बड़ी खबर : अब सितंबर में भी स्कूल खुलने की उम्मीदे बेहद कम, 70 फीसदी से ज्यादा अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल भेजने से किया इनकार, छात्रों को कोरोना संक्रमण से मुक्त रखने की सौ फीसदी गारंटी मांग रहे अभिभावक, पसोपेश में सरकार

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नई दिल्ली / कोरोना महामारी की वजह से स्कूलो में छात्रों की पढ़ाई ठप है | वे ऑनलाइन सिस्टम के जरिये अपने घरों में ही पढ़ाई कर रहे है | भले ही इससे उन्हें नुकसान सहना पड़ रहा हो , लेकिन अभिभावक अपने बच्चों की जान जोखिम में नहीं डालना चाहते | वे स्कूलों में उनके बच्चों की सुरक्षा की सौ फीसदी गारंटी मांग रहे है | उनके मुताबिक स्कूलों में उनके बच्चों को कोरोना संक्रमित नहीं होना चाहिए | ऐसे में सरकार पसोपेश में है | माना जा रहा है कि गाइड लाइन जारी कर वो राज्यों को स्कूल खोलने के फैसले के लिए अधिकृत कर दे | ताकि स्कूली बच्चों को कोरोना संक्रमित होने की सूरत में ठीकरा सीधे स्थानीय प्रशासन पर फूटे |

दरअसल कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मार्च के तीसरे हफ्ते से ही देश के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूल बंद हैं | हालांकि ज्यादातर स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेज के जरिए पढ़ाई कराई जा रही है | ये व्यवस्था शहरों में बड़े स्कूलों तक ही सीमित है , देश के अधिकतर ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की हर जगह पहुंच न होने की वजह से वहां के स्कूलों में पढ़ाई ठप है | इस वजह से अभिभावकों की चिंता बढ़ी हुई है | अभिभावक स्कूल खोलने और ना खोलने को लेकर अपनी अपनी राय व्यक्त कर रहे है |

हालिया एक सर्वे के मुताबिक मौजूदा स्थिति में ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नजर नहीं आ रहे हैं. लोकल सर्किल्स की ओर से किए गए सर्वे में अभिभावकों से पूछा गया कि 15 सितंबर से स्कूल खुलते हैं तो उनकी क्या राय है. सर्वे में देश के अलग अलग हिस्सों से 25,000 से अधिक लोगों की प्रतिक्रिया ली गई | पहले सवाल में पूछा गया कि अगर 1 सितंबर से 10-12वीं और फिर 15 दिन बाद 6-10 क्लासेज के लिए स्कूल खोलने का फैसला लिया जाता है तो आप इसे कैसे लेंगे. इस पर 70% ने असहमति जताते हुए ‘ना’ में जवाब दिया. सिर्फ 21 % ने “हां’ में जवाब दिया | जबकि 9 प्रतिशत ने कोई स्पष्ट राय व्यक्त नहीं की |

दिल्ली में शिक्षा मंत्रालय की संसदीय समिति की बैठक में राज्य सभा सांसद विनय सहस्रबुद्धे की अध्यक्षता मंं स्थायी समिति ने स्कूल-कॉलेज खोलने और परीक्षाओं को दोबारा आयोजित कराए जाने जैसे मुद्दों पर विचार किया | बैठक में इस बात पर भी चिंता जताई गई कि कोरोना महामारी की वजह से स्कूल बंद होने से बच्चों को मिड डे मील नहीं मिल पा रहा है | शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने समिति को बताया कि अभी स्कूल खोलने की कोई योजना नहीं है | इन अधिकारियों के मुताबिक स्कूल खोलने का फैसला स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाह और सभी राज्यों के फीडबैक के मुताबिक ही लिया जाएगा |

बैठक में यह साफ़ कर दिया गया कि 2020-2021 शून्य शिक्षा वर्ष नहीं होगा | इसके साथ ही बैठक में ये बात भी साफ कर दी गई कि अभी ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया कि स्कूल कॉलेज दोबारा कब और कैसे शुरू किये जाए | फिलहाल अभी ऑनलाइन क्लासेस की जो व्यवस्था जारी है, वो वैसे ही चलती रहेगी | यह भी बताया गया कि ये व्यवस्था चौथी क्लास और उससे ऊपर वाले छात्रों के लिए ही है |

समिति ने शिक्षा मंत्रालय को सुझाव दिया कि स्कूलों में नर्सरी से तीसरी क्लास तक बच्चों को ऑनलाइन न पढ़ाया जाए | समिति ने यें भी सुझाव दिया कि चौथी से सातवीं क्लास तक के बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस में सीमित स्तर पर पढ़ाया जाए | आठवीं क्लास से बारहवीं क्लास के बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज के जरिए पूरी पढ़ाई कराई जाए | समिति के कई सदस्यों ने ऑनलाइन क्लास पर चर्चा के दौरान कहा कि कई बच्चों के पास ऑनलाइन क्लासेज के लिए लैपटॉप और मोबाइल फोन जैसी सुविधाएं नही हैं, ऐसे में गरीब परिवारों को रेडियो-ट्रांजिस्टर देकर कम्युनिटी रेडियो के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने के विकल्प पर विचार किया जाना चाहिए |

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हालांकि शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने संसदीय समिति के सदस्यों को स्पष्ट कर दिया कि अभी कोरोना महामारी के कारण जिस तरह से संक्रमण फैला हुआ है, उसमें अभी स्कूलो को खोलने का फ़ैसला जल्दबाज़ी में नहीं लिया जाएगा. इसके मायने साफ है कि अनलॉक-4 में भी स्कूल खुलने की उम्मीद नहीं के बराबर है | 31 अगस्त के बाद से देश में अनलॉक-4 की शुरुआत हो रही है |

सूत्रों के मुताबिक शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने समिति के सदस्यों को बताया कि ये शैक्षणिक वर्ष कॉलेजों के लिए जीरो एकेडमिक ईयर नहीं होगा | समिति के सदस्यों ने मंत्रालय के अधिकारियों को सुझाव दिया कि कॉलेज के छात्रों को एक क्वश्चन बैंक दिया जाए ताकि उन पर कोई दबाव न पड़े |