बड़ी खबर : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गृह नगर पाटन भी भ्रष्ट्राचार का शिकार , गरीबों के लिए करीब 4  करोड़ की लागत से बने 235 EWS आवास रहने लायक नहीं , मकानों में ना दरवाजे ना खिड़कियां , रोड भी नदारद , बेशर्म अफसरों ने फिर 23 लाख 97 हजार इस वीरान इलाके में सौंदर्यीकरण के नाम पर कराए स्वीकृत , देखे नजारा प्रामाणिक दस्तावेजों के साथ  

0
8

रायपुर / ‘सरकार कब होगा न्याय’ , छत्तीसगढ़ सरकार के ‘अब होगा न्याय’ के नारे को वो गरीब साकार होते देखना चाहते है , जो खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विधान सभा क्षेत्र पाटन में निवासरत है | इन गरीबो के लिए छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड ने तत्कालीन बीजेपी सरकार के कार्यकाल में 235 EWS आवास निर्मित किये थे |

करीब 4 करोड़ की लागत से तैयार इस योजना के तहत गरीबों को यहां छत्रछाया देने की तैयारी जोरशोर से की गई थी | लेकिन इस आवासीय कॉलोनी में बने घरों में ना तो खिड़की दरवाजे है , और ना ही आवाजाही के लिए मार्ग | भ्रष्ट अफसरों की बेशर्मी का नमूना तो देखिये | गिरोह ने बगैर रास्ते वाले मार्ग के सौंदर्यीकरण के लिए लगभग 24 लाख की रकम भी स्वीकृत करा ली |

मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर इस कॉलोनी में हाऊसिंग बोर्ड के अफसरों ने लोगों को बसाने के लिए बड़ी गर्मजोशी दिखाई  |  उन्होंने उन गरीबों के सिर पर छत देने का फैसला किया , जो झुग्गी झोपडी में निवासरत थे | सिर्फ सरकारी दस्तावेजों में इस आवसीय कालोनी में आबादी बसा दी गई | लेकिन हकीकत में यहां वीरानी छाई हुई है | इसकी  असलियत क्या है , इन तस्वीरों में साफ़ देखा जा सकता है | 

जी हां , ये इलाका पाटन विधानसभा क्षेत्र की अटल आवास कॉलोनी है | यहां निर्मित किये गए आवासों में ना तो खिड़की दरवाजे है और ना ही मुलभुत सुविधाएं | हकीकत में ये इलाका भारी आबादी से परिपूर्ण है | छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के दस्तावेज तो यही बताते है | लेकिन स्थल परीक्षण करने के बाद आपको समझ आ जायेगा कि यहां से इंसानी आबादी कोसो दूर है | यहां तो सिर्फ वीरानी छाई हुई है , नजारा बताता है कि किस तरह से जिम्मेदार अफसरों ने गरीबों का हक तक हड़प लिया | 

बताया जाता है कि इस अटल आवास के निर्माण से लेकर आबादी बसाने की जिम्मेदारी अतिरिक्त कमिश्नर एच के जोशी के हाथों में थी | फिर भ्रष्ट अफसरों का कारंवा बढ़ता चला गया | इस योजना की बंदरबांट के लिए अतिरिक्त कमिश्नर एचके वर्मा और एमडी पनारिया ने भी अपने हाथ फैला लिए | आखिरकर यह महती योजना नेस्तनाबूत हो गई | 

अटल आवास कॉलोनी में मूलभूत सुविधाएँ तक नहीं जुटाई गई | मसलन पीने और निस्तार का पानी , आवाजाही के लिए रोड और बिजली के अलावा अन्य सुविधाएँ | नतीजतन गरीबों ने इस कॉलोनी का रुख तक नहीं किया | उन्हें अपनी झुग्गी झोपडी इस इलाके से बेहतर नजर आई | बताया गया कि अटल आवास कॉलोनी में निर्मित किये गए आवासों का जब हितग्रहियों ने जायजा लिया , तो ना तो उन्हें उनके घरों में खिड़की दरवाजे मिले और ना ही अदद टॉयलेट | लिहाजा उन्हें यहां डेरा डालने में अपने हाथ खड़े कर दिए | 

छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के जिम्मेदार अफसरों ने इस अटल आवास कॉलोनी का दोबारा रुख ही नहीं किया | पूर्ववर्ती बीजेपी शासनकाल के दौर में इन आवासों में बसने की राह तक रहे गरीबों की आवाज नक्कार खाने में तूती की आवाज की तरह दबकर रह गई | उन्हें उम्मीद जगी कि  जिन हाथों पर उन्होंने मुहर लगाई है , अब वो मुख्यमंत्री की बागडोर संभाल रहा है | लिहाजा अब होगा न्याय | लेकिन सरकार के गठन के दो साल बाद भी हालात जस के तस है | भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई तो दूर उन्हें सिर आंखों पर बिठा कर रखा गया है | 

सिर्फ हितग्राही ही नहीं बल्कि राज्य की जनता को उस समय हैरत हुई जब बगैर सड़क और आवाजाही के निर्मित हुए इस इलाके में सौंदर्यीकरण के लिए लगभग 24 लाख की रकम भ्रष्ट अफसरों ने स्वीकृत करा ली | हैरानी तो अकबर-बीरबल की कार्यप्रणाली को देखकर भी हो रही है कि दोनों सरकारी रकम की सेंधमारी में बराबर के भागीदार बन रहे है |

इस दस्तावेज पर नजर दौड़ाये तो नजर आएगा कि दीन दयाल आवास कॉलोनी पाटन एवं अटल आवास कॉलोनी पाटन के मुख्य मार्ग के सामने सौंदर्यकरण कार्य के लिए 23 लाख 97 हजार की प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हुई है |

फिलहाल राज्य शासन के जिम्मेदार अफसरों को गरीबों के आवास की ओर ही नहीं बल्कि प्रदेश की जनता को गरीबी का सामना करने के लिए मजबूर करने वाले छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के लेखा जोखा का उच्च स्तरीय परीक्षण कराना होगा | भ्रष्ट अफसरों की चल-अचल संपत्ति जब्त कर उन्हें उनके असल ठिकाने जेल भेजना होगा |