नई दिल्ली:- हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने घृणास्पद भाषणों की एक सूची तैयार की है। ये वैसे भाषण हैं, जिनमें मुस्लिम नेताओं और मौलवियों द्वारा कथित तौर पर हिंदुओं के खिलाफ नरसंहार का आह्वान किया गया है। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा दायर आवेदन में कहा गया है, “भारत का प्रत्येक नागरिक समान रूप से कानूनों के समान संरक्षण का हकदार है। अभद्र भाषा की घटनाओं का विश्लेषण करते समय बहुमत या अल्पसंख्यक की अवधारणा को पेश नहीं किया जाना चाहिए।”
अपमानजनक या भड़काऊ भाषण की परिभाषआ तय करने के लिए न्यायिक समीक्षा की भी मांग की गई है। संगठन और उसके दो सदस्यों द्वारा आवेदन में कहा गया है, “अभद्र भाषा व्यक्तियों द्वारा समाज में अशांति पैदा करने, हिंसा और सांप्रदायिक तनाव को भड़काने के इरादे से दी जाती है। आत्मरक्षा के विषय के साथ एक विशेष समुदाय के सदस्यों की रक्षा करने के इरादे से एक भाषण अभद्र भाषा के दायरे में नहीं आ सकता है।”
गौरतलब है कि,12 जनवरी को भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश और पत्रकार कुर्बान अली द्वारा दायर एक याचिका पर नोटिस जारी किया था। इसमें हरिद्वार में दिसंबर में आयोजित एक धार्म सभा में कथित तौर पर मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की बात कही गई थी। अब मुस्लिम नेताओं द्वारा कथित तौर पर हिंदुओं के खिलाफ दिए गए भड़काऊ और अपमानजनक भाषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। समान और सुरक्षा की मांग करते हुए एक हिंदू संगठन ने देश के सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।