बजट 9 करोड़ का, खर्च 60 करोड़ से ज्यादा का, रायपुर में आयोजित 27वी अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता में BLACK MONEY का इस्तेमाल, केंद्र में DG फारेस्ट बनने के लिए ‘शक्ति परीक्षण’ सुर्ख़ियों में, केंद्रीय एजेंसियां अलर्ट मोड़ में…..  

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दिल्ली/रायपुर: केंद्र सरकार में डायरेक्टर जनरल ऑफ़ फारेस्ट बनने के लिए जोड़-तोड़ जोरो पर है। इस कड़ी में विभागीय खेलकूद प्रतियोगिता को शक्ति परीक्षण का जरिया बना कर भारत सरकार में घुसपैठ और लॉबिंग का मामला सामने आया है। इस मामले में छत्तीसगढ़ के PCCF, प्रदेश के वन विभाग के मुखिया श्रीनिवास राव का नाम सुर्ख़ियों में बताया जा रहा है। इसके साथ ही 27वी अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता विवादों में घिर गई है। मामला आयोजन के खर्चों को वहन करने के लिए बजट के बेजा इस्तेमाल से जुड़ा है। बताया जा रहा है कि इस खेलकूद प्रतियोगिता के आयोजन के खर्च के लिए अनुमानित बजट लगभग साढ़े 9 करोड़ निर्धारित किया गया था, लेकिन मात्र 4 दिनों में इस प्रतियोगिता में शामिल अतिथियों और प्रतिभागियों पर 60 करोड़ से ज्यादा की रकम फूंक दी गई थी। 

इतनी भारी भरकम रकम आयोजकों ने किस तिकड़म और श्रोतों से अर्जित की ? इसे लेकर बवाल मचा है। केंद्रीय वन एवं जलवायु मंत्रालय में प्राप्त एक शिकायत के बाद केंद्रीय एजेंसियों की नजर इस आयोजन को लेकर तिरछी बताई जा रही है। यह भी बताया जा रहा है कि 16 से 20 अक्टूबर तक रायपुर में आयोजित इस प्रतियोगिता का मकसद खेलकूद तक सीमित नहीं था। बल्कि केंद्र सरकार के सबसे महत्वपूर्ण महानिदेशक फॉरेस्ट के पद को हथियाने के लिए आयोजकों ने यहाँ से बड़ी लॉबिंग शुरू की थी। खास बात यह है कि इस आयोजन में बड़े पैमाने पर ब्लैक मनी के इस्तेमाल को लेकर केंद्रीय एजेंसियां गंभीर नजर आ रही है। 

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार सामने आया है। इस आयोजन में ब्लैक मनी के इस्तेमाल को लेकर कई वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उंगलिया उठाई जा रही है। यही नहीं सूत्र तस्दीक कर रहे है कि निर्धारित और अर्जित रकम से कई करोड़ ज्यादा रकम खर्च होने से मंत्रालय को रोजाना दर्जनों शिकायत प्राप्त हो रही है। इसमें छत्तीसगढ़ के PCCF श्रीनिवास राव की कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लगाते हुए, भारत सरकार से उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है।

शिकायत में कई ऐसी पुष्ट जानकारियां सामने आई है, जिससे पता पड़ता है कि 27वी अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गई। इसका मकसद खेलकूद से ज्यादा DG फॉरेस्ट के पद के लिए जोड़-तोड़ और लॉबिंग बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक इस प्रतियोगिता के आयोजन के लिए भारत सरकार ने 1 करोड़ 67 लाख जबकि छत्तीसगढ़ शासन ने लगभग 7 करोड़ की राशि आयोजन के लिए स्वीकृत की थी। प्रत्येक प्रतिभागियों से 15 हज़ार रूपये शुल्क भी लिया गया था। 

