
कृपया कार और सरकार दारू पीकर ना चलाए, वरना…?
तजुर्बेकार तस्दीक करते है कि कार और सरकार दारू पीकर ना चलाए, वरना…? हादसों का जोखिम बना रहता है। बात सही भी है, यह जुमला अब लोकोक्ति में बदल चुका है, जानकारों के मुताबिक दैनिक जीवन में इस सिद्धांत का पालन नहीं करने से हादसे होते ही है, मसलन ‘सरकार’ को ही देख लीजिये ? शायद ही ऐसा कोई मौका हो, जहाँ साहब की तर्ज पर पानी ने भी अपना की रंग ना बदला हो ? टेबल-कुर्सी तक गवाह है, वरना इंसान तो रंग बदलने में माहिर है। दरअसल, ड्रिंकिंग एंड ड्राइव के मामले सिर्फ सड़कों तक सीमित नहीं है, कभी-कभी ऐसी सवारी से सरकार तक चली जाती है। देख ही लीजिये, साहब के क्रिया-कर्म, मतलब की क्रिया-कलाप। ऐसे में हादसे नहीं होंगे तो क्या ? आखिरकार, ‘सरकार’ सत्ता से हाथ धो बैठे। हम तो डूबे सनम, तुम्हे भी ले डूबेंगे, की तर्ज पर ‘सरकार’ का पूरा गिरोह पुलिस, IT-ED, CBI और ACB/EOW के हत्थे चढ़ गया।

आधे बेल में तो आधे जेल में नजर आ रहे है, बचे-कूचे एजेंसियों के चंगुल से बचने के लिए मारे-मारे फिर रहे है। सरकार की ट्रैफिक व्यवस्था से जुड़े जानकार तस्दीक करते है कि ‘नजर हटी, दुर्घटना घटी’ अब सरकार में सरकार को ही लीजिये। मतलब, विवेक ढांड को ही देख लीजिए, सरकार चलाने का उनका तजुर्बा कितना रंग लाया है ? बतौर चीफ सेक्रेटरी ढांड साहब ने समय-समय पर सरकार को बखूबी चलाया। लेकिन सड़क पर उनकी कार भी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। याद होगा आप को, रायपुर के गौरव पथ में कुछ माह पूर्व हुई घटना। हादसे के दौरान कार की स्टेरिंग पर हाथ पूर्व चीफ सेक्रेटरी का और उनका शरीर ड्राइविंग सीट में रखा नजर आ रहा था।

शायद, गाड़ी ने ‘पी’ रखी थी ? देखते ही देखते तेज रफ़्तार यह वाहन डिवाइडर से जा भिड़ा। कार की रफ़्तार इतनी तेज थी कि वो लोहे की सींखचों को भेदते हुए डिवाइडर पर जा चढ़ी थी। फिर जो होना था वो हुआ, मतलब हादसे में पूर्व चीफ सेक्रेटरी का रंग उड़ गया, उनका बायां हाथ-कंधे पर गंभीर चोट लगी, डेढ़ महीने तक हाथ में प्लास्टर चढ़ा रहा। हालांकि, घटना के बाद साहब जान गए कि सड़क पर ‘सरकार’ की तर्ज पर इठलाया नहीं जा सकता। बहरहाल, साहब के ‘हाथ’ भले ही कांग्रेस के खेमे में हो ? लेकिन उनके कदम इन दिनों बीजेपी मुख्यालय की ओर चहलकदमी करते नजर आने लगे है। राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि कार पर सवार ‘सरकार’ अब चोला बदलने वाले है। इसके लिए पार्टी की सदस्यता जरुरी आंकी जा रही है।देखना गौरतलब होगा कि राजनैतिक गलियारों में गिड़गिटों का जमावड़ा किस ओर ठिकाने लगता है।

नौकरशाहों में कुपोषण की समस्या का निःशुल्क रामबाण इलाज, विटामिन E और D की कमी पूरी करने का भार ED के कन्धों पर…
छत्तीसगढ़ में आल इंडिया कैडर के कई कु-पोषित अधिकारी इन दिनों विटामिन E और D की कमी का सामना कर रहे है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भूपे गिरोह में शामिल कई अधिकारियों को कुपोषण का सामना करना पड़ा था। अन्न की कमी के चलते ऐसे अफसरों ने सरकारी तिजोरी के अलावा योजनाओ को भी हजम करने में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी थी। भरपेट खाना और डकार तक नहीं लेना, यह नियमित दिनचर्या बन जाने से शरीर में E-D की कमी हो गई। अब हालत यह है कि अफसरों की देखभाल के लिए ED घर-घर दस्तक दे रही है। बची-कूची कसर ‘ACB/EOW’ पूरी कर दे रही है। कुपोषित अफसरों के इलाज की यहाँ भी माकूल व्यवस्था की गई है।

