बड़ी खबर : छत्तीसगढ़ में ईमानदारी का ढोल पीटने वाले कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर का काला कारनामा, अरबो रूपये डकारने वाले भ्रष्ट अफसरों को जबरदस्त संरक्षण, अब तो हद हो गई, अपने नौ रत्नों को बचाने के लिए छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड का ऑडिट कैग के बजाएं लोकल ऑडिटर से कराने का फैसला, मंत्री जी की कार्यप्रणाली सुर्ख़ियों में, भ्रष्टाचार की पोल खुलने के बाद बचाव में आए अकबर-बीरबल, देखे दस्तावेजी रिपोर्ट 

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रायपुर / छत्तीसगढ़ में कई विभागों के कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर के बारे में अक्सर दावा किया जाता है कि वे ईमानदार छवि के नेता है | लेकिन उनकी कार्यप्रणाली बताती है कि विभागीय कार्यकलापों में उनकी ईमानदारी का प्रतिशत “शून्य” है | यह हम नहीं कह रहे है , बल्कि वो सरकारी दस्तावेज जाहिर कर रहे है , जो विभागीय जांच रिपोर्ट और वर्ष 2013 की कैग रिपोर्ट में दर्ज है | पुख्ता और अधिकृत जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड की दुर्ग-भिलाई स्थित तालपुरी प्रोजेक्ट में अरबों का भ्रष्ट्राचार हुआ | कैग अर्थात महालेखाकार छत्तीसगढ़ (एकांउंट जनरल ऑडिट) ने वर्ष 2013 की अपनी रिपोर्ट में 115 से ज्यादा करोड़ की गड़बड़ी की पुष्टि की | इसी दौरान राज्य शासन ने मामले की जांच कराई | इस रिपोर्ट में भी अरबो रूपये का भ्रष्ट्राचार सामने आया |

बताया गया कि वर्ष 2008 से लेकर वर्ष 2013 तक प्रभाशील अफसरों ने अरबो रूपये का चूना सरकारी तिजोरी पर लगाया | भ्रष्ट्राचार के इस दल दल में डुबकियां लगाने वालों में जांच रिपोर्ट में नामजद किये गए अफसरों के अलावा उन नेताओं ने भी गोते लगाए , जिनका छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड से सीधा नाता रहा है | उम्मीद की जा रही थी कि भ्रष्ट्राचार के इस बड़े मामले की जांच मौजूदा कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में होगी | भ्रष्टाचारियों से सरकारी रकम वसूली जाएगी | लेकिन आप यह जानकर हैरत में पड़ जायेगे कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्ट्राचार को रफा-दफा करने और भ्रष्ट अफसरों को बचाने के लिए कांग्रेस सरकार के जिम्मेदार मंत्री मोहम्मद अकबर खुद मैदान में कूद पड़े है | अपने दो साल के कार्यकाल में मंत्री जी ने भ्रष्ट्राचार के मामले की जांच को लेकर कोई रूचि नहीं दिखाई | अलबत्ता भ्रष्ट्राचार में लिप्त अफसरों को अपने दरबार में “नौ रत्नों” का दर्जा दे दिया |

 ईमानदार छवि का दावा करने वाले मंत्री जी की हकीकत इन सरकारी दस्तावेजों में देखे | गौर फरमाएं कि 29 बार इन अफसरों ने अपने पद और प्रभाव का दुरूपयोग करते हुए सरकारी तिजोरी पर अरबो रूपये का चूना लगाया | जांच रिपोर्ट के दस्तावेज इस समाचार के साथ संलग्न है | उन अफसरों से परिचित होने के साथ साथ डकारी गई रकम का ब्यौरा भी देखिये :

जांच रिपोर्ट में वर्ष 2013 के दौरान नामजद किये गए अफसरों से वसूली जाने वाली रकम का ब्यौरा , जिसमे 2013 से लेकर 2021 की अवधि तक की ब्याज की रकम शामिल नहीं की गई है :-

(1)  65 लाख रूपये- हर्ष कुमार जोशी कार्यकारी अभियंता

(2)  88 लाख  12 हजार 232 रूपये – हर्ष कुमार जोशी , सहायक अभियंता एमके पांडे और उप अभियंता पीजे अब्राहम

