News Today Breaking: छत्तीसगढ़ शासन के मनी लॉन्ड्रिंग सेंटर पर CBI और ED की रेड जारी,करोडो की नगदी आग के हवाले,मुख्यमंत्री बघेल बे’नकाब

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रायपुर/दिल्ली :छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद भूपेश बघेल का एक सूत्रीय लूटमार कार्यक्रम पर अब विराम की घडी तेजी से घूम रही है। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर किसानो और मजदूरों की भलाई का उपदेश देने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की टोली समस्त श्रोतो से प्रतिमाह 1 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम ठिकाने लगा रहे थे।

बताते है कि कभी सरकार के कड़े नियमो का हवाला देकर तो कभी कांग्रेस आलाकमान और गाँधी परिवार को सुख-सुविधा मुहैया कराने के नाम पर उद्योगपतियों और ठेकेदारों से बघेल की टोली सालाना लगभग 20 हजार करोड़ की कमाई कर रही थी। इसके लिए कई शैल कंपनियां भी बनाई गई थी। इन कंपनियों ने झारखण्ड समेत कई राज्यों में अपना कारोबार फैला रखा था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अगुवाई में छत्तीसगढ़ शासन के कई अधिकारी और राजनेता दिन दहाड़े सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ़ कर रहे थे।

वही छत्तीसगढ़ सरकार की जांच एजेंसियां पुलिस,EOW और एंटी करप्शन ब्यूरो ढेरो शिकायतों के बावजूद ऐसे मामलों की जांच से परहेज बरत रही थी,जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की रोजाना की आमदनी में सहायक साबित होती थी। छत्तीसगढ़ सरकार के खुद भ्रष्टाचार में शामिल हो जाने के बाद राज्य की एजेंसियों ने सीएम बघेल के काले कारनामो से ही अपना मुँह मोड़ लिया था। नतीजतन भारत सरकार की जांच एजेंसियों को दिल्ली से राजधानी रायपुर का रुख करना पड़ा है। 

ताजा जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ के रायपुर,दुर्ग और भिलाई समेत दो महानगरों बेंगलुरु और कोलकता में शुक्रवार सुबह से जारी  ED और CBI की छापेमारी में कई तथ्यों का उजागर होना शुरू हो गया है। छत्तीसगढ़ समेत देश के कई राज्यों में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके गुर्गो की गूंज सुनाई देने लगी है। दुर्ग-भिलाई के पद्मनाभपुर में मुख्यमंत्री परिवार से जुड़े चार्टर एकाउंटेंट के मनी लॉन्ड्रिंग सेंटर में CBI और ED को कई सनसनीखेज सौदों और नौकरशाहो के हिस्से में जाने वाली रकम का लेखा जोखा मिला है।

बताया जा रहा है कि इस ठिकाने को मंत्रालय के वित्त विभाग के तर्ज पर अस्तित्व में लाया गया था। बघेल समेत पूरे कुनबे के आय-व्यय का लेखा-जोखा इसी ठिकाने से संचालित होकर बाजार में निवेश के लिए पहुंचता था।

ये तस्वीर सांकेतिक है 

सूत्र बताते है कि कई दिनों से इस ठिकाने पर मुख्यमंत्री की कद-काठी का कोई अज्ञात व्यक्ति फटी-पुरानी कबाड़नुमा कार में आधी रात आवाजाही करता था,लेकिन इस शख्स के साथ वाहन में सवार अन्य लोग VIP थे। हालांकि ये दोनों भी मुख्यमंत्री के पुत्र चैतन्य बघेल और दामाद क्षितिज चंद्राकर की तरह दिखाई देते थे। बताते है कि बीती रात इस ठिकाने पर संदिग्ध गतिविधियां नजर आने पर केंद्रीय बलों की तैनाती की गई थी। लेकिन जब तक फ़ोर्स पहुंचती तब तक फाइल समेत कई कम्प्यूटर आग में स्वाहा हो चुके थे। 

सूत्र इस बात की तारीफ़ कर रहे थे कि करोडो की नगदी राख के ढेर में तब्दील हो चुकी थी,लेकिन असल बचा कूचा माल पौ फटते ही CBI ने अपने कब्जे में ले लिया। मौके पर मौजूद ED की टीम ने फ़ौरन कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण,पेन ड्राइव,हार्ड डिस्क,एक्सटर्नल हार्ड डिस्क,जले-अधजले दस्तावेज बरामद किए है।

