बड़ी खबर : भारत में बिना लक्षण वाला कोरोना संक्रमण मरीजों के लिए साइलेंट किलर साबित हो रहा है, ऐसे मरीजों में कोरोना वायरस के आम लक्षण जैसे खांसी, सांस लेने में परेशानी नहीं दिखे, लेकिन फेफड़े अपनी स्वाभाविक क्षमता से काम करना बन्द कर देते हैं, निमोनिया के बाद मरीजों की मौत

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दिल्ली वेब डेस्क / भारत में कोरोना संक्रमण के मरीजों के साथ साथ कई ऐसे मरीज भी सामने आ रहे है, जिन्हे कोरोना के सामान्य लक्षण नहीं पाए गए | हालाँकि जाँच के दौरान उन मरीजों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई | डॉक्टरों के मुताबिक ऐसे कई मरीजों की मौत इलाज शुरू होते ही हो गई | दरअसल जब तक उनके संक्रमित होने की रिपोर्ट आती, तब तक काफी देर हो चुकी थी | डॉक्टरों ने बगैर लक्षण वाले कोरोना संक्रमितों को लेकर हैरानी जताई है | उन्होंने ऐसे मरीजों के लिए कोरोना को साइलेंट किलर बताया है |

दरअसल कोरोना के बिना लक्षण वाले यानी एसिम्प्टोमैटिक मरीजों के बारे में अभी तक आम राय यह थी कि इन्हें खतरा बहुत कम होता है। लेकिन हालिया अध्ययन से पता चला है कि यह वायरस एसिम्प्टोमैटिक मरीजों के शरीर में साइलेंट किलर की तरह काम कर रहा है | यह वायरस ऐसे मरीजों के फेंफड़ों को बुरी तरह से संक्रमित कर रहा है | डॉक्टरों के मुताबिक इस तरह के खतरनाक हमले से मरीजों की मौत हो रही है | नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार ऐसे मरीजों को फेफड़े कमजोर हो रहे हैं और उनमें निमोनिया का खतरा बढ़ता है।

हाल ही के दिनों में सामने आई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में करीब 80 प्रतिशत एसिम्प्टोमैटिक मरीज हैं। उधर विश्व स्वास्थ संगठन का कहना है कि दुनिया में ऐसे मरीजों की संख्या 6 से 41 प्रतिशत तक हो सकती है। इस मामले में पड़ताल कर रहे शोधकर्ताओं ने 37 बिना लक्षण वाले मरीजों से जुड़े डाटा का अध्ययन किया है | ये डाटा चीन के सेंटर फॉर डिजीज एंड प्रीवेंशन संस्थान द्वारा जुटाया गया था।

इस संस्थान ने चीन में फरवरी से अप्रैल तक कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग व जांच के जरिए कुल 2088 मरीजों को ढूंढा था। मरीजों के सिटी स्कैन से पता लगा कि 57 प्रतिशत मरीजों के फेफड़ों में धारीदार छाया थी जो फेफड़ों में सूजन या इन्फ्लेमेशन का लक्षण है। डॉक्टरों के मुताबिक यह भी कोरोना के संक्रमण के चलते प्रभावित हुआ है | उनके मुताबिक इस स्थिति में फेफड़े अपनी स्वाभाविक क्षमता से काम करना बन्द कर देते हैं।

वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि पहली बार एसिम्प्टोमैटिक मरीजों के क्लीनिकल पैटर्न से इस तरह की बात सामने आई है। पता चला की इन मरीजों के फेफड़ों को नुकसान हुआ तो इनमें खांसी, सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण नहीं दिखे। उन्होंने चेतावनी दी है कि ऐसे मरीजों की अचानक मौत होने का खतरा भी अधिक है। हालांकि इन मरीजों को लेकर शोधकर्ताओं ने गहराई से अध्ययन शुरू कर दिया है |