रायपुर: छत्तीसगढ़ में तीज-त्योहारों पर राजनीति का रंग छाया हुआ है। राज्य में अब त्यौहारों की झड़ी लग गई है, ऐसे अवसर पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियों के साथ-साथ उसका आधुनिक रूप भी देखने को मिल रहा है। बीते 5 वर्षों में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ी संस्कृति और तीज-त्योहारों को राजनैतिक रंग देकर बीजेपी पर जमकर हमले बोले थे। लेकिन सत्ता हाथ से जाने के बाद तीज-त्यौहारों की राजनीति का भी सफाया हो गया है। अब राज्य की बीजेपी सरकार ने छत्तीसगढ़ी संस्कृति के संरक्षण और प्रचार-प्रसार का जिम्मा खुद उठा लिया है। इससे महिलाओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। हरेली पर्व में लहराए बीजेपी के परचम के बाद अन्य तीज-त्योहारों का सांस्कृतिक स्वरूप अब लोगों के घरों से लेकर राजनेताओं के बंगलों तक में देखा जा रहा है। बीजेपी ने पार्टी स्तर से लेकर कई सरकारी कार्यक्रमों में प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को सहेजना शुरू कर दिया है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी लोक संस्कृति से जुड़े पर्वों पर रंगे नजर आ रहे है। उनकी वेशभूषा और पूजा-अनुष्ठान सनातन धर्म की सदियों पुरानी परंपरा की छठा बिखेर रही है। छत्तीसगढ़ की महिलाओं में आज दोहरी खुशी देखी जा रही है। विष्णुदेव साय सरकार ने महिला सशक्तिकरण और सांस्कृतिक विरासत को बचाये रखने के लिए महतारी वंदन योजना की जारी राशि के अंतरण को लाभार्थियों के खातों में भेज दिया है। तीजा-पोरा तिहार के मौके पर नोटों की बारिश होने से गांव-कस्बों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है।
महिलाएं जमकर खरीदी कर रही है। छोटे-बड़े हाठ बाजारों से लेकर शहरों की दुकानों और मॉल में अरसे बाद रौनक देखी जा रही है। लोक संस्कृति के पर्व पर महिलाओं के पर्स में नगदी देखकर दुकानदार भी गदगद है। वे हाथों-हाथ महिलाओं को उनका मनपसंद सामान सौंप रहे है। मुख्यमंत्री निवास में माताओं और बहनों के लिए करू भात के लिए पारंपरिक भोजन की भी व्यवस्था की गई है।
लोक रंग के इस पर्व पर खेत खलियानों से लेकर मुख्यमंत्री आवास में लोगों का ताँता लगा हुआ है। छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोक गायिका सुश्री आरू साहू ने मुख्यमंत्री बंगले में आयोजित कार्यक्रम में पारंपरिक गीतों की प्रस्तुति देकर ऐसा समा बांधा कि महिलाएं घंटों झूमती रही। लोक गीतों के मधुर स्वरों के बीच वे जमकर थिरकीं। मुख्यमंत्री साय ने सपत्नीक उनका आदर-सत्कार किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री की पत्नी कौशल्या साय ने भी अनुष्ठान में हिस्सा लिया। श्रीमती साय ने छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति और सनातन परंपरा पर अपने विचार भी व्यक्त किये। उन्होंने मौजूदा दौर में इसका महत्त्व भी लोगो को समझाया।
उधर कांग्रेसी खेमे में भी लोक संस्कृति के पर्व को लेकर खुशियां देखी गई। लेकिन वो रंगत नजर नहीं आई जो सत्ता के दौर में बीजेपी समेत अन्य विरोधी दलों को मुँह चिढ़ाती थी। कांग्रेसी खेमों में कही ख़ुशी तो कही गम नजर आया। ज्यादातर इलाकों में इस बार पार्टी की ओर से कोई खास कार्यक्रम आयोजित नहीं किये गए। गिने-चुने कांग्रेसी नेताओं ने अपने स्तर पर तीज-त्योहारों की खुशियां मनाई।
बताया जाता है कि तीज-त्योहारों में भी पार्टी के कई नेताओं की राजनीति से कार्यकर्ताओं पर विपरीत असर पड़ा है, ये कार्यकर्ता वोट के लिए त्योहारों का उपयोग किये जाने से आहत है, लिहाजा उन्होंने दूरियां बना ली है। कई कार्यकर्ताओं ने तस्दीक की है कि पूर्व मुख्यमंत्री की सस्ती राजनीतिक चाल से बड़ा हिन्दू समुदाय आहत है। फ़िलहाल बीजेपी ने छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति और परंपरा का सही मायनों में आयोजन कर कांग्रेस को हैरत में डाल दिया है।