सूत्र दावा कर रहे है कि कोठारी बंधु और उनसे जुड़े ठेकेदार ही घोटालो की रकम को हवाला के जरिए खुले बाजार में भी खपा रहे थे। यह नगद रकम कई माध्यमों से जमीनों की खरीद फरोख्त में इस्तेमाल हो रही थी। रायपुर समेत देश के लगभग आधा दर्जन महानगरों में हेलीकॉप्टर, चार्टर प्लेन,शॉपिंग मॉल,सिनेमा घर,लग्जरी होटल,पेट्रोल पंप,बेशकीमती जमीने,हीरे जवाहरात के शो रूम समेत क्या-क्या सुराग एजेंसियों के हाथ नहीं लगे है, इसकी चर्चा रायपुर से लेकर भारत सरकार की अन्य जांच एजेंसियों के गलियारे में भी होने लगी है। 

छत्तीसगढ़ के गरीब किसानो को चंद रुपयों के बोनस का लालच देकर,तो कभी बेरोजगारो को सुनहरे भविष्य का सपना दिखा कर, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनका परिवार छत्तीसगढ़ शासन के बैनर तले जनता की तिजोरी पर किस तरह से डाका डाल रहा है,केंद्रीय जाँच एजेंसियां सिलसिलेवार प्रामाणिक तथ्यों के साथ उसका खुलासा कर रही है। सरकारी तंत्र का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हर स्तर पर दुरूपयोग कर जहां नौकरशाहो की नौकरी जोखिम में डाल रहे है,वही उनके परिजनों की संपत्ति उतनी ही आसानी से वन टू का फोर हो रही है। 

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राज्य में आदिवासियों और गरीबो को पौने पांच सालो में और गरीब और असहाय बना दिया गया। मुख्यमंत्री बघेल ने कभी धान और गोबर खरीदी के नाम पर ऐसे गरीबो को कुछ सौ रूपए ही दिए, लेकिन उनके वोटो से जमीन से लेकर आसमान तक धन-दौलत और सुख सुविधा के तमाम संसाधन अपने परिवार और टोली के लिए जुटा लिए।

शराब का अवैध कारोबार मुख्यमंत्री का धंधा बन गया,जबकि कुर्सी पर बैठे भूपेश बघेल सिर्फ नोटों के बंडल का हिसाब-किताब लेने में ही जुटे रहे। आदिवासियों,किसानों और मजदूरों को दारु पिलाना सिखाया गया,उनके घर परिवार का आर्थिक तंत्र कमजोर होकर टूटते चला गया,पीड़ितों की जमीन जायदाद और घर परिवार बिखर गए।

शराब का अत्यधिक सेवन करना लोगो की आदत बन गई। इसकी मुख्य वजह शराब बंदी के नाम पर जनता को गुमराह कर खुद का शराब कारोबार स्थापित करना लक्ष्य पूर्व निर्धारित था। राज्य में मुख्यमंत्री का लोक कल्याणकारी कार्य शराब की तस्करी बन गई,इसमें समूचा शासन-प्रशासन शामिल हो गया,केबिनेट ने भी मुहर लगा दी। फिर क्या था,मुख्यमंत्री की टोली खुद डिस्लरी की मालिक बन गई,मंत्री,संतरी दोनों शराब के फायदे गिनाने लगे,जनता इनके मायाजाल में उलझ गई।

सूत्र बता रहे है कि बघेल परिवार के CA ने भिलाई की कई बड़ी होटलो और सिनेमा घरो के सौदों को अंजाम दिया था। कोलकाता के जायसवाल नामक कारोबारी से जमीन जायदाद और मॉल की खरीदी को लेकर लम्बे समय से विवाद की स्थिति बनने पर लेन देन का विवाद CBI की चौखट तक पहुँच गया था।

बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री बघेल के दामाद और प्रोफेशनल कांग्रेस के नेता क्षितिज चंद्राकर की आकूत धन दौलत से ही बड़े पैमाने पर नामी-बेनामी संपत्ति की खरीद फरोख्त हुई थी। मुख्यमंत्री के पुत्र चैतन्य बघेल भी अपनी उम्र से 200 करोड़ गुणा करोड़पति बन गए। प्रदेश के 29 जिलों में कलेक्टर और SP के दफ्तर छत्तीसगढ़ शासन के घोषित मनी लॉन्ड्रिंग सेंटर बन गए। इनमे सवार सीएम बघेल और उनके कारिंदों के ठिकानो में दिन में होली और रात में दीपावली रोज़ मनाई जाने लगी। 

