“राज दरबारी”, पढ़िए छत्तीसगढ़ के राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों की खोज परख खबर, व्यंग्यात्मक शैली में, लेखक और वरिष्ठ पत्रकार ‘राज’ की कलम से, व्यंग-लेख का मकसद किसी की भी मानहानि नहीं बल्कि कार्यप्रणाली का इज़हार मात्र है… (इस कॉलम के लिए संपादक की सहमति आवश्यक नहीं, यह लेखक के निजी विचार भी हो सकते है)

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बड़े मिया तो बड़े मिया, छोटे मिया भी सुभान अल्लाह…. 
छत्तीसगढ़ में पुलिस अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा पाने में जोर शोर से जुटी है। इस बीच प्रदेश के DGP ने दुर्ग-भिलाई के 2 थानेदारों समेत 1 ASP पर अपनी निगाहे तिरछी कर ली है। साहब ने अचानक अपना रुख बदला और पुलिस मुख्यालय में उन 2 थानदारों को अटैच कर दिया, जिसने सटोरियों कों धड़ दबोचने के बजाय उनके साथ पार्टी करने में ज्यादा रूचि दिखाई थी। महादेव ऐप सटोरियों के साथ थानेदारों की गलबहियां देखकर साहब ने अनुशासन का डंडा चलाया। प्रदेश में अरसे बाद DGP की सक्रियता से पुलिस महकमा सनसनी के दौर से गुजर रहा है। साहब का भी फरमान है, ना खाऊंगा ना खाने दूंगा।

DGP साहब अनुशासन और कायदे-कानूनों के पालन को लेकर 24X7 संजीदा रहते है। कानून का राज स्थापित करने के इरादे से DGP की कुर्सी पर बैठे साहब की कार्यप्रणाली ना तो राजनैतिक रंग में चढ़ी बताई जाती है, और ना ही दबाव झेलने की आदि है। लिहाजा इस कार्यवाही से पुलिस महकमे में कायदे पसंद अफसरों की एक बार फिर चल पड़ी है, अब थानेदारों का सफ़ेद पोशो और गुंडे-बदमाशों के साथ सार्वजनिक प्रदर्शन अनुशासन के दायरे में आंका जाने लगा है। साहब की गर्मजोशी का असर पुलिस महकमे में जिम्मेदार अफसरों के सिर चढ़ कर बोलने लगा है। DGP पर इंसाफ का रंग महकमे में खुशियां लेकर आया है।

उनकी कार्यवाही प्रेरणादायक साबित हो रही है, पुलिस की साख में सुधार की नई परंपरा कों आगे ले जाते हुए बिलासपुर रेंज के आईजी ने भी एक फरमान जारी कर बेलगाम थानेदारों को सख्त सीख दी है। उन्होंने 3 स्टार वाले एक चर्चित थानेदार की काली करतूतों का रुख करते ही अनुशासन का डंडा चलाने में देरी नहीं की। उन्होंने इंस्पेक्टर रैंक के थानेदार को पलक झपकते ही सब इंस्पेक्टर बना दिया। देखते ही देखते 3 सितारा वर्दी से 1 सितारा निकल गया। मामला घोर अनुशासनहीनता के दायरे का बताया जा रहा है। संभव है कि आने वाले दिनों विभागीय जांच में दोषसिद्ध पाए गए इस थानेदार की पुलिस महकमे से विदाई ना हो जाये ?

दवा-दारू मंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री को दिखाया आइना

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल पर सुशासन तिहार का रंग सुर्ख हो गया है। मंत्री जी शासन-प्रशासन की नब्ज टटोलने के लिए अस्पतालों के अलावा सरकारी शराब दुकानों का जायजा भी ले रहे है। ग्राउंड जीरो में उतर कर शराब के शौकीनों-ग्राहकों से रूबरू होना उनके अभियान का हिस्सा है। हुआ यूँ कि जीपीएम जिले के एक अस्पताल में दाखिल होकर मंत्री ने मरीजों का हालचाल लिया। उनकी फरियाद बखूबी सुनी, मौके पर निदान भी किया। इसके बाद मंत्री जी का काफिला अचानक राह में नजर आ रही, सरकारी दारू दुकान में ठहर गया, यहाँ यातायात और नागरिक सुरक्षा को लेकर स्थानीय लोगों से मंत्री जी रूबरू हुए।

