्थित आवास-निवास से महज 5 किलोमीटर दूर से CBI ने कोठारी बंधुओ को धर दबोचा है। राज्य में CBI की आमद दरज पर मुख्यमंत्री बघेल ने सरकारी पाबंदी लगा रखी है,इसके चलते अखिल भारतीय सेवाओं के कई अधिकारियों समेत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके परिवार को अवैध उगाही के नए-नए अवसर मिल रहे है। ED की छापेमारी के बीच कई अधिकारियो का सैर-सपाटे के लिए अपना कार्य स्थल छोड़ भाग निकलना प्रशासनिक और राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।