निलंबित डिप्टी कलेक्टर सौम्या चौरसिया, रिटायर प्रमोटी आईएएस अनिल टुटेजा, आईएएस रानू साहू, आईएएस समीर विश्नोई, पूर्व आबकारी सचिव एपी त्रिपाठी, आईएफएस अशोक पटेल समेत कई अधिकारियों को ED का डोज प्रदान किया गया था। इसके बाद तमाम अफसरों के रुख में काफी रचनात्मक बदलाव देखा जा रहा है। जमानत प्राप्त करने के बाद सौम्या ने पूर्व मुख्यमंत्री के अघोषित ठिकाने का रुख किया है। रानू साहू ओडिशा की ओर रफ़्तार लेती दिखाई दी। जबकि विश्नोई राजस्थान से अपना जौहर दिखाएंगे। बहरहाल, स्वास्थ के जानकार तस्दीक करते है कि विटामिन E और D का सेवन अलग-अलग करने के बजाय एक साथ अर्थात ED के रूप में करने से परिणाम बेहतर प्राप्त हो रहे है। दवा-दारू घोटाले की ओर एजेंसियों के बढ़ते हाथ चौंकाने वाले बताये जा रहे है।

लूट का लाइसेंस मंत्रालय से ? घोटालों की लम्बी फेहरिस्त फिर भी चीफ सेक्रेटरी को क्लीन चिट
छत्तीसगढ़ में मंत्रालय से लूट का लाइसेंस जारी होने का मामला सुनकर आप जरूर हैरत में पड़ जायेंगे। लेकिन यक़ीनन यह साल दर साल जारी रहा। आप सोचेंगे कि इस ईमारत पर चीफ सेक्रेटरी का आसन है, यहाँ से वे सरकार का संचालन करते है। कायदे-कानूनों से लेकर योजनाओं के संचालन की जवाबदारी उनके कंधों पर है। प्रदेश में क्या चल रहा है ? पल-पल की जानकारी से चीफ सेक्रेटरी वाकिफ रहते है। बावजूद इसके छत्तीसगढ़ में घोटालों की झड़ी लग गई। 2200 करोड़ का शराब घोटाला, 700 करोड़ का कोल खनन लेव्ही घोटाला, 500 करोड़ का DMF घोटाला, 300 करोड़ का राजीव मितान क्लब घोटाला, 5 हज़ार करोड़ का चावल घोटाला, 15 हज़ार करोड़ का महादेव ऐप सट्टा घोटाला, 2000 हज़ार करोड़ का गाय, गोबर और गोठान घोटाला। मलतब की घोटालों की लंबी फेहरिस्त।


प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी अमिताभ जैन के कार्यकाल में ये तमाम घोटाले सामने आये है। इन घोटालों की जांच को लेकर केंद्र और राज्य की एजेंसियां दो-चार हो रही है। दरअसल, पूछा जाने लगा है कि आखिर चीफ सेक्रेटरी महोदय मंत्रालय में बैठ कर क्या कर रहे थे ? सरकार की नाक के नीचे भ्रष्टाचार और घोटालों की झड़ी लग गई। लेकिन चीफ सेक्रेटरी अमिताभ जैन हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। घोटालेबाजों पर शिकंजा कसने के प्रयास आखिर क्यों नहीं किये गए ? वे क्या करते रहे ? जनता अब पूछने लगी है, पूर्व डीजीपी अशोक जुनेजा की तर्ज पर मौजूदा चीफ सेक्रेटरी से भी कोई पूछताछ नहीं होगी ? आखिर CS और DGP करते क्या है ? उनकी ड्यूटी क्या है ? ऐसे शीर्ष पदों पर काबिज सरकारी सेवकों का नैतिक कर्तव्य क्या है ?

घोटालों की रोकथाम और सरकारी तिजोरी में भरे जन-धन की रखवाली से उनका कोई सरोकार है या नहीं ? इसे लेकर माथापच्ची जोरो पर बताई जाती है। राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि मौजूदा चीफ सेक्रेटरी को क्लीन चिट दे दी गई है, उनका कार्यकाल इसी माह ख़त्म हो जायेगा। चर्चा यह भी है कि कांग्रेस की तर्ज पर बीजेपी सरकार की आँखों में खरे उतरे चीफ सेक्रेटरी की सेवाएं यथावत जारी रखने के लिए एक्सटेंशन की फाइल भी कुलाचे मार सकती है। कार और सरकार पर नजर रखने वाले प्रशासनिक मामलों के जानकार तस्दीक करते है कि मौजूदा चीफ सेक्रेटरी, भू-माफियाओं के हाथों की कटपुतली मात्र है, उनकी कार्यप्रणाली का नमूना सरकारी जमीनों की लूट के मामले में लाविस्टा नामक प्रोजेक्ट को प्रदान किये गए एक हलफनामे से जाहिर होता है। फ़िलहाल, सरकार की मंशा और न्याय से जुड़ा सरकारी जमीनों की बंदरबांट का यह मामला वक़्त का इंतजार कर रहा है।