उन्होंने मदिरा प्रेमी ग्राहकों के स्वास्थ्य का जायजा लिया। उनकी आर्थिक स्थिति और कामकाज की नब्ज टटोली। शराब से तौबा करने का संदेशा भी दिया। सरकार के मंत्री का अपने विभागीय कार्यों का जायजा लेने के लिए ग्राउंड जीरो में उतरना प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री को नागवार गुजर गया। वह भी इतना कि प्रदेश में शराब की नदियां बहाने में महारत हासिल करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री ने अचानक मंत्री श्याम बिहारी पर बगैर सोचे-समझे राजनैतिक हमला बोल दिया। ट्वीट कर नसीहत दी, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री का यह ट्वीट ही कांग्रेस के गले की हड्डी बन गया है।

यूँ तो चुनाव जीतने और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री ने खुद तो कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र से पल्ला झाड़ लिया। फिर जनता के साथ शराबबंदी का किया गया वादा, भूलकर खुद शराब घोटाले में लिप्त हो गए। अपने फायदे के लिए प्रदेश की जनता को शराब के नशे में ढकेल दिया। पूर्व मुख्यमंत्री के इस ट्वीट ने जनता के जख्मों को कुरेद दिया। फिर क्या था ? इधर पूर्व मुख्यमंत्री का ट्वीट उधर मंत्री जी भी आइना दिखाने में पीछे नहीं रहे। उन्होंने पूर्ण शराबबंदी को लेकर कांग्रेस के गंगाजली वादे को याद दिलाने में देरी नहीं की। अब मंत्री जी अपनी कर्तव्यनिष्ठा की नई दास्तान लिख रहे है, जबकि शराब प्रेमी पूर्व मुख्यमंत्री बगले झांकने को मजबूर है। 

हाथों में गंगा जल लेकर कसमे खाई

बीजेपी सरकार के मंत्री ने अपने विभागीय कार्यों का लिया जायजा, पूर्व मुख्यमंत्री को एतराज 
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी और उसके दिग्गज नेताओं ने पार्टी घोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था। हाथों में गंगा जल लेकर कसमे खाई थी कि आप सिर्फ वोट दीजिये, बीजेपी को सत्ता से हटाइये, शराबबंदी हम लागू करेंगे। सत्ता में आने के बाद कांग्रेस का अजीबों-गरीब चरित्र दिखाई दिया। मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठे शख्स ने बजाय शराबबंदी लागू करने के प्रदेश में शराब की नदियां बहा दी थी। 2200 करोड़ का शराब घोटाला अंजाम दिया। कांग्रेस घोषणा पत्र के वादों को लागू करने के बजाय अपने साथी नेताओं का निपटारा कर दिया। मुख्यमंत्री ने अपनी कुर्सी पर ढ़ाई-ढ़ाई साल का जोड़ लगाकर टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू और चरणदास महंत जैसे सक्रिय नेताओं के अरमानों पर पानी फेर दिया।

अब सत्ता गवाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री की हालत खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे की तर्ज पर नजर आ रही है। बीजेपी सरकार का सुशासन तिहार पूर्व मुख्यमंत्री को फूटी आंख नहीं सुहा रहा है। हुआ यूँ कि स्वास्थ्य विभाग और आबकारी महकमे का मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने हालिया जायजा लिया, पहले वे एक सरकारी अस्पताल पहुंचे, यहाँ स्वास्थ्य महकमे की नब्ज टटोली, इसके बाद मंत्री का काफिला एक इलाके की सरकारी शराब दुकान के सामने आ ठहरा। यहाँ मंत्री ने शराब के शौकीनों से मेल-मुलाकात की और पीड़ितों की कठिनाइयां दूर करने का भरोसा दिलाया। दिलचस्प बात यह है कि अभी मंत्री की गाड़ी अपने अगले ठिकाने की ओर बढ़ ही नहीं पाई थी कि पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर बीजेपी के मंत्री पर हमला बोल दिया। उन्होंने सरकारी शराब दुकानों में मंत्री की मौजूदगी पर एतराज जताते हुए कई अनर्गल आरोप भी लगाए। उधर हरकत में आये मंत्री श्याम बिहार जायसवाल ने पलटवार करने में भी देरी नहीं की। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री को चेताया कि अपने कार्यकाल में कभी शराब दुकानों की ओर रुख कर लेते तो घोटाला ही नहीं होता, शराब बिक्री के नंबर- 1 और नंबर- 2 के रजिस्टर और उनकी काली करतूते यहाँ नजर आती। जनता को 2200 करोड़ का शराब घोटाला नहीं झेलना पड़ता। अब मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के तीखे तंजों से पूर्व मुख्यमंत्री सदमे में बताये जा रहे है।   

