छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ BJP का मौन,सालों तक मंत्री रहे बड़े नेताओ ने ही झाड़ा पल्ला,पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह मुखर,नए पुराने कई चर्चित नेता मैदान से बाहर…

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रायपुर : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के मात्र 4 साल के कार्यकाल में अरबो का घोटाला सामने आया है। सेन्ट्रल फंडिंग हो या फिर राज्य शासन की योजनाएं , शायद ही ऐसा कोई महकमा बचा हो जहाँ बड़े पैमाने पर घोटाले सामने ना आ रहे हो। देश में पहली बार छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों की काली कमाई और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी अपराधिक वारदाते सामने आई है।

केंद्रीय एजेंसियां इन अफसरों पर लगाम लगाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। उनके कदमो पर रोक लगाने के लिए IAS , IPS और IFS जैसे कैडर के अफसर रोड़ा अटका रहे है। ये अफसर डंके की चोट पर अवैध फ़ोन टेपिंग और पत्रकारों पर फर्जी मुक़दमे दर्ज कर उन्हें जेल में ठूस रहे है।

सत्ता के नशे में चूर कांग्रेस सरकार की कार्यप्रणाली से जनता के सपनो पर पानी फिर रहा है। विधानसभा चुनाव के लिए अब लगभग साल भर का वक्त बचा है। कांग्रेस अपने वादों से तेजी से मुकर रही है। उसका पार्टी घोषणा पत्र लागू होने के बजाय प्रदेश में ब्लैक मनी का पहाड़ प्रभावशील है बावजूद इसके BJP के वो तमाम नेता सियासी जंग से बाहर है जो 15 सालों तक सत्ता की मलाई चखते रहे। पार्टी ने उन्हें मंत्री से लेकर कई महत्वपूर्ण पदों पर बिठाया।

कोई विधायक बना तो कोई सांसद , लेकिन मौजूदा दौर में कोई भी नेता कांग्रेस के सामने खड़े होने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह सिर्फ अकेले कांग्रेस का मुकाबला कर रहे है। उनके साथ कंधे से कन्धा मिलाने की तो छोड़िये , ये नेता कांग्रेस के अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज तक बुलंद करने में खौफ खा रहे है। राजनीति के जानकारों के मुताबिक इतने सालो तक सत्ता का लुफ्त उठाने वाले कई बड़े नेता खुद को सुरक्षित रखने के लिए BJP के आंदोलनों और नीतियों से काफी दूर खिसक गए है। 

बस्तर से विधायक रहे केदार कश्यप,कुरुद से अजय चंद्राकर,बिलासपुर से अमर अग्रवाल,सरगुजा के रामविचार नेताम, दुर्ग से सांसद सरोज पांडे,पूर्व विधानसभा अध्यक्ष त्रय प्रेमप्रकाश पांडे, गौरीशंकर अग्रवाल,धरमलाल कौशिक, बृजमोहन अग्रवाल,पूर्व BJP अध्यक्ष विष्णुदेव साय , रामसेवक पैकरा जैसे कई बड़े नेताओ का मौजूदा सियासी जंग से भाग निकलना प्रदेश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है।

राज्य की शोषित जनता इन नेताओ को खोज रही है, लेकिन दूर-दूर तक उनका कोई पता – ठिकाना नहीं मिल रहा है। ये नेता कांग्रेस का मुकाबला करने के लिए कब मैदान में उतरेंगे यह भी तय नहीं है।

बताया जाता है कि ऐसे कई और नेता है जो BJP में कुर्सी दौड़ में अव्वल रहे। लेकिन संघर्ष के इस दौर में उनका भी फिसड्डीपन वक्त के तकाजे पर है। 

इधर पार्टी की नई – नवेली टीम भी अपने स्वागत – सत्कार में ऐसी मशगूल नजर आ रही है , जैसे छत्तीसगढ़ में अमन चैन और खुशहाली का माहौल हो। लेकिन प्रदेश में कांग्रेस के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री का हल्ला बोल अब जोर पकड़ने लगा है।

कभी कांग्रेस पर सीधा हमला तो कभी अपने ट्वीट के जरिये पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राजनैतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। हालांकि पार्टी के अन्य नेताओ की गैर मौजूदगी के चलते  उनकी स्थिति भी ”अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता” की तर्ज पर नजर आ रही है। बावजूद इसके रमन सिंह के हमलावर रुख ने कांग्रेस की बेचैनी बढ़ा दी है|ऐसे समय BJP के अंदरखाने में आखिर चल क्या रहा है,क्या रमन सिंह के खिलाफ कोई लॉबी काम कर रही है? इसे लेकर माथा-पच्ची भी खूब हो रही है। 

कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव के दौरान BJP समेत मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए थे। यही नहीं ,उनके विश्वासपात्र अफसरों के खिलाफ भी प्रकरण दर्ज कर पूर्ववर्ती BJP सरकार को कठघरे पर खड़ा किया गया था। लेकिन कांग्रेस सरकार के 4 साल के कार्यकाल में ,अब तक कांग्रेस सरकार एक आरोप भी रमन सिंह और उनकी सरकार के खिलाफ सिद्ध नहीं कर पाई है। लोग सवाल कर रहे है कि चुनाव के दौरान सत्ता पाने के लिए क्या कांग्रेस ने झूठ बोल गुमराह किया था |

यही हाल उन अफसरों का है,जो बीजेपी के दौर में चर्चित रहे | अमन सिंह के खिलाफ भी लगाए गए आरोपों को लेकर अदालत में कांग्रेस सरकार को मुँह की खानी पड़ी। उसके कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हो पाए | कानून व्यवस्था बनाए रखने को लेकर अमन सिंह का हुनर आज भी लोग याद करते है | हालांकि बीजेपी की प्रदेश से रवानगी के बाद अमन सिंह ने भी रायपुर से दिल्ली का रुख कर लिया।

विधानसभा चुनाव के दौरान BJP के नेता और मंत्रियों के खिलाफ कांग्रेस के तमाम आरोप इन 4 वर्षो में मिट्टी में मिल गए। बताया जाता है कि पार्टी और सरकार दोनों ही अपने किसी भी आरोपो को लेकर गंभीर नजर नहीं आई है। इससे साफ़ है कि कांग्रेस के झूठे आरोपों के चलते BJP को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है ।लेकिन बीजेपी भी इन वर्षो में उस पर लगाए गए आरोपों की हकीकत को जनता तक पहुंचाने में नाकामयाब रही है। अब साल भर बाद फिर चुनाव होने है ,ऐसे में बीजेपी की एकजुटता और उस पर लगे आरोपो को लेकर भी लोगो के बीच भ्रम की स्थिति है।

इधर कांग्रेस ने अपने पूरे 4 साल के कार्यकाल में सिर्फ मुख्यमंत्री रमन सिंह को कोसने में वक्त गुजार दिया । इन वर्षो में कांग्रेस के कई नेताओं और प्रवक्ताओं की राडार पर सिर्फ मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनका परिवार ही रहा। रमन सिंह के अलावा इन वर्षो में उनके मंत्री मंडल के किसी भी मंत्री के खिलाफ कांग्रेस सरकार को एक तिनका तक हासिल नहीं हुआ।

विधानसभा के बाहर ही कांग्रेस अपने राजनीतिक शिगूफे छोड़ते रही। वही बीजेपी अपने बचाव में जुटी रही। हालाँकि ,अब वक्त आ गया है जब प्रदेश की जनता कांग्रेस के 4 साल और BJP के 15 सालों के कामकाज का आकलन कर रही है। भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था को लेकर आये दोनों ही सरकारों के अंतर को उसने महसूस करना भी शुरू कर दिया है। 

राज्य की जनता कांग्रेस के तमाम हवा – हवाई हमलो को बखूबी देख रही है। वो यह भी देख रही है कि आईटी -ईडी के छापो से क्या निकल रहा है ? फिलहाल सवाल उठ रहा है कि 15 सालों तक जनता के दिलों में राज करने वाला मुख्यमंत्री रमन सिंह आखिर कैसे विरोधियो के झूठे प्रचार और षडयंत्रो का शिकार हुआ ?

बता दें ,कठिन परिस्थियों के बावजूद रमन सिंह की ललकार से कांग्रेस के खेमे में गहमा गहमी मची है। उनकी बेबाकी और हकीकत भरे बयानों से प्रदेश की जनता को उसकी भूल का होता एहसास कांग्रेस की साख पर चोट मार रहा है। BJP की अंदरूनी राजनीति जो भी हो ,लेकिन उसके नेताओं की मौजूदा दौर में जनता के प्रति बेरुखी पार्टी की जड़ो को कमजोर करने में सहायक साबित हो रही है।