बेईमानी किए बगैर रातो रात कोई इतना अमीर नही बन सकता? छत्तीसगढ़ के पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड का धन शोधन संयंत्र सुर्खियों मे, जन धन ऐसे हो रहा इकट्ठा…

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रायपुर/दिल्ली। छत्तीसगढ़ के पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड का धन शोधन संयंत्र इन दिनों देश भर में चर्चित हो रहा है। अखिल भारतीय सेवाओं से जुड़े इस रिटायर नौकरशाह की अनुपातहीन संपत्तियों का आंकलन किया जाए तो, सम्पूर्ण चल अचल संपत्ति 5000 करोड़ से ज्यादा का आंकड़ा पार कर सकती है। बताते हैं कि IAS बनने के बाद इस नौकरशाह ने आकुट धन दौलत कमाई है। इसका श्रोत विभिन्न सरकारी योजनाएं बताई जाती हैं। जिसकी कामयाबी का भार इस लोक सेवक के कंधो पर था.

देश के प्रथम श्रेणी के भ्रष्ट नौकरशाहों की सूची में विवेक ढांड का नंबर अव्वल दर्जे पर बताया जाता है। पहले मध्यप्रदेश और फिर छत्तीसगढ़ में अपनी धाक जमा चुके इस लोक सेवक ने लगभग 30 वर्षों की नौकरी में विभिन्न ओहदों पर पदस्थ रहते जन धन को इस कदर से अपनी तिजोरी में भरा की प्रदेश की जनता गरीबी का शिकार हो गई। राज्य सरकार लाखों के कर्ज में डूब गई। लेकिन इस IAS अधिकारी की ना तो सेहत में कोई असर पड़ा और ना ही उसकी तिजोरी सुनी रही। उसकी तिजोरी में रोजाना धन की बारिश होते रही, फिलहाल इस महान लोक सेवक का धन शोधन संयंत्र खूब सुर्खियां बटोर रहा है। यह सरकारी भूमि पर निर्मित किया गया है, वह भी बगैर वैधानिक अनुमति के।

छत्तीसगढ़ के पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड की बड़ी आपराधिक धोखाधड़ी सामने आई है। दस्तावेजी साक्षों के मुताबिक विवेक ढांड ने लगभग 4 एकड़ सरकारी जमीन पर आधुनिक धन शोधन संयंत्र स्थापित कर लिया है। जानकारी के मुताबिक विवेक ढांड ने पहले तो लगभग 500 करोड़ बाजार भाव वाली सरकारी जमीन को मात्र सवा करोड़ की अदायगी कर हथिया लिया। इसके बावजूद भी शासन को नही छोड़ा। उसकी आंखों में धूल झोंकने के लिए जो धोखाधड़ी की, वो भी कम गंभीर नही बताई जाती है। दस्तावेज बताते हैं कि विवेक ढांड ने जिस सरकारी जमीन पर कमर्शियल कॉम्प्लेक्स ताना है, उसका ना तो नक्शा पास हुआ है और ना ही जमीन का प्रयोजन बदला गया है।

बताते हैं कि परिसर की आवासीय जमीन पर बगैर शासन-प्रशासन की वैधानिक मंजूरी के विवेक ढांड ने बहू मंजिला व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स स्थापित किया है, उसकी कोई वैधानिक मंजूरी नही ली गई है, इस भूमि का रकबा खसरा नंबर 17/40 बताया जाता है। यह भूमि सरकारी रिकॉर्ड में आज भी आवासीय दर्ज है। यह भी बताया जा रहा है कि नगर निगम रायपुर और टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से वर्ष 2019 में धोखाधड़ी कर व्यवसायिक भवन बनाने की अनुमति ढांड द्वारा प्राप्त की गई है। इस भूमि का खसरा रकबा नंबर 17/39 है। यह पुराने भवन के स्थान पर है, इस भूमि पर ढांड द्वारा नया भवन के निर्माण हेतु अनुमति प्राप्त की गई थी। लेकिन उसके द्वारा नया व्यावसायिक परिसर खसरा रकबा भूमि नंबर 17/40 पर निर्मित किया गया है।

