मुंबई / पटना – एक्टर सुशांत सिंह राजपूत केस में उनके परिवार वालों ने शिवसेना नेता संजय राउत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है | सुशांत के भाई नीरज ने संजय राउत पर मानहानि का आरोप लगाते हुए लीगल नोटिस भेजा है | इस पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए राउत ने कहा है कि उन्हें हज़ारों नोटिस रोज आते है | माफ़ी मांगने से इंकार करते हुए उन्होंने कहा कि नीरज बबलू के भेजे नोटिस की जानकारी नहीं है | उनके मुताबिक उन्होंने एक जानकारी के आधार पर बयान दिया था |
उधर सुशांत के परिवार ने कहा है कि असल गुनहगारों को बचाने के लिए शिवसेना और महाराष्ट्र सरकार उनके परिवार पर कीचड़ उछाल रही है | उनके मुताबिक बॉलीवुड का हनी ट्रेप गैंग उनके परिवार पर बदनीयती से हमले कर रहा है | पीड़ित परिवार की ओर से इस बारे में एक बयान जारी किया गया है | इस परिवार का आरोप है कि सुशांत के परिवार, जिसमें चार बहनें और एक बूढ़ा बाप है, को सबक सिखाने की धमकी दी जा रही है | उनके मुताबिक एक-एक करके सबके चरित्र पर कीचड़ उछाला जा रहा है. SSR की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों से उसके परिवार ने कई सवाल पूछे हैं| सुशांत के परिवार ने 9 पेज की चिट्ठी जारी की है | इसमें कहा गया है कि सुशांत के परिवार के होने का मतलब क्या है?
चिट्ठी की शुरुआत शायराना अंदाज में फिराक़ जलालपुरी के शेर- ‘तू इधर-उधर की ना बात कर ये बता कि काफिला क्यूं लुटा, मुझे रहजनों से गिला नहीं तेरी रहबरी का सवाल है,’ से की गई है | इसमें कहा गया है कि ‘अख़बार पर अपना नाम चमकाने की गरज से कई फर्जी दोस्त-भाई-मामा बन अपनी-अपनी हांक रहें हैं| ऐसे में बताना ज़रूरी हो गया है कि आख़िर ‘सुशांत का परिवार’ होने का मतलब क्या है? सुशांत के माता-पिता कमाकर खाने वाले लोग थे| उनके हसंते-खेलते पांच बच्चे थे| उनकी परविरश ठीक हो इसिलए नब्बे के दशक में गांव से शहर आ गए| रोटी कमाने और बच्चों को पढ़ाने में जुट गए | एक आम भारतीय माता-पिता की तरह उन्होंने मुश्किलें खुद झेली |बच्चों को किसी बात की कमी नहीं होने दी | हौसले वाले थे सो कभी उनके सपनों पर पहरा नहीं लगाया |’
चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि ‘कहते थे कि जो कुछ दो हाथ-पैर का आदमी कर सकता है, तुम भी कर सकते हो | पहली बेटी में जादू था | कोई आया और चुपके से उसे परियों के देश ले गया | दूसरी राष्ट्रीय टीम के लिए क्रिकेट खेली | तीसरे ने क़ानून की पढ़ाई की तो चौथे ने फ़ैशन डिज़ाइन में डिप्लोमा किया | पांचवा सुशांत था | ऐसा, जिसके लिए सारी माएं मन्नत मांगती हैं| पूरी उमर, सुशांत के परिवार ने ना कभी किसी से कुछ लिया, ना कभी किसी का अहित किया. मदद करे…’
बड़े मार्मिकता के साथ चिट्ठी में लिखा गया है कि ‘…सवाल सुशांत की निर्मम हत्या का है. सवाल ये भी है कि क्या महंगे वकील क़ानूनी पेचीदिगयों से न्याय की भी हत्या कर देंगे? इससे भी बड़ा सवाल है कि अपने को इलीट समझने वाले, अंग्रेजियत में डूबे, पीड़ितों को हिक़ारत से देखने वाले नक़ली रखवालों पर लोग क्यों भरोसा करें?’
‘सुशांत के पिरवार, जिसमें चार बहनें और एक बूढ़ा बाप है, को सबक़ सिखाने की धमकी दी जा रही है |एक-एक कर सबके चरित्र पर कीचड़ उछाला जा रहा है | सुशांत से उनके संबधों पर सवाल उठाया जा रहा है | तमाशा करने वाले और तमाशा देखने वाले ये ना भूलें कि वे भी यहीं हैं |
अगर यही आलम रहा तो क्या गारंटी है कि कल उनके साथ ऐसा ही नहीं होगा? हम देश को उधर लेकर क्यों जा रहे हैं जहां अपने को जागीरदार समझने वाले अपने गुर्गों से मेहनतकशों को मरवा देते हैं और सुरक्षा के नाम पर तनख़्वाह लेने वाले खुलेआम बेशर्मी से उनके साथ लग लेते हैं?’ जानकारी के मुताबिक SSR के परिवार को मिल रही धमकियों की जानकारी पुलिस से भी साझा की गई है | इस 9 पन्ने की चिट्ठी को बिहार पुलिस को भी भेजा गया है |