जेल विभाग फेल ? अवैध उगाही और बंदियों की मौत से पसरा मातम, 70 फरार कैदियों का कोई अता-पता नहीं
छत्तीसगढ़ में जेल में उगाही जोरो पर है। प्रदेश के एकमात्र इस महकमे की कमाई का अंदाजा लगाना आसान नहीं है। जेल की हवा खाने वाले ही इसका आकलन कर सकते है कि जेलर और सुपरिटेंडेंट रोजाना कितनी मोटी रकम पर हाथ साफ करते है। बंदियों के खाने-पीने की वस्तुओं से लेकर रख-रखाव के तमाम साधनों पर मोटी हफ्ता वसूली होती है। रोजाना लाखों का ब्यौरा न्यौरा होता है। प्रदेश के प्रत्येक जिलों में क्षमता से दोगुने बंदी मौजूद है। ऐसे में जेल विभाग की अवैध आमदनी भी आसमान छू रही है। जेलर और सुपरिटेंडेंट की माली हालत का पता बताने में सप्लायरों की दास्तान सुर्ख़ियों में है।

वे बताते है कि साहब ऊपर से नीचे तक कितना बांटते है ? विभागीय अफसरों की करोड़ों की संपत्ति अर्जित करने के दांवपेचों को सुनकर हैरानी होती है, ACB/EOW और ED को आरोपियों-बंदियों की ओर रुख करने से ज्यादा जरुरी है, जेलर और सुपरिटेंडेंट के गिरेबान में हाथ डालना। इन दिनों रायपुर सेंट्रल जेल से लेकर जिला जेलों तक अवैध वसूली तिहार मनाया जा रहा है। कैदियों का दम निकल रहा है, वे बेमौत मारे जा रहे है, लेकिन सुनवाई तक नहीं हो रही है। एक नई जानकारी भी सामने आई है, इसके मुताबिक छत्तीसगढ़ में कोरोना महामारी के दौरान जेलों में संक्रमण रोकने के लिए पैरोल पर रिहा किए गए कैदियों में से 70 अब तक वापस नहीं लौटे हैं।

हाईकोर्ट की सख्ती के बाद जेल महानिदेशक (डीजी) ने शपथपत्र दाखिल कर यह जानकारी दी। जेल प्रशासन ने फरार कैदियों के खिलाफ संबंधित थानों में मामले दर्ज कराए हैं, और उनकी तलाश जारी है। हाईकोर्ट ने पैरोल पर छोड़े गए कैदियों के बारे में जेल डीजी से जवाब मांगा था। डीजी के शपथपत्र के अनुसार, प्रदेश की पांच सेंट्रल जेलों रायपुर, बिलासपुर, अंबिकापुर से 83 कैदी पैरोल पर रिहा होने के बाद नहीं लौटे। इनमें से 10 को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि 3 की मृत्यु हो चुकी है। शेष 70 कैदी अभी भी फरार हैं, जिसमें एक कैदी दिसंबर 2002 से गायब है। अधिकांश फरार कैदी हत्या के मामलों में सजा काट रहे थे। फ़िलहाल, जेल विभाग की तमाम गतिविधियां उच्च स्तरीय जांच के दायरे में बताई जाती है।