रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के पूर्व महिला एवं बाल विकास विभाग में भी अफसरों ने 48 करोड़ की रकम पर हाथ साफ कर दिया। इस दौरान कागजों में आवश्यक सामग्री की खानापूर्ति दर्ज कर एक बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया है। जानकारी के मुताबिक चुनावी आपाधापी के बीच अफसरों ने निविदा-टेंडर की शर्तों के विपरीत गुणवत्ताविहीन गिनी-चुनी सामग्री की सप्लाई सुनिश्चित की और कारोबारियों को मोटी रकम की अदायगी कर दी। इस दौरान फर्जी बिलों को स्वीकृत कर आहरण आदेश तैयार किया गया था। राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री करप्शन बघेल सरकार की रवानगी के बाद दर्जनों विभागों में लगातार घोटाले उजागर हो रहे है। इस कड़ी में महिला और बाल विकास विभाग का सामग्री घोटाला खूब सुर्खियां बटोर रहा है, सिर्फ सामग्री की खरीद-फरोख्त ही नहीं अन्य योजनाओं के संचालन में भी सरकारी तिजोरी पर करोड़ों का चूना लगाया गया है।
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अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि विभिन्न योजनाओं की मद के दुरुपयोग का मामला 500 करोड़ का आंकड़ा पार कर चूका है। इतने बड़े घोटाले को अंजाम देने वाले दागी अफसर बेफिक्र है। दरअसल, कांग्रेस के बाद बीजेपी के सत्ता में आने के बावजूद उनकी कुर्सी सही सलामत है, वे पूर्व सरकार की सरपरस्ती में अंजाम दिए गए घोटालों को दबाने-छिपाने की कवायत में जुटे है। जबकि सैकड़ों गांव के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे है। जानकारी के मुताबिक विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में सामग्री की खरीद-फरोख्त में बड़े पैमाने पर धांधली और कमीशन का खेल सामने आया है।
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विभाग की आईसीडीएस शाखा में घोटालों की फाइल और उससे गायब होने वाले दस्तावेजों को लेकर गहमा-गहमी है। बताया जा रहा है कि सुनील और अनिल नामक कारोबारियों ने कतिपय बाबुओं के माध्यम से कई ऐसी फाइल और दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिए है, जिसमे पिछले 5 वर्षों की निविदा-टेंडर, स्वीकृति, भुगतान और अन्य लेखा-जोखा मौजूद था। सूत्रों के मुताबिक एक बड़े घोटाले के उजागर होने के अंदेशे के चलते कई वरिष्ठ अधिकारियों ने इन कारोबारियों की राह आसान कर दी थी। नतीजतन, ऐसे दस्तावेज और फाइल विभाग से नदारत कर दिए गए है, जिनका सीधा संबंध आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए हुई खरीद-फरोख्त से सम्बद्ध था।
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एक जानकारी के मुताबिक जुलाई से नवंबर 2023 तक की अवधि में प्रदेश के 4750 सक्षम आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए ‘एक लाख रुपये’ प्रति आंगनवाडी केंद्र की दर से लगभग 48 करोड़ रुपए की दैनिक उपयोग से संबंधी खरीदी की गई थी। स्वास्थ्य विभाग के CGMSC दवा घोटाले की तर्ज पर महिला एवं बाल विकास विभाग में भी अधिकांश सामग्री का बिना क्षेत्रीय मांग के क्रय किया गया था। बताया जाता है कि इस खरीदी के लिए शासन से स्वीकृति जुलाई 2023 में ही मिल गई थी। संचालनालय महिला बाल विकास विभाग के प्रस्ताव पत्र 26 अगस्त 2023 को विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों में क्रय सामाग्री की स्वीकृति काफी पहले प्रदान कर दी गई थी। जबकि इसका प्रस्ताव बाद में पेश कर फाइलों में संलग्न कर दिया गया था।