साय सरकार का दारोमदार DGP पर ? बीजेपी के लिए अगले दो साल महत्वपूर्ण, फिर सजेगा दरबार…
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार की राह में रोड़ा अटकाने वालों की कोई कमी नहीं है। प्रदेश के सुनहरे भविष्य के लिए एक अदद DGP और CS अर्थात चीफ सेक्रेटरी की आवश्यकता अनिवार्य बताई जाती है। दरअसल, पार्टी घोषणा पत्र को अमली जामा पहनाते-पहनाते अब दो साल बीतने में महज चंद महीने ही शेष बचे है। इस लिहाज से अगले दो सालों (2026-27) के भीतर जन आकांक्षाओं पर खरा उतरने के लिए साय सरकार को दिन रात एक करने होंगे ? उसे रोड मैप पर खासा ध्यान देना होगा। फिर वर्ष 2028 में शुरू हो जाएगी चुनावी साल की बेला। ऐसे में प्रशासनिक गलियारों में दोनों ही ‘शीर्ष’ पद DGP-CS का चयन काफी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। कार और सरकार पर पकड़ रखने वाले जानकार तस्दीक करते है कि मौजूदा CS से बीजेपी सरकार को प्राकृतिक रूप से निजात मिलने जा रही है, वे इसी माह रिटायर हो जायेंगे ?

हालांकि, होनहार बिरबान के लिए पद रिजर्व रखने की कवायतें भी जोरो पर है। जबकि DGP के पद को लेकर घमासान मचा है। PHQ की बागडोर रुपी कार चलाने की क्षमता योग्य लायक अफसर को ही इसकी चाबी सौंपी जानी चाहिए अन्यथा यह मोर्चा सरकार के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है। जानकारों के मुताबिक मौजूदा CS ने स्टेरिंग पर मजबूती से हाथ नहीं जमाया, अन्यथा घोटालों की फेहरिस्त इतनी लंबी नहीं होती। जबकि इस दौर के DGP अशोक जुनेजा भी CS की तर्ज पर पूरे कार्यकाल में आँखों में पट्टी बांधे ‘धत्तराष्ट्र’ वाली कार्यप्रणाली का इजहार करते नजर आये। घोटालों पर लगाम लगाने के साथ-साथ बेलगाम अफसरों पर नकेल कसने में नाकामयाब लॉबी अब बीजेपी सरकार की रहनुमा बन गई है।

फॉरेस्ट, पुलिस और प्रशासन में जमी-जकड़ी भूपे पोषित नौकरशाही बीजेपी सरकार की राह में अब रोड़े भी अटका रही है। वो भूपे को नए-नए मुद्दे भी थमा रही है। ऐसे में नौकरशाही के शीर्ष पदों पर अधिकारियों का चयन काफी महत्वपूर्ण बताया जाता है। इस कार-सरकार के दूरगामी परिणाम भी झेलने के लिए सरकार को तैयार रहना होगा। मतलब, नौकरशाही के इसी धड़े ने भूपे राज में ना केवल सरकारी तिजोरी लूटे जाने का वातावरण तैयार किया था, बल्कि निष्क्रिय कार्यप्रणाली का परिचय देते हुए कांग्रेस सरकार की बिदाई तय कर दी थी। उसने प्रदेश की सरकारी तिजोरी को कांग्रेस का एटीएम बनाने में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी थी। अब इसी दो-राहे पर वक़्त का पहिया घूम रहा है, दोनों ही पदों पर होने वाली नियुक्ति आने वाले दो सालों तक सरकार की दशा और दिशा को मजबूती प्रदान करेगी। सत्ता के गलियारों में उम्मीद की जा रही है कि नौकरशाही के राजनैतिक तिकड़मों को दरकिनार कर मुख्यमंत्री साय अदद DGP-CS को गरिमामय कुर्सी प्रदान करेंगे।

तेरा क्या होगा रे गब्बर, कालिया ने खोला राज
छत्तीसगढ़ में 2200 करोड़ के शराब घोटाले में ACB/EOW ने पूर्व मुख्यमंत्री बघेल गिरोह के 2 सदस्यों को भिलाई से धर दबोचा है। रिमांड में लेकर पूछताछ जारी है, इस बीच खबर आ रही है कि कालिया ने अपना मुँह खोल दिया है। डी-कोड करने के बाद एजेंसियों के सामने कालिया तोते की तरह बोल रहा है। बताते है कि काला चिटठा सामने रखने के बाद एजेंसियां गब्बर का पता-ठिकाना जानने में जुटी है।

कई राज पर से पर्दाफाश होने का इंतजार किया जा रहा है, कृपा सत्ता के गलियारे से ही बरसेगी। लिहाजा, दिल्ली दरबार की हरी झंडी का इंतजार भी जारी बताया जाता है। जानकार तस्दीक करते है कि झंडा-वंदन की अनुमति मिलते ही एजेंसियों का शिकंजा गब्बर के गिरेबान में कस जायेगा। उसकी गर्दन का नाप-जोप हो चूका है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही गब्बर की लंका लग सकती है।