Friday, September 20, 2024
HomeNationalबड़ी खबर : देश में लाइसेंस प्राप्त सेक्स वर्करों को छूट मिली...

बड़ी खबर : देश में लाइसेंस प्राप्त सेक्स वर्करों को छूट मिली तो संक्रमण के नए मामलों में 70 फीसदी से ज्यादा होगी बढ़ोत्तरी, कोरोना संक्रमण की टेस्ट स्टडी, सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में कड़ी चेतावनी

दिल्ली वेब डेस्क / सेक्स वर्कर के प्रति लचीला रुख सरकार पर भारी पड़ सकता है | दरअसल आजीविका और रोजी रोटी का हवाला देकर प्रोफेशनल सेक्स वर्कर काम की इजाजत मांग रहे है | उनकी दलील है कि पिछले 50 दिनों से लॉक डाउन की वजह से उनका धंधा चौपट हो चूका है | वे मेडिकल गाइड लाइन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपना कामकाज करेंगे | उधर एक सर्वे में यह तथ्य सामने आया है कि रेड लाइट एरिया में कमर्शियल सेक्स वर्कर्स को किसी भी तरह की छूट मिलने से भारत में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ सकते हैं | 

एक शोध में दावा किया गया है कि रेड लाइट एरिया में देह व्यापार पर पाबंदियां लगाने से कोरोना के मामले 17 दिन देरी से बढ़ेंगे | यही नहीं अनुमानित नए मामलों में 72 फीसदी की कमी भी आएगी | येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की दलील है कि भारत में सेक्स वर्कर्स के लिए रेड लाइट एरिया बंद करने से कोविड-19 का संभावित डेथ टोल 63 प्रतिशत तक घट सकता है | शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि वैक्सीन न बनने तक रेड लाइट ऐरिया पर सभी पाबंदी होनी चाहिए | वर्ना यह बड़ा नुकसान पहुंचाएगी | नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, भारत में सेक्स वर्कर्स की संख्या तकरीबन 6,37,500 है | जबकि रेड लाइट पर रोजाना करीब 5 लाख लोग सेक्स वर्कर्स के संपर्क में आते हैं | ऐसे में अगर रेड लाइट पर देह व्यापार यूं ही चलता रहा तो इंफेक्शन का खतरा बहुत तेजी से बढ़ेगा |

वैज्ञानिकों ने बताया है कि उन्होंने ये आंकड़े भारत सरकार और कई राज्य सरकारों के साथ साझा भी किए हैं | उनके मुताबिक मौजूदा दौर में रेड लाइट बस्तियों में सेक्स वर्कर्स पर पांबदी के साथ सिर्फ 45 दिन में 72 प्रतिशत मामले घटाए जा सकते हैं | और तो और इस महामारी को चरम पर पहुंचने से 17 दिन पीछे धकेला जा सकता है | इससे संक्रमण का ग्राफ कुछ दिन ही सही स्थिर रहेगा | स्टडी में बताया गया है कि यदि लॉक डाउन के बाद भी सेक्स वर्कर्स के लिए रेड लाइट एरिया को बंद रखा जाता है तो शुरुआत के 60 दिनों में कोरोना वायरस से होने वाली संभावित मौतों में 63 फीसदी तक कमी लाई जा सकती है |

वैज्ञानिकों ने बताया कि उनके शोध को अमल में लेन से सरकार को न सिर्फ कोरोना के खिलाफ नीतियां तैयार करने के लिए पर्याप्त समय मिल पाएगा, बल्कि गिरती अर्थव्यवस्था और जन स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह एक अच्छा कदम होगा | वैज्ञानिकों का कहना है कि सेक्सुअल इंट्रैक्शन के चलते सोशल डिस्टेंसिंग को मैनेज करना नामुमकिन है | इतना ही नहीं, इंफेक्टेड लोग बाद में लाखों लोगों को संक्रमित करेंगे | इसका असर भारत के उन 5 शहरों में और भी ज्यादा होगा जो पहले ही रेड जोन में हैं | यह संक्रमण