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बड़ी खबर : मूडीज ने घटाई भारत की रेटिंग, शुरू हुआ राजनैतिक दांव पेचों का खेल, राहुल ने कहा- अभी तो स्थिति ज्यादा खराब होगी, तो पीएम मोदी बोले -पटरी पर जरूर लौटेगी हमारी अर्थव्यवस्था

दिल्ली वेब डेस्क / देश में कोरोना संक्रमण और लॉक डाउन ने देश की अर्थव्यवस्था पर भी सीधा हमला किया है | देश में लगभग 70 दिनों से जारी लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था की रफ्तार में काफी कमी दर्ज की गई है। इस कारण रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने भारत की क्रेडिट रेटिंग को घटा दिया है। इसके साथ ही देश में राजनैतिक वार प्रतिवार का दौर शुरू हो गया है |

रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने भारत की सावरेन (राष्ट्रीय) क्रेडिट रेटिंग को पिछले दो दशक से भी अधिक समय में पहली बार ‘बीएए2’ से घटाकर ‘बीएए3’ कर दिया है। हालाँकि इसकी आशंका पहले से जाहिर की जा रही थी | एजेंसी ने कहा है कि नीति निर्माताओं के समक्ष आने वाले समय में निम्न आर्थिक वृद्धि, बिगड़ती वित्तीय स्थिति और वित्तीय क्षेत्र के दबाव जोखिम को कम करने की चुनौतियां खड़ी होंगी।

मूडीज का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत की सकल घरेलू उत्पाद में चार फीसदी तक गिरावट आ सकती है। भारत के मामले में पिछले चार दशक से अधिक समय में यह पहला मौका होगा जब पूरे साल के आंकड़ों में जीडीपी में गिरावट आएगी। इसी अनुमान के चलते मूडीज ने भारत की सरकारी साख रेटिंग को ‘बीएए2’ से एक पायदान नीचे कर ‘बीएए3’ कर दिया। इसके मुताबिक भारत के विदेशी मुद्रा और स्थानीय मुद्रा की दीर्घकालिक इश्युअर रेटिंग को बीएए2 से घटाकर बीएए3 पर ला दिया गया है।

‘बीएए3’ सबसे निचली निवेश ग्रेड वाली रेटिंग है। इसके नीचे कबाड़ वाली रेटिंग ही बचती है। एजेंसी ने कहा है कि मूडीज ने भारत की स्थानीय मुद्रा वरिष्ठ बिना गारंटी वाली रेटिंग को भी बीएए2 से घटाकर बीएए3 कर दिया है। इसके साथ ही अल्पकालिक स्थानीय मुद्रा रेटिंग को भी पी-2 से घटाकर पी-3 पर ला दिया गया है। आखिरी बार मूडीज ने 1998 में भारत की रेटिंग को इतना कम किया था |

मूडीज का कहना है कि सुधारों की धीमी गति और नीतियों की प्रभावशीलता में रुकावट ने भारत की क्षमता के मुकाबले उसकी लंबे समय से चली आ रही धीमी वृद्धि में योगदान किया। यह स्थिति कोविड-19 के आने से पहले ही शुरू हो चुकी थी और यह इस महामारी के बाद भी जारी रहने की संभावना है। उधर मूडीज के मूड के बाद देश में राजनैतिक बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है | केंद्र पर पहला हमला सांसद राहुल गाँधी ने किया है |

राहुल ने कहा है कि सरकार गिरती अर्थव्यवस्था को संभालने में पूरी तरह नाकाम रही है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘मूडीज ने मोदी द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था को संभालने को कबाड़ (जंक) वाली रेटिंग से एक कदम ऊपर रखा है। गरीबों और एमएसएमई क्षेत्र को समर्थन की कमी का मतलब है कि अभी और अधिक खराब स्थिति आने वाली है।’

उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए मूडीज के तमाम दांवों को दरकिनार कर दिया है | उन्होंने कहा कि ‘गेटिंग ग्रोथ बैक’ इतना मुश्किल भी नहीं है और सबसे बड़ी बात कि अब आपके पास, भारतीय इंडस्ट्री के पास, एक साफ रास्ता है, आत्मनिर्भर भारत का रास्ता। देश को आत्मनिर्भर भारत बनाने का संकल्प लें। मोदी ने कहा कि अब जरूरत है कि देश में ऐसे उत्पाद बनें जो ‘मेड इन इंडिया’ हों, ‘मेड फॉर वर्ल्ड’ हों। कैसे हम देश का आयात कम से कम करें, इसे लेकर क्या नए लक्ष्य तय किए जा सकते हैं? हमें तमाम सेक्टर्स में उत्पादन बढ़ाने के लिए अपने टार्गेट तय करने ही होंगे। मैं बहुत गर्व से कहूंगा कि सिर्फ तीन महीने के भीतर ही पीपीई की सैकड़ों करोड़ की इंडस्ट्री आपने ही खड़ी की है।

उन्होंने बताया कि आर्थिक हालातों से निपटने के लिए सरकार आज ऐसे पॉलिसी रिफॉर्म भी कर रही है जिनकी देश ने उम्मीद छोड़ दी थी। उन्होंने कहा कि अगर मैं कृषि क्षेत्र की बात करूं तो हमारे यहां आजादी के बाद जो नियम-कायदे बने, उसमें किसानों को बिचौलियों के हाथों में छोड़ दिया गया था।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहा कि कोरोना संकट में लोगों के जीवन का बचाने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था में भी गति लाना है। अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूत करना सबसे जरूरी है। भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर जरूर लौटेगी। इसके लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है।

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