
भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में बीजू जनता दल (BJD), शिरोमणि अकाली दल (SAD), और भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने मतदान से दूरी बनाए रखने का ऐलान किया है। इन दलों ने स्पष्ट किया कि वे किसी भी गठबंधन के साथ नहीं जुड़ेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इन दलों के फैसले से चुनाव के गणित पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन आसानी से जीत की ओर हैं।
ओडिशा की बीजेडी ने अपनी पारंपरिक नीति के अनुरूप उपराष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा न लेने का निर्णय लिया। बीजेडी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद डॉ. सस्मित पात्रा ने कहा, “हमारा ध्यान ओडिशा के 4.5 करोड़ लोगों के विकास और कल्याण पर है। इसलिए पार्टी उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहेगी। एनडीए और इंडिया ब्लॉक दोनों से समान दूरी बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है।”
तेलंगाना की बीआरएस ने किसानों की समस्याओं, विशेषकर यूरिया की कमी और कृषि संकट के विरोध में चुनाव से दूरी बनाई। बीआरएस के पास चार राज्यसभा सांसद हैं, जबकि लोकसभा में इसका कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
पंजाब की एसएडी ने भी मतदान से परहेज किया। पार्टी ने इसका कारण पंजाब में आई भीषण बाढ़ और उसके प्रभाव से उत्पन्न आपदा को बताया। एसएडी के पास केवल एक सांसद हरसिमरत कौर हैं, जो पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हैं।
अब उपराष्ट्रपति चुनाव सीधा मुकाबला बन गया है, जहां एनडीए के सीपी राधाकृष्णन और विपक्षी इंडिया ब्लॉक के बी. सुदर्शन रेड्डी आमने-सामने हैं। चुनाव में कुल 781 निर्वाचक शामिल हैं, और जीत के लिए 391 वोटों का बहुमत आवश्यक है। इस बार चुनाव जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई को इस्तीफा देने के बाद खाली हुए उपराष्ट्रपति पद के लिए हो रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, एनडीए की संख्या बल मजबूत है, लेकिन क्रॉस-वोटिंग और आज शाम के परिणाम पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। इस लिहाज से उपराष्ट्रपति चुनाव बहिष्कार का राजनीतिक संदेश भी अहम माना जा रहा है।