छत्तीसगढ़ में कोयले की दलाली से हर माह 300 करोड़ कमाने की योजना पर लगा ब्रेक, ब्लैकमनी का कारखाना शुरू होने से पहले ही आयकर विभाग ने ” बो दिया धनिया” शराब की तर्ज पर कोल कारोबार में एकाधिकार स्थापित करना चाहता था सूर्यकान्त तिवारी…

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रायपुर : छत्तीसगढ़ में आयकर – ईडी की छापेमारी में कोल कारोबार से तीन सौ करोड़ प्रतिमाह ब्लैकमनी के उत्पादन वाली बहु प्रतिक्षित योजना पर ब्रेक लग गया है | हाल ही में मुख्यमंत्री बघेल के करीबियों के ठिकानो पर पड़े आयकर छापो से उस बड़ी योजना की राह में रोड़े अटक गये है| जो कोल माफिया सूर्यकान्त तिवारी ने तैयार की थी | “शराब ” कारोबार की तर्ज पर प्रदेश की “डी कंपनी” कोयले के कारोबार में भी एकाधिकार स्थापित करना चाहती थी |

इस योजना का मास्टरमाइंड सूर्यकान्त तिवारी था | प्रदेश के कई हिस्सों में स्वयं की कोलवाशरी और उस पर आधारित उद्योग धंधो की स्थापना के लिए सूर्यकान्त ने इस योजना की मंजूरी कराई थी |इसके लिए उसने ब्लैकमनी से कोरबा में कोलवाशरी और जमीने खरीदी| यही नहीं उसने एक ऐसी योजना तैयार की, जिसके तहत प्रदेश भर से कोल डिपो सिस्टम खत्म कर सिर्फ कोलवाशरी से ही कोयले की खरीदी बिक्री का प्रावधान किया गया था|

इसके साथ ही अब तक अवैध रूप से वसूले जा रहे कोयले पर 25 रूपये टन ” गब्बर सिंह टैक्स ” की दर को बढाकर सीधे 300 सौ रूपये प्रति टन करने का फैसला किया गया | इस योजना के जरिये हर माह कम से कम 300 करोड़ कमाने के लिए प्रत्येक कोलवाशरी में “डी कंपनी” के एजेंट और अफसरों की तैनाती का प्लान भी तैयार किया गया था | ब्लैकमनी जनरेशन करने वाली इस योजना को अगले माह 1 अगस्त से लागू करने के लिए हरी झंडी भी मिल गयी थी | लेकिन इसी जुलाई माह की शुरुआत में ही आयकर के छापे पड़ गए | छापो में बड़े पैमाने पर ब्लैकमनी का फ्लो सामने आया |नतीजतन यह योजना खटाई में पड़ गयी है |

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छत्तीसगढ़ में कोयले की खदानों के आवंटन ,कोल वाशरी और कोयले की खरीदी बिक्री के कारोबार से सालाना अरबों की ब्लैकमनी का उत्पादन भी होता है | यह तथ्य बिल्कुल प्रमाणिक और धरातल पर खरा उतरता है | इसके अध्ययन के बाद ही सूर्यकांत ने प्रदेश में ना केवल कोयले की दलाली का काम शुरू किया बल्कि उसने इसे एक व्यवस्थित कारोबार का रूप दे दिया था |

छत्तीसगढ़ में बहुतायत मात्रा में पाए जाने वाले कोयले की कालिख से उसने ना केवल राजनेताओं और अफसरों की तिजोरियो को रौशन करना शरू किया | बल्कि खुद के कारोबार की नींव भी रखी | इस कारोबार से उसने कई नौकरशाहों की ऊपरी कमाई का रास्ता भी खोला | इस अनूठे प्रयोग की कामयाबी से प्रभावित होकर सूर्यकान्त की अगुवाई वाली “डी कंपनी ” ने प्रदेश भर की कोल वाशरी में कब्जा करने का अभियान चलाया | कायदे कानूनों को दरकिनार कर इस “डी कंपनी ” ने सबसे पहले तो कोल कारोबार के ऑनलाइन सिस्टम को खत्म कर ऑफलाइन कामकाज की शुरुआत की | नतीजतन कोयले की दलाली से रोजाना काली कमाई का पहाड़ तनने लगा |

सूत्रों कि माने तो सूर्यकांत तिवारी की अगुवाई में एक समूह ने छत्तीसगढ़ की तमाम कोल वाशरी में कब्जा करने के लिए सुनियोजित रणनीति तैयार की थी | इसके तहत सूर्यकांत तिवारी की ओर से कोरबा में करोड़ों की नामी -बेनामी जमीने और कोलवाशरी खरीदी गईlऐसे कारोबारियों की राह में रोड़े अटकाये गए, जो ना तो कोलवाशरी बेचने को राजी थे और ना ही उसमे हिस्सेदारी के लिए सहमत |लिहाजा ऐसे कारोबारियों पर शिकंजा कसने का ब्लू प्रिंट तैयार किया गया | इसके साथ ही प्रदेश में संचालित कोल डिपो को बंद कर नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी की गई |

नई व्यवस्था में सिर्फ कोलवाशरी से ही कोयला उपलब्ध कराने का खाका खींचा गया था | इस व्यवस्था में कोयले से होने वाली अवैध वसूली की दर 25 रूपये प्रति टन से बढ़ाकर सीधा 300 रूपये प्रतिटन नियत कर दी गई थी । बताया जाता है कि राज्य में कोयले के कारोबार में एकाधिकार प्राप्त करने के लिए “डी कंपनी” ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी | सूत्र बताते हैं कि इसे पहले कि यह योजना परवान चढ़ पाती,आयकर छापो से सूर्यकांत तिवारी और “डी कंपनी ” की पोल खुल गई।

जानकारी के मुताबिक आयकर छापों से ब्लैकमनी के खेतो में अफरा तफरी मच गयी है |कोल कारोबारियों से गब्बर सिंह टैक्स वसूलने के लिए सूर्यकांत के नए साथी ,मैदान में उत्तर गए है | उधर “डी कंपनी” , इस योजना को लागू करने के लिए फिर अपनी पूरी ताकत झोंक रही है | उसे उम्मीद है कि उसकी कड़ी मेहनत से जल्द ही यह योजना मूर्त रूप लेगी |