(3)  1 करोड़ 60 लाख रूपये – कार्यकारी अभियंता एमडी पनारिया  

(4) 4 करोड़ 44 लाख 48 हजार रूपये – हर्ष कुमार जोशी , एमडी पनारिया   

(5)  2 करोड़ 20 लाख रूपये – एमडी पनारिया 

(6) 10 करोड़ 65 लाख 54 हजार 405 रूपये एमडी पनारिया 

(7) 3 करोड़ 21 लाख 91 हजार 422 रूपये – हर्ष कुमार जोशी , एमके पांडे और उप अभियंता रामकुमार वर्मा  

(8)15 करोड़ 37 लाख 79 हजार 42 रूपये- हर्ष कुमार जोशी , एमडी पनारिया , एमके पांडे रामकुमार वर्मा  

(9) 6 करोड़ 54 लाख 54 हजार 980 रूपये- हर्ष कुमार जोशी , एमडी पनारिया , एमके पांडे , रामकुमार वर्मा  

(10)  3 करोड़ 49 लाख 96 हजार 332 रूपये- हर्ष कुमार जोशी , एमके पांडे , उप अभियंता सुश्री प्राची झा  

(11) 10 करोड़ 82 लाख 35 हजार 47 रूपये- हर्ष कुमार जोशी , एमडी पनारिया , एमके पांडे , प्राची झा  

(12)  4 करोड़ 52 लाख 11 हजार 442 रूपये – हर्ष कुमार जोशी , एमके पांडे , उप अभियंता पुरषोत्तम साहू , सुश्री प्राची झा 

(13)  8 करोड़ 80 लाख 13 हजार 30 रूपये- हर्ष कुमार जोशी , एमके पांडे , उप अभियंता पुरषोत्तम साहू , सुश्री प्राची झा 

(14)  3 करोड़ 36 लाख 20 हजार 185 रूपये- हर्ष कुमार जोशी , एमडी पनारिया , सहायक अभियंता दिलीप राठी , एमके पांडे , सहायक अभियंता वीके अत्रे , उप अभियंता सुश्री शारदा सवाई , उप अभियंता अनिल भारती  

(15) 14 लाख 84 हजार 920 रूपये-हर्ष कुमार जोशी , एमडी पनारिया , एमके पांडे , रामकुमार वर्मा  

(16)  71 लाख 41 हजार 875 रूपये – हर्ष कुमार जोशी ,  एमके पांडे , रामकुमार वर्मा , पुरषोत्तम साहू , अनिल भारती  

(17)  3 करोड़ 80 लाख 64 हजार 660 रूपये -हर्ष कुमार जोशी , एमडी पनारिया ,  एमके पांडे , रामकुमार वर्मा , पुरषोत्तम साहू , अनिल भारती 

(18) 19 करोड़ 56 लाख 77 हजार 782 रूपये- हर्ष कुमार जोशी , एमडी पनारिया , दिलीप राठी , वीके अत्रे , उप अभियंता उमाशंकर पटेल  

(19)  5 करोड़ 36 लाख 45 हजार 671 रूपये –  हर्ष कुमार जोशी , एमडी पनारिया , दिलीप राठी , वीके अत्रे , उमाशंकर पटेल  

(20)  2 करोड़ 84 लाख रूपये – हर्ष कुमार जोशी , सहायक अभियंता बीआर पटेल , उप अभियंता सुश्री गूंजा दीवान  

(21)  15 करोड़ 77 लाख 71 हजार 448 रूपये – हर्ष कुमार जोशी , एमडी पनारिया , बीआर पटेल , दिलीप राठी , गूंजा दीवान , पुरषोत्तम साहू   

(22)  5 करोड़ 31 लाख 15 हजार 46 रूपये-हर्ष कुमार जोशी , एमडी पनारिया , दिलीप राठी , एमके पांडे , वीके अत्रे , अनिल भारती , पुरषोत्तम साहू 

(23) 4 करोड़ 11 लाख 24 हजार 948 रूपये-हर्ष कुमार जोशी , एमडी पनारिया , दिलीप राठी , एमके पांडे , वीके अत्रे , अनिल भारती  