जमीन के जानकारों के मुताबिक कुल मिलाकर कहीं पर निगाहें और कहीं पर निशाने की तर्ज पर विवेक ढांड ने आवासीय जमीन पर व्यवसायिक इमारतें खड़ी कर शासन को बड़े राजस्व का चूना लगाया है। इस इमारत के खसरे नक्शे में हेर फेर देखकर कई अधिकारी हैरत में हैं। उनके मुताबिक पहले चीफ सेक्रेटरी फिर रेरा के चेयरमैन और फिर नवाचार आयोग के चेयरमैन की कुर्सी पर बैठने के बाद इस नौकरशाह ने जन धन की ना केवल खुली लूट मचाई बल्कि अधिकारों का जमकर दुरूपयोग भी किया। उसके तमाम घोटालों की CBI जांच की जरूरत बताई जा रही है। कई विभागीय अधिकारी खुद-ब-खुद पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। उनके मुताबिक EOW समेत राज्य की कोई भी एजेंसी विवेक ढांड के गैर कानूनी कृत्यों की जांच करने का दमखम नही रखती है।लिहाजा राज्य के सबसे बड़े सरकारी भूमि घोटाले की जांच अविलंब CBI को सौंपी जानी चाहिए।

बताते हैं कि ढांड के पिता स्व. सतपाल ढांड ने संयुक्त मध्यप्रदेश के दौर में खुद को भूमिहीन करार देकर आवासीय प्रयोजन के लिए प्रशासन से भूमि के छोटे से टुकड़े की मांग की थी। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी विवेक ढांड के पद और प्रभाव से तत्कालीन प्रशासन इतना मेहरबान हुआ कि मात्र 2500 स्क्वायर फीट जमीन आबंटित करने के बजाए उसने लगभग 4 एकड़ सरकारी जमीन का कब्जा ढांड एंड कंपनी के नाम आबंटित कर दिया । सूत्रों के मुताबिक इतनी बड़ी सरकारी जमीन हथियाने के लिए ढांड एंड कंपनी ने कई दस्तावेजों में हेर फेर किए, और झुटी जानकारी देकर प्रशासन की आंखों में धूल झोंका था।

बताते हैं कि आर्थिक रूप से काफी समृद्ध होने के मूल तथ्यों को छिपाते हुए ढांड एंड कंपनी ने खुद को आर्थिक रूप से कमजोर और भूमिहीन बताया था। जबकि रायपुर के आस-पास के कई इलाकों में विवेक ढांड और उनके परिजनों के नाम पर लाखों की चल अचल संपत्तियां रजिस्टर्ड थीं। भू-पे राज में विवेक ढांड एंड कंपनी ने दिन दूनी और रात चौगुनी कमाई की थी। उनकी ऐसी लॉटरी लगी की जन धन सीधे इनकी ही तिजोरियां में बरसने लगा। वहीं दूसरी ओर प्रदेश में कई सरकारी योजनाएं अपने लोक हित के अंजाम तक पहुंचने से पहले ही भ्रष्टाचार और घोटालों की शिकार हो गईं।

प्रशासन के जानकार तस्दीक कर रहे हैं कि गैर-कानूनी गतिविधियों को अंजाम देते हुए इस विवेक ढांड नामक लोक सेवक ने मात्र 30 साल की सरकारी सेवा में इतना मेवा लूटा की उसकी धन दौलत 5000 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है। स्विस बैंक और विदेशों में भी काला धन निवेश सम्बंधी कई दस्तावेज इन दिनों चर्चा में बताए जाते हैं। यह देखना गौरतलब होगा कि ढांड के भूमि घोटालों की जांच को लेकर बीजेपी सरकार क्या कदम उठाती है ? लोगों का मानना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने वाली विष्णुदेव साय सरकार घोटालेबाज़ों को सस्ते में छोड़ने के कतई मूड में नहीं है।