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बताते है कि यही हाल बहुमुखी कारोबारी गुरुचरण होरा का है। मुख्यमंत्री बघेल की सहमति से इस शख्स ने प्रदेश में चारो ओर से केबल कारोबार और सरकारी-गैरसरकारी जमीनों पर कब्जे की मुहिम शुरू कर दी थी। सूत्र बताते है कि मुख्यमंत्री के बेटे दामाद उसके कारोबार में अघोषित पार्टनर बन गए थे ।

रायपुर शहर के पंडरी इलाके में गुरुचरण के कब्जे वाली RDA की हजारो फुट सरकारी जमीन पर होरा बंधुओ का अवैध कब्जा आज भी शासन प्रशासन को मुँह चिढ़ा रहा है। कई कालोनी और बेशकीमती जमीनों पर नान घोटाले और आबकारी घोटाले की रकम निवेश किए जाने की जानकारी मिल रही है।एक ओर होरा पीड़ितों से मिली बदहाली को लेकर जनता न्याय की गुहार लगाते रही,वही दूसरी ओर मुख्यमंत्री रोते बिलखते परिवारों को कांग्रेस का “अब होगा न्याय” का नारा सुनाते रहे।   

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होरा बंधु से पीड़ित प्रदर्शनकारी अपने-अपने इलाको में शासन-प्रशासन के नुमाइंदो को शिकायत पत्र और ज्ञापन सौंपकर अपने-अपने घर चले गए। लेकिन महीनो बाद भी उनकी शिकायतों का निराकरण नहीं हो पाया। यहां तक की भेंट मुलाकात कार्यक्रमों में भी मुख्यमंत्री को सीधे हाथ शिकायते सौपने के बावजूद गू-चरण की सफाई नहीं की गई। जबकि जमादार का ठिकाना साहब के सिर पर ही था।

फिलहाल ED की टीम गुरुचरण सिंह होरा के ठिकानो पर कार्यवाही कर रही है। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि शाम ढलते-ढलते गुरु अपने खुद के चरणों से केंद्रीय जांच एजेंसियों की राह नापेंगे । बताते है कि एजेंसियां उस वक्त भी अलर्ट थी जब छापेमारी की खबरें सुनियोजित रणनीति के तहत “बघेलखण्ड” तक पहुंचाई गई थी।

सूत्र दावा करते है कि संदिग्ध नेताओ और नौकरशाहो के ठिकानो पर समय-समय पर हुई अफरा-तफरी की कहानी तीसरी आंख बयां कर रही है। लिहाजा सतर्कता पूर्वक एजेंसियां उन्ही अधिकारियो और नेताओ का हुलिया जनता को दिखा रही है,जो सेवा के नाम पर राजनीति का मेवा ना केवल लूट रहे है,बल्कि सेवा का धंधा कर जनता को ही अपना ग्राहक बना रहे है। 

सूत्र दावा करते है कि होटल कारोबारी मनदीप चावला के ठिकानो पर भी ED को वो महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लगे है,जो विवेक ढांड और अनिल टुटेजा की संपत्ति को दिन दूनी और रात चौगुनी बनाने की उछाल तय कर रहे थे। फारेस्ट,हार्टीकल्चर-एग्रीकल्चर के अलावा मुख्यमंत्री के प्रभार वाले सभी विभागों के ठेके उनकी ही होटल से तय किए जाते थे।

होटल के कई कमरों में नोट गिनने की मशीने लगाईं गई थी। यह होटल पौने पांच सालो में यात्रियों के ठिकानो के बजाए सरकारी ठेकेदारों,हवाला कारोबारियों,शराब तस्करो और नामी गिरामी अपराधियों का कॉल सेंटर बन गया था। होटल शर्मनाक नाम से ही नहीं बल्कि काम से भी शर्मनाक बताया जाता है। 

रायपुर के VIP रोड स्थित गैर सरकारी शराब खाना और सरकारी अय्यासी के रूप में कुख्यात अनिल टुटेजा की बेनामी संपत्ति के एक इसी हिस्से से कारोबारी अनवर ढेबर को ED ने बरामद किया था। इस ब्लैक मनी सेंटर के चारो तरफ की बेशकीमती जमीनों पर भी गू चरण पड़े बताए जाते है।