(24)  33 करोड़ 27 लाख 83 हजार 834 रूपये-हर्ष कुमार जोशी , गूंजा दीवान , बीआर पटेल  

(25)  25 करोड़ , 86 लाख 92 हजार 77 रूपये-हर्ष कुमार जोशी , एमडी पनारिया , दिलीप राठी , बीआर पटेल , गूंजा दीवान , पुरषोत्तम साहू  

(26)  26 लाख 47 हजार 797 रूपये-हर्ष कुमार जोशी , एमडी पनारिया , दिलीप राठी , उमाशंकर पटेल  

(27)  8 करोड़ 90 लाख 40 हजार 746 रूपये – एमडी पनारिया , एमके पांडे , बीआर पटेल , प्राची झा , गूंजा दीवान , अनिल भारती  पुरषोत्तम साहू , उमाशंकर पटेल , रामकुमार वर्मा  

(28)  9 करोड़ 92 लाख 80 हजार रूपये – 906 हर्ष कुमार जोशी , एमडी पनारिया , सहायक अभियंता विद्युत् केके कश्यप 

(29)  9 करोड़ 92 लाख 80 हजार 906 रूपये के घपले के लिए जांच रिपोर्ट में किसी भी अधिकारी कर्मचारी का नाम नहीं दर्शाया गया है | 


हैरत करने वाली बात यह है कि सरकारी रकम के लेनदेन और विकास कार्यों में उपयोग की गई धन राशि का ऑडिट आमतौर पर  महालेखाकार छत्तीसगढ़ (एकांउंट जनरल ऑडिट) के माध्यम से होता है | राज्य सरकार के लगभग सभी विभागों का ऑडिट अभी तक महालेखाकार छत्तीसगढ़ ने ही किया है | लेकिन अपने कंधों पर कई विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर ने नए फरमान पर मुहर लगाई है | इसके तहत अब लोकल ऑडिटर से छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड का ऑडिट कराया जायेगा | लोकल ऑडिटर वर्ष 2013 से लेकर 2020 तक के वित्तीय वर्ष का ऑडिट करेगा | लोकल ऑडिट का फैसला हैरानी भरा नजर आ रहा है | कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर ने ऐसा फैसला आखिर क्यों लिया ? इसका उत्तर तो वही बता सकते है | लेकिन पुख्ता जानकारी के मुताबिक इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि वर्ष 2013 से लेकर 2020 तक भ्रष्ट्र अफसरों ने सरकारी तिजोरी में सेंधमारी करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी होगी | इन अफसरों की कार्यप्रणाली की कलई विभागीय जांच रिपोर्ट के अलावा कैग की रिपोर्ट पहले ही खोल चुकी है | सवाल उठ रहा है कि पूर्ववर्ती बीजेपी शासनकाल में हुए घोटालों की जांच को लेकर कांग्रेस सरकार के जिम्मेदार मंत्री मोहम्मद अकबर आखिर क्यों पर्दा डाल रहे है | आखिर किसे बचाने के लिए महालेखाकार के साथ बेरुखी बरती जा रही है|  इस समाचार के साथ CGHB की बोर्ड बैठक में पारित इस फैसले पर भी गौर फरमाए जो मंत्री जी की हरी झंडी के बाद पारित हुआ है | इसमें साफ़ कर दिया गया है कि अब ऑडिट लोकल ऑडिटर करेंगे | 

जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड ने रियायती दरों पर आम जनता को आवास मुहैया कराने में जहां ख्याति अर्जित की है , वही यहां पदस्थ मुट्ठीभर अफसरों ने इस संस्थान और सरकारी तिजोरी में सेंध लगाने के मामले में कई काले कारनामों को अंजाम दिया है | ऐसे अफसर कांग्रेस सरकार के “अब होगा न्याय” जैसे महत्वाकांक्षी मिशन को ठेंगा दिखा रहे है | जनता को उम्मीद है कि विभागीय मंत्री अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कर इस मिशन को मजबूती प्रदान करेंगे | देखे भ्रष्ट्राचार की दास्तान बताने वाली जांच रिपोर्ट , इस रिपोर्ट में नामजद किये गए अफसरों से वसूली जाने वाली रकम का ब्यौरा भी इन दस्तावेजों में दर्ज है |

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