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सूत्रों के मुताबिक राज्य स्तर पर गठित क्रय समिति की बैठक 20 सितंबर 2023 में निविदा-टेंडर और क्रय सामग्री की गुणवत्ता पर जोर दिया गया था। लेकिन चुनावी बेला में प्रभावशील अफसरों ने खरीद-फरोख्त की नई रणनीति के तहत कुछ चुनिंदा कारोबारियों से सांठ-गांठ कर नियमों के ठीक विपरीत ऊंची क्रय दरों पर घटिया सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित करा दी। यही नहीं यह सामग्री भी निर्धारित मात्रा से काफी कम थी। इसमें सीलिंग फैन, रेगुलेटर, 32 इंच की एलईडी टीवी (ब्लैक एंड वाइट), राइटिंग बोर्ड, आरओ वाटर फिल्टर, कुर्सी, टेबल, एंगल आयरन रैक, 60 लीटर के प्लास्टिक के वाटर कंटेनर, 15 लीटर की बाल्टी, प्लास्टिक के घमेला और झाड़ू इत्यादि सामग्री शामिल बताई जाती है।
जानकारों के मुताबिक प्रदेश के 12 जिलों में एकतरफ़ा गैर आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की गई थी। इसमें बस्तर के 600, बीजापुर के 200, दंतेवाड़ा के 300, कांकेर के 600, कोंडागांव के 500, नारायणपुर के 100, सुकमा के 250, कोरबा के 700, राजनांदगांव के 450, महासमुंद के 600, मोहला मानपुर, अंबागढ़ चौकी के 250, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई के 200 इस प्रकार कुल 4750 सक्षम आंगनबाड़ी केंद्र शामिल है। इन केंद्रों में खानापूर्ति सिर्फ बिल भुगतान के लिए प्रदर्श सामग्री ही भेजी गई थी। शेष क्रय सामग्री का अब तक कोई अता-पता नहीं है। ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्र तस्दीक करते है कि निविदा-टेंडर में दूषित प्रक्रिया का पालन कर कतिपय अफसरों और कारोबारियों ने सीधा लाभ कमाया था।
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जानकारी के मुताबिक दुरस्त अंचलों के ज्यादातर सक्षम आंगनबाड़ी केंद्रों हेतु विद्युत से चलने वाले उपकरण क्रय किए गए थे। जबकि इन केंद्रों में विद्युत कनेक्शन उपलब्ध ही नहीं है ? निविदा-टेंडर जारी करने से पूर्व या बाद में भी क्रय समिति ने विद्युत्न कनेक्शन की उपलब्धता का आकलन नहीं किया था। यह भी तथ्य सामने आया है कि आईसीडीएस शाखा में क्रय प्रभारी के पास विद्युत कनेक्शन वाले सक्षम आंगनबाड़ी केंद्रों की सूची तक उपलब्ध नहीं है।
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बताते है कि गैर-जरुरी कई उपकरणों के अलावा गुणवत्ताविहीन जरुरी उपकरण ख़रीदे गए। इसमें पोषण वाटिका, रैन वॉटर हार्वेस्टिंग कार्य एवं अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर कार्य के तहत फ्री स्कूल किट, आंगनवाड़ी केंद्रों की अंदर व बाहर लिपाई-पुताई, टेबल-कुर्सी, ब्लैक बोर्ड व दरी भी क्रय की गई थी। पीड़ित आँगनबाड़ी कार्यकर्ता यह भी दलील दे रहे है कि तत्कालीन प्रभावशील अधिकारियों के निर्देश पर भेजी गई घटिया सामग्री का उपयोग तक सुनिश्चित नहीं हो पाया। ये सामग्री आज भी विभिन्न स्टोर में कंडम सामग्री की तर्ज पर सुरक्षित रखी गई है।
छत्तीसगढ़ में महिला एवं बाल विकास विभाग की कई योजनाओ का संचालन बाहुबलियों के हाथों में है। उनके मध्यान भोजन से लेकर आवश्यक सामग्री की सप्लाई का विशेष नेटवर्क अपनी जड़े जमाए हुए है। बताते हैं कि नियमों के विपरीत खरीद-फरोख्त पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेडिया के संरक्षण में उनके प्रतिनिधि अनिल लोढ़ा और विभागीय उप संचालक सुनील शर्मा के द्वारा अंजाम दी गई थी। एक शिकायत में इस खरीद-फरोख्त की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है। उधर, न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने पूर्व मंत्री अनिला भेडिया, उनके प्रतिनिधि अनिल लोढ़ा और मुख्य कर्ताधर्ता सुनील शर्मा का पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया। लेकिन उनसे कोई प्रतिउत्तर प्राप्त नहीं हो पाया।