छत्तीसगढ मे परसा कोल ब्लॉक आवंटन को लेकर मामला हाईकोर्ट में, पेड़ो की कटाई, हाथियों के रहवास और पर्यावरण के खतरे को लेकर याचिका दायर, कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट

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बिलासपुर। छत्तीसगढ मे कोल ब्लॉक आवंटन को लेकर स्थाई ग्रामीणों और छत्तीसगढ सरकार के बीच टकराव की स्थिति बन रही। प्रदेश के रायगढ़ अंबिकापुर जिले परसा कोल ब्लॉक आवंटन को लेकर विवाद गहराता जा रहा।

परसा कोल ब्लॉक में आधी रात हुए पेड़ों की कटाई का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है।इसे लेकर कोर्ट ने छत्तीसगढ सरकार को तलब किया है। इस इलाके मे पेड़ो की कटाई पर अगली सुनवाई 4 मई को होगी। याचिका कर्ता की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने पैरवी की।अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव से मिली जानकारी के अनुसार, हाईकोर्ट में लगाई गए आवेदन में एक लाख से अधिक पेड़ों के कटने का खतरा बताया गया है.

सात सरकारी कम्पनी के नाम पर ब्लॉक लेकर निजी कंपनी को खदान सौंपने का आरोप लगा है. याचिकाओं में लगाये गये स्टे आवेदन और संशोधन आवेदन पर आज बहस होनी थी, लेकिन चीफ जस्टिस की खण्डपीठ के उपलब्ध न होने के कारण यह मामला जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चन्द्रवंशी की खण्डपीठ में सुनवाई के लिए भेजा गया.सुनवाई के दौरान बताया गया कि राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के नाम पर भूमि अधिग्रहण कर राजस्थान कॉलरी को भूमि सौपी जा रही है. यह स्वयं कोल बेयरिंग एक्ट के प्रावधानों एवं सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए. कोल ब्लॉक जजमेंट के विरूद्ध है. लिहाजा परसा कोल ब्लॉक से संबंधित कोई भी कार्य आगे नहीं बढ़ाया जा सकता. इस कारण पेड़ों की कटाई पर भी तुरंत रोक लगनी चाहिए.

खण्डपीठ ने कहा कि अधिग्रहण को दी गई चुनौती एक गम्भीर विषय है, और इसके समाप्त होने पर वन्य एवं पर्यावरण अनुमतियां अपने आप प्रभावहीन हो जाएगी. खण्डपीठ ने राज्य सरकार को पेड़ों की कटाई पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश के साथ स्टे आवेदन पर अगली सुनवाई 4 मई तय की गई है. फिलहाल इस मामले को लेकर राजनैतिक सरगर्मिया तेज हो गई है।