बड़ी खबर : रायपुर में हुक्का , ड्रग्स और शराब पिलाने के लिए लाइसेंस की नहीं “साहब” की एनओसी की जरूरत , नशे के कारोबार में पुलिस अधिकारी माला माल , होटलों से लेकर ढाबों तक कायदे-कानूनों की उड़ रही धज्जियाँ , अय्याशी के ठिकाने गुलजार , पुलिस अधिकारी मस्त पीड़ित परिजन पस्त 

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रायपुर / रायपुर में हुक्का , ड्रग्स और शराब पिलाने के लिए “साहब” की एनओसी अनिवार्य बताई जा रही है | आमतौर पर बार में शराब परोसने के लिए आबकारी विभाग लाइसेंस जारी करता है | जबकि हुक्का और अवैध शराब पर प्रतिबंध का दावा पुलिस कर रही है | लेकिन इसकी हकीकत देखकर आम जनता हैरत में है | रायपुर के तेलीबांधा , मंदिरहसौद और माना थानाक्षेत्र में प्रदेश का कोई भी नागरिक और जनप्रतिनिधि स्थानीय पुलिस की कार्यप्रणाली से रात में किसी भी वक्त रूबरू हो सकता है | बताया जाता है कि इन इलाकों में संचालित हो रहे नशे के कारोबार में स्थानीय थाने की महत्वपूर्ण भूमिका है | इसमें लिप्त पुलिस कर्मी से लेकर कारोबारी खुलेआम “साहब” की एनओसी का हवाला देकर वरिष्ठ अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लगा रहे है |

उधर वरिष्ठ अधिकारियों का दावा है कि वे ईमानदारी के साथ अपने कार्यों को अंजाम दे रहे है | हकीकत यह है कि नशे के कारोबार और कायदे-कानूनों की उड़ती धज्जियों की सूचना मिलने के बावजूद वरिष्ठ अधिकारी मामले को एक कान से सुनकर दूसरे कान से बाहर निकाल रहे है | लिहाजा उनकी जिम्मेदार और ईमानदारी प्रदर्शित करने वाली कार्यप्रणाली सुर्ख़ियों में है | एक जानकारी के मुताबिक नशे के कारोबार से स्थानीय थाने की प्रति हफ्ते कमाई लाखों में है | इस आमदनी से लाभांवित होने वाले जिम्मेदार अफसरों को यह ध्यान में रखना होगा कि उनके  “किमकर्तव्यविमूढ़” होने के चलते सैकड़ों नौजवान नशाखोरी के जाल में फंस रहे है | उनके परिवार और परिजन भी उनकी आदतों और आर्थिक समस्याओं को लेकर  दो-चार हो रहे है | 

रायपुर के तेलीबांधा , मंदिरहसौद और माना थानाक्षेत्र के तमाम इलाके नशे के कारोबार से गुलजार हो रहे है | दो राय नहीं कि नशे की फलती-फूलती दुकानों को खाद और पोषण स्थानीय थानों से प्राप्त हो रहा है | जानकारी के मुताबिक खाकी वर्दी वाले कुछ जिम्मेदार अफसर गैर क़ानूनी गतिविधियों पर लगाम लगाने के बजाये कुछ ख़ास नशे के ठिकानों में पार्टनर बन गए है | नतीजतन इन ठिकानों में धड़ल्ले से अवैध शराब , हुक्का और ड्रग्स के कश लेने के लिए ग्राहकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है | होटलों ,रेस्टारेंट और ढाबों में रातभर ये सुविधाएं उपलब्ध है |

छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश , पंजाब , हरियाणा और चंडीगढ़ में अधिकृत रूप से बेचीं जाने वाली तमाम ब्रांड की शराब की खेप नशे के इन ठिकानों में उपलब्ध हो रही है | ग्राहकों के ऑर्डर मिलते ही कुरियर बॉय फौरन डिलीवरी के लिए टेबल के पास खड़ा नजर आता है | दिलचस्प बात ये है कि ग्राहकों को नशीली वस्तुओं और खाने-पीने के भुगतान के लिए डिजिटल भुगतान की व्यवस्था कर दी गई है | मसलन जेब में नगद पैसा ना हो तो भी कोई दिक्कत  नहीं , नशा काफूर होने के बाद घर बैठे कभी भी आप अपने बिलों का भुगतान कर सकते है | कई ठिकानों में ग्राहकों को सप्ताहिक भुगतान की भी सुविधा प्राप्त है | 

जानकारी के मुताबिक मंदिरहसौद इलाके में इक्का दुक्का होटलों को छोड़ ज्यादातर रेस्टारेंट , ढाबों और होटलों में हुक्का पहले की तरह उपलब्ध कराया जा रहा है | जबकि पुलिस का दावा है कि हुक्का बार पर प्रतिबंध जारी है | यही नहीं इन ठिकानों से अवैध शराब भी भरपूर मात्रा में आपूर्ति की जा रही है | यही हाल तेलीबांधा और माना थानाक्षेत्र का है | वीआईपी रोड और नेशनल हाईवे स्थित गली कूचों , नुक्क्ड़ों , ढाबों और होटलों में भी नशे की पूरी व्यवस्था राहगीरों से लेकर आम ग्राहकों के लिए उपलब्ध कराई गई है | माना थानाक्षेत्र का तो और बुरा हाल है | वीआईपी रोड स्थित पुलिस ट्रेनिंग संस्थान के चौराहे पर रातभर नशे का कारोबार संचालित होता है | 

दरअसल इन ठिकानों के इर्द-गिर्द पुलिस की मोबाइल वैन सायरन बजाते हुए भी गुजरती है , लेकिन सिर्फ खानापूर्ति के लिए | नशे के कारोबारियों को स्थानीय थाने के पुलिस कर्मियों की आहट और चहलकदमी की पूर्ण जानकारी होती है | कई बार नूराकुश्ती के नजारे भी दिखाई देते है |  इस इलाके के कारोबारी स्थानीय थानेदार को ही अपना संरक्षक बताते है | गौरतलब है कि पुलिस ट्रेनिंग संस्थान में कार्यरत और प्रशिक्षण  ले रहे जवान जब इस इलाके के नशे के ठिकानों में नजर डालते ही , शर्मसार होते दिखाई देते है |  “दिया तले अँधेरा ” जैसी स्थिति देखकर उन्हें स्थानीय थाने से लेकर आला पुलिस अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर संदेह होता है | 

FILE PIC

बताया जा रहा है कि रायपुर रेंज समेत जिले में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों के नशे के ठिकानों की सुध नहीं लेने के चलते ही यह स्थिति निर्मित हुई है | ऐसा नहीं है कि इस पर रोकथाम नहीं लगाई जा सकती | स्थानीय लोगों के मुताबिक रायपुर में जिस तरह से नशे के अड्डों को पुलिसिया संरक्षण प्राप्त हो रहा है , आने वाले दिनों वह अपराधों ही नहीं बल्कि कई घर परिवारों की शांति भंग करने में मील का पत्थर साबित होगा | लोगों की दलील है कि डीजीपी साहब को क्राइम बैठकों और “स्पंदन” जैसे उत्सव में जोर देने के बजाये राजधानी रायपुर के अय्याशी मार्गों का जायजा लेने में रूचि दिखानी चाहिए | ताकि वे स्थानीय पुलिस की हकीकत से रूबरू हो सके |