सूत्र तस्दीक कर रहे है कि अंतिम भुगतान करते-करते व्यय का आंकड़ा 60 करोड़ पार पहुंच गया है। यह भी बताया जा रहा है कि इसके पूर्व देश में आयोजकों का ऐसा शक्ति प्रदर्शन कभी नहीं नजर आया था। आमतौर पर विभागीय प्रतियोगिताएं खेलकूद तक ही सीमित रहती है, लेकिन यह 27वी खेलकूद प्रतियोगिता किसी महत्वपूर्ण पद को हथियाने और लॉबिंग करने के मकसद से सुर्ख़ियों में है। एक वरिष्ठ आईएफएस अफसर ने पहचान ना जाहिर करने की शर्त पर न्यूज़ टुडे को बताया कि रायपुर में आयोजनकर्ताओं का असल खेल मौजूदा डायरेक्टर जनरल ऑफ़ फॉरेस्ट चंद्रप्रकाश गोयल के स्थान पर 1990 बैच के आईएफएस और छत्तीसगढ़ के PCCF श्रीनिवास राव की नई पदस्थापना से जुड़ा है। उनके मुताबिक देश के तमाम राज्यों के PCCF की आम राय और सहमति के उपरांत ही DGF के पद पर नियुक्ति होती है, इस पद के लिए इन दिनों श्रीनिवास राव हाथ-पैर मार रहे है।

वन विभाग से जुड़े एक जिम्मेदार सूत्र के मुताबिक इस प्रतियोगिता के लिए रूप रेखा से लेकर फण्ड इकट्ठा करने की जवाबदारी लगभग आधा दर्जन आई एफ एस, (डीएफओ) को सौंपी गयी थी इसमें कांग्रेस नेता सुरजेवाला के रिश्तेदार आई एफ एस का भी नाम शामिल बताया जाता है बतौर सूत्र प्रतियोगिता आयोजक के नाम पर कई ठेकेदार के अलावा अन्य स्रोतो से इकट्ठा रकम साठ करोड़ का आंकड़ा महीने भर पहले ही पार कर चूका था उनके मुताबिक जरुरत से ज्यादा फण्ड के लोबिंग खर्च होने का अंदेशा है. 

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रतियोगिता के उद्घाटन में शामिल होने के लिए मशहूर क्रिकेटर सूर्य कुमार यादव को अकेले ही लगभग 50 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। इसमें 40 लाख रुपये उनके कार्यक्रम में शामिल होने की फीस बताई जा रही है। इसके अलावा शेष खर्च गिफ्ट और उनके सैर-सपाटे पर खर्च किया गया। इसी तर्ज पर ओलम्पिक मेडलिस्ट मनु भाकर ने भी खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया था। उन्हें भी इस कार्य के लिए 30 लाख का भुगतान किया गया है।

यही नहीं राजधानी रायपुर के तमाम छोटे बड़े होटलों के अलावा स्टार होटलों के लगभग सभी रूम 4 दिनों तक के लिए बुक किये गए थे। इस पर भी रोजाना करोड़ो खर्च किये गए थे। यही नहीं प्रत्येक खिलाड़ियों को लगभग 30 हज़ार की स्पोर्ट किट बतौर गिफ्ट सौंपी गई थी। प्रत्येक किट में ब्रांडेड कंपनियों के सिर्फ ट्रैक सूट, टी-शर्ट और जूते पर लगभग 28 हज़ार से ज्यादा की लागत आई है।जबकि विशेष अतिथियों को खासतौर पर कई राज्यों से आये PCCF को दी जाने वाली गिफ्ट लाखों में बताई जाती है।

जानकारी के मुताबिक देशभर के वन विभाग से जुड़े लगभग 5 हज़ार खिलाड़ी, सामान्य अतिथि, अफसर, ट्रॉफी, गिफ्ट पैक, महंगी शराब के अलावा बाहर से आये कई विशिष्ट अथितियों की तिमारदारी पर आयोजकों ने 60 करोड़ से ज्यादा की रकम खर्च कर आयोजन को हाईप्रोफ़ाइल बना दिया है। बताया जा रहा है कि इस आयोजन में शामिल होने के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से जुड़े कुछ प्रभावशील शख्स भी रायपुर पहुंचे थे। इस आयोजन के मकसद को लेकर अब सवाल खड़े हो रहे है।

सूत्रों के मुताबिक आयोजन में पूरा तामझाम ‘शक्ति परीक्षण’ के लिए किया गया था। दरअसल, केंद्र में तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनने के बाद केंद्रीय वन एवं जलवायु मंत्रालय में विभिन्न प्रभावशील पदों पर नियुक्तियों और पदस्थापना को लेकर होड़ मची है। इस प्रतिस्पर्धा के आयोजन में 1990 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईएफएस श्रीनिवास राव की विशेष भूमिका बताई जा रही है। फ़िलहाल इस आयोजन को लेकर छिड़ा विवाद केंद्रीय जांच एजेंसियों के दरवाजे पर भी दस्तक देते नजर आ रहा है।

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