मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ‘सटोरियाँ’, चुरहट लॉटरी कांड के बाद कांग्रेस पर महादेव ऐप सट्टा घोटाले का दाग, लपेटे में सिपाही, इंस्पेक्टर, थानेदार, एसपी से लेकर आईजी तक, सीबीआई के चंगुल में फंसे वर्दी में सटोरिये…..  

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दिल्ली/रायपुर: संयुक्त मध्यप्रदेश के दौर में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के कार्यकाल में चुरहट लॉटरी कांड ने राजनीति गरमा दी थी। सालों बाद इसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ का महादेव ऐप सट्टा घोटाला सामने आया है। चुरहट लॉटरी कांड की तरह सट्टा कारोबार को भी तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपे बघेल ने क़ानूनी शक्ल दे दी थी। यह साहब का मुख्य धंधा बन गया था। पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा अंजाम दिए गए महादेव ऐप सट्टा घोटाले से कांग्रेस की साख पर करारी चोट पड़ी है।

दरअसल, सीबीआई ने छत्तीसगढ़ में महादेव ऐप सट्टा घोटाले का पोस्टमार्टम शुरू कर दिया है। देश के कई राज्यों में अंजाम दिए गए महादेव ऐप सट्टा कारोबार का भारतीय मुख्यालय पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के बैनर तले कार्यरत बताया जाता है। छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र और आँध्रप्रदेश जैसे राज्यों में इसकी जड़े फैली हुई है। कारोबार को लोकप्रिय और सुरक्षित बनाने के लिए पुलिस तंत्र के भीतर आईपीएस अधिकारियों का एक गिरोह भी  पेशेवर संगठित अपराधियों की तर्ज पर महादेव ऐप सट्टा कारोबार का संचालन कर रहा था।

सीबीआई ने 4 आईपीएस, 2 ASP समेत आधा दर्जन से ज्यादा पुलिसकर्मियों के ठिकानों पर छापेमारी कर कई महत्वपूर्ण सबूत जुटाए है। एजेंसी ने प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपे बघेल को महादेव ऐप सट्टा कारोबार में लिप्त पाने के बाद नामजद आरोपी बनाया है। उसने सट्टा कारोबार से जुड़े अन्य 21 सटोरियों, कारोबारियों, पैनल ऑपरेटरों कों भी आरोपी बनाया है। जबकि कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के भी गिरफ्तारी के आसार जताये जा रहे है।

इन आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ पुख्ता सबूत हासिल होने के बाद उनके ठिकानों पर सीबीआई ने छापेमारी भी की थी। महादेव ऐप सट्टा कारोबार की जद में आये आईपीएस अधिकारियों से पूछताछ की जा रही है। प्रदेश में सीबीआई की सक्रियता से राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारा गरमाया हुआ है। सूत्रों के मुताबिक एजेंसी ने पूर्व मुख्यमंत्री बघेल समेत अन्य के खिलाफ EOW में दर्ज FIR को संज्ञान में लेते हुए जांच का दायरा बढ़ा दिया है।

सीबीआई ने प्रकरण की विवेचना का दायरा बढ़ाते हुए अब महादेव ऐप घोटाले की बड़ी मच्छलियों पर अपना शिकंजा कस दिया है। रायपुर से लेकर दुबई तक फैले इस कारोबार की जड़ों तक पहुँच कर एजेंसी ने कई ऐसे ठोस सबूत जुटाए है, जिससे पता पड़ता है कि महादेव ऐप सट्टा कारोबार ने शासन-प्रशासन के संरक्षण में क़ानूनी कारोबार की शक्ल ले ली थी। पुलिस तंत्र में सटोरियों की घुसपैठ से सट्टा कारोबार ने छत्तीसगढ़ के अलावा देश के कई राज्यों में अपनी मजबूत पकड़ बना ली थी।

छत्तीसगढ़ कैडर के कई आईपीएस अधिकारी लाभार्थी के रूप में बतौर प्रोटेक्शन मनी लाखों वसूल रहे थे। पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की अवैध आमदनी से जुड़े इस कारोबार में खाकी वर्दी के शामिल हो जाने से महादेव ऐप सट्टे ने शराब की तर्ज पर क़ानूनी कारोबार की शक्ल ले ली थी। अब सीबीआई घोटाले के गुनहगारों को क़ानूनी शिकंजे में कस रही है। मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर उसके निवेश के लिए अपनाये गए आपराधिक तौर-तरीकों पर एजेंसियों की निगाहे टिकी हुई है। नगद रकम के लेनदेन और उसे ठिकाने लगाए जाने के दर्जनों सबूत एजेंसियों के हाथों में बताये जा रहे है। 

जानकारी के मुताबिक जिन आईपीएस अधिकारियों को महादेव ऐप सट्टा घोटाले में लिप्त पाया गया है, उनमे  2001 बैच के आनंद छाबड़ा, 2005 बैच के शेख आरिफ, 2008 बैच के प्रशांत अग्रवाल और 2013 बैच के अभिषेक पल्लव का नाम खासतौर पर शामिल बताया जाता है। जबकि ASP स्तर के दो अधिकारियों, अभिषेक माहेश्वरी और संजय ध्रुव समेत आधा दर्जन से ज्यादा पुलिस कर्मियों के ठिकानों पर सीबीआई ने हालिया छापेमारी भी की थी।

यह भी बताया जाता है कि कई महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगने के बाद सिपाही, ASI, SI, TI, थानेदार, DSP और ASP जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत कई पुलिसकर्मियों को भी सीबीआई ने तलब किया है। सीबीआई की छापेमारी में आईपीएस अधिकारियों के ठिकानों से मिले डिजिटल साक्ष्यों की पड़ताल से कई अहम खुलासे हुए है। एजेंसियों ने उन तथ्यों को पड़ताल में शामिल किया है, जिसके तहत बैंकों के जरिये भी नंबर-2 की रकम को ठिकाने लगाया गया था।

पुलिस की वर्दी में सटोरियों को देखकर एजेंसियां भी हैरान बताई जाती है। महादेव ऐप सट्टा घोटाले में जिन आईपीएस अधिकारियों को लिप्त पाया गया है, उनमे दोहरे प्रभार के चलते तत्कालीन आईजी रायपुर रेंज और आईजी इंटेलिजेंस आनंद छाबड़ा को 20-20 लाख से ज्यादा की रकम का नगद भुगतान होता था। इसी तर्ज पर रायपुर रेंज के तत्कालीन आईजी शेख आरिफ, दुर्ग के एसएसपी अभिषेक पल्लव और रायपुर के तत्कालीन एसएसपी प्रशांत अग्रवाल को भी प्रतिमाह 20 से 25 लाख रुपये प्राप्त होते थे।

यही नहीं तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल को भी प्रतिमाह मोटी रकम सौंपी जाती थी। यह रकम सीधे तौर पर एक वरिष्ठ एसएसपी की देखरेख में उनके आवास तक पहुंचती थी। सूत्र तस्दीक करते है कि बघेल के राजनैतिक कार्यक्रमों और चुनावी फंड के लिए भी महादेव ऐप सट्टा के प्रमोटरों ने 500 करोड़ से ज्यादा की रकम बतौर नजराना भेट की थी। जानकारी के मुताबिक महादेव सट्टा मामले में सीबीआई ने पूर्व सीएम बघेल समेत जिन 21 लोगों पर भ्रष्टाचार, ठगी और जुआ एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया है, उनमे महादेव सट्टा के प्रमोटर रवि उप्पल, सौरभ चंद्राकर, शुभम सोनी उर्फ पींटू, चंद्रभूषण वर्मा, असीम दास, सतीश चंद्राकार, नीतिश दीवान, अनिल अग्रवाल उर्फ अतुल, विकास छापरिया, रोहित गुलाटी, विशाल अहूजा, धीरज अहूजा, अनिल दम्मानी, सुनील दम्मानी, सिपाही भीम सिंह यादव, हरीशंकर ट्रीब्लेवाल, सुरेंद्र बागड़ी, सूरज चोखानी, पुलिस अधिकारी, सीएम के ओएसडी और निजी व्यक्ति शामिल हैं। 

सूत्रों के मुताबिक हवाला कारोबार का बड़ा कनेक्शन सामने आने के बाद एजेंसी ने ट्रांजेक्शन लाइन पर अपनी निगाहे पैनी कर दी है। आला पुलिस अधिकारियों के लेनदेन के प्रमाणों के आधार पर उन पुलिस कर्मियों से पूछताछ की जा रही है, जो प्रोटेक्शन मनी के तौर पर साहब का हिस्सा उन तक पहुंचाया करते थे। सट्टे की रकम के निवेश को लेकर एजेंसियां पुलिस अधिकारियों से पूछताछ में जुटी है।

सूत्र यह भी तस्दीक करते है कि महादेव ऐप से जुड़े सटोरिये पुलिस अधिकारियों को नगद रकम सौपने के साथ-साथ उनकी बेगारी का भी भार उठाते थे। सैर-सपाटे के लिए कई अफसरों और उनके परिजनों ने रायपुर से लेकर दुबई तक उड़ाने भी भरी थी। यही नहीं महानगरों के सफर से लेकर शॉपिंग मॉल में खरीदी और मौज-मस्ती के बिलों का भुगतान भी सटोरियों के माध्यम से कराया जाता था। आईपीएस अधिकारियों के विदेश भ्रमण और बेगारी से जुड़े कई तथ्यों की पड़ताल की जा रही है। छापेमारी में बरामद डिजिटल साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद घोटाले की पूरी कड़ी सीबीआई के हाथ लग गई है।

सूत्रों की माने तो कोलकाता के कई बड़े हवाला कारोबारी का छत्तीसगढ़ कनेक्शन भी सामने आया है। महादेव ऐप सट्टा कारोबार से अर्जित रकम इन्ही हवाला कारोबारियों के मार्फ़त ठिकाने लगाई जाती थी। पुलिस के दागी अफसरों के साथ हवाला कारोबारियों के नियमित संपर्क से जुड़े कई तथ्यों को एजेंसियों ने जांच के दायरे में लाया है। पूर्व मुख्यमंत्री बघेल समेत दागी आईपीएस अधिकारियों को समय-समय पर सौंपी गई रकम का ब्यौरा भी इसमें शामिल बताया जाता है।

सूत्र तस्दीक करते है कि निलंबित पुलिसकर्मी, एएसआई चंद्रभूषण वर्मा, रितेश यादव और राहुल वक्टे ने लंबी पूछताछ के बाद ED को उस कारोबार से अवगत कराया था, जिसके तहत मनी लॉन्ड्रिंग होती थी। अब सीबीआई ने उन तथ्यों की पड़ताल कर देश-विदेश में फैले हवाला नेटवर्क को लेकर भी अपनी कार्यवाही तेज कर दी है। फ़िलहाल, आईपीएस अधिकारियों की गिरफ्तारी के आसार और पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के राजनैतिक भविष्य को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है।