नई दिल्ली / रक्षा मामलों पर संसद की स्थायी समिति 15 मई के बाद पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में गलवां घाटी और पैंगोंग झील का दौरा करेगी। इस मामले को लेकर हुई बैठक से राहुल गाँधी का नदारत रहना चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल राहुल गाँधी भारतीय इलाकों में चीनी कब्जे को लेकर लगातार हमलावर रहे है। उन्होंने मोदी, केंद्र और बीजेपी पर हमले के लिए कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी है। ऐसे में इस महत्वपूर्ण बैठक से उनका नदारत रहना विपक्षियों को खल रहा है। उनकी दलील है कि राहुल गाँधी गंभीर नहीं है, ना ही उन्हें विदेश नीति की समझ है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि सरकार ने भारत माता का एक टुकड़ा चीन को दे दिया। कांग्रेस नेता ने सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर हुए समझौते को लेकर भी सवाल उठाए।
हालाँकि इस पर भाजपा ने भी राहुल गांधी के आरोपों पर पलटवार किया था। भारत-चीन सीमा गतिरोध के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर राहुल गांधी द्वारा निशाना साधे जाने के बाद भाजपा ने राहुल पर जमकर पलटवार किया। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस नेता के आरोपों को झूठा करार देते हुए पूछा कि क्या यह सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया का नेतृत्व कर रहे सशस्त्र बलों का अपमान नहीं है।गलवां घाटी और पैंगोंग झील यह वह क्षेत्र है जहां भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक गतिरोध हुआ था। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम की अध्यक्षता में 30 सदस्यीय समिति के सदस्य मई के अंतिम हफ्ते में या जून में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र का दौरा करना चाहते हैं। राहुल गांधी भी इस समिति के सदस्य हैं। वह इस बैठक में उनका शामिल नहीं होने का कारण भी अभी सामने नहीं आया है।
समिति में लोकसभा से 21 और राज्यसभा से 10 सदस्य शामिल हैं। समिति के अध्यक्ष ओराम ने न्यूज़ टुडे से चर्चा करते हुए कहा कि समिति की पूर्व बैठक में कुछ सदस्यों ने LAC जाने का सुझाव दिया था। उनके मुताबिक स्पीकर की अनुमति के बाद सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। ओरांव ने कहा कि हमारी समिति पहले भी भारत-चीन सीमा का दौर कर चुकी है। इसके अलावा हम नाथुला तवांग और भारत-बांग्लादेश सीमा का भी दौरा कर चुके हैं।बताया जाता है कि इन क्षेत्रों का दौरा करने का निर्णय पैनल की पिछली बैठक में लिया गया था। लेकिन इस बैठक में भी राहुल गांधी शामिल नहीं हुए थे। न्यूज़ टुडे से सूत्रों ने कहा कि चूंकि पैनल एलएसी का दौरा करना चाहता है। इसलिए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जाने के लिए समिति को सरकार से मंजूरी लेनी होगी।