लखनऊ / उन्नाव के बीजेपी सांसद साक्षी महाराज का बड़ा बयान दिया है। जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। महाराज साक्षी ने कहा कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा की मदद की थी।
इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों में भी ओवैसी हमारी मदद करेंगे। भाजपा सांसद ने कहा कि उप्र और बंगाल चुनाव में एआईएमआईएम की भागीदारी से भाजपा को राज्यों को जीतने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, “यह ईश्वर की कृपा है। ईश्वर उन्हें शक्ति दें। उन्होंने बिहार में हमारी मदद की और अब वे उत्तर प्रदेश के पंचायत और विधानसभा चुनावों में और पश्चिम बंगाल के चुनावों में भी हमारी मदद करेंगे।
विपक्ष ओवैसी पर भाजपा की ‘बी टीम’ होने का आरोप लगाता है। कांग्रेस सहित विपक्ष का मानना है कि ओवैसी चुनाव में भाजपा को फायदा पहुंचाते हैं क्योंकि उनके चुनाव लड़ने से मुस्लिम और हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण होता है जिसका सीधा फायदा भाजपा उठाती है। चुनाव रणनीतिकारों का भी कहना है कि विपक्ष के परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक में ओवैसी सेंधमारी करते हैं जिससे विपक्ष कमजोर होता है और इसका लाभ भाजपा को मिलता है। बिहार के चुनाव नतीजे विपक्ष के आरोपों को बहुत हद तक सही भी ठहराते हैं।
गत 10 नवंबर को आए बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एआईएमआईएम को बड़ी सफलता मिली। इस राज्य में ओवैसी ने छोटे दलों के साथ गठबंधन कर सीमांचल इलाके में चुनाव लड़ा था। यहां से उनकी पार्टी पांच सीटें जीतने में सफल हुई। इसके अलावा वह करीब दर्जन भर सीटों पर दूसरे स्थान पर आई। सीमांचल मुस्लिम बहुल इलाका है और यहां की कई सीटों के नतीजे मुस्लिम मतदाता तय करते हैं। ओवैसी की पार्टी ने जिन पांच साटों पर जीत दर्ज की है उस पर अब तक महागठबंधन के उम्मीदवार चुनाव जीतते आए थे। सीमांचल में ओवैसी के चुनाव लड़ने का फायदा भाजपा को मिला और नुकसान कांग्रेस और राजद को हुआ।
बिहार चुनाव के नतीजों से उत्साहित ओवैसी ने कहा है कि वह बंगाल और फिर यूपी का विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। इन चुनावों की तैयारी में ओवैसी अभी से जुट गए हैं। बंगाल में अप्रैल-मई में चुनाव होने हैं। यहां वह फुरफुरा शरीफ के धार्मिक नेता अब्बास सिद्दिकी के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहते हैं। फुरफुरा शरीफ का साउथ एवं नॉर्थ 24 परगना जिलों में प्रभाव माना जाता है। यहां ओवैसी 60 से 80 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। जबकि उत्तर प्रदेश में उन्होंने ओम प्रकाश राजभर के साथ मोर्चा बनाया है।