कैफे कॉफी डे मालिक वीजी सिद्धार्थ का शव नेत्रावती नदी किनारे मिला , दो दिन से थे लापता |

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नई दिल्ली / कैफे कॉफी डे (सीसीडी) के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ का शव बुधवार को नेत्रावती नदी किनारे पर मिला है | भारत में कॉफी रेस्तरां के सबसे बड़े चेन ‘कैफे कॉफी डे’ के संस्थापक वी. जी. सिद्धार्थ कर्नाटक के तटीय शहर मंगलुरु जाने के दौरान रास्ते से सोमवार रात से लापता थे | वहीं उनके द्वारा कथित रूप से लिखे एक पत्र में कहा गया है कि उन पर कर्जदाताओं का ‘भारी दबाव’ था | सिद्धार्थ का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल(एनडीआरएफ), तटरक्षक, होमगार्ड, अग्निशमन विभाग एवं तटीय पुलिस की टीमों ने उस पुल के नीचे नेत्रावती नदी के पानी में तलाश की जहां 60 वर्षीय सिद्धार्थ को आखिरी बार देखा गया था |  पुलिस के अनुसार कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस. एम. कृष्णा के दामाद सिद्धार्थ को दक्षिण कन्नड़ जिले के कोटेपुरा इलाके में नेत्रावती नदी के पुल के पास सोमवार रात देखा गया था |  स्थानीय मछुआरे भी अपनी नौकाओं के साथ तलाश अभियान में शामिल किए गए थे | सिद्धार्थ सोमवार की दोपहर बेंगलुरु से हासन जिले के सक्लेशपुर के लिए निकले थे लेकिन अचानक उन्होंने अपने कार चालक से मंगलुरु चलने को कहा |  पुलिस ने बताया कि नेत्रावती नदी पर बने पुल के पास वह कार से उतर गए और उन्होंने चालक से कहा कि वह टहलने जा रहे हैं |  

दक्षिण कन्नड़ के उपायुक्त शशिकांत सेंथिल ने घटनास्थल का दौरा करने के बाद कहा, एक शव मिला है जो कैफे कॉफी डे के मालिक वीजी सिद्धार्थ का लगता है |  इससे पहले सिद्धार्थ (60) के कार चालक बसवराज पाटिल ने मेंगलुरू में एक पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया कि उनके मालिक पुल से लापता हो गए थे, जहां वह कार से उतरे थे और कुछ देर टहलना चाहते थे | 

सिद्धार्थ ने कंपनी के कर्मचारियों और निदेशक मंडल को कथित तौर पर लिखे पत्र में कहा, ‘‘मैं एक उद्यमी के तौर पर विफल रहा.’ हालांकि इस बात की स्वतंत्र तौर पर पुष्टि नहीं हो सकी है कि यह पत्र स्वयं उन्होंने लिखा है | इस पत्र में उन्होंने कहा, ‘मैं कहना चाहता हूं कि मैंने इसे सबकुछ दे दिया | मैं उन सभी लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने के लिए माफी मांगना चाहता हूं, जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया.’ सिद्धार्थ ने कहा कि उन्होंने लंबे समय तक लड़ाई लड़ी लेकिन, “आज मैं हिम्मत हार रहा हूं क्योंकि मैं निजी इक्विटी साझेदारों में से एक की तरफ से शेयर वापस खरीदे जाने का और दबाव नहीं झेल सकता हूं, एक लेन-देन जो मैंने छह माह पहले एक दोस्त से बड़ी मात्रा में धनराशि उधार लेकर आंशिक तौर पर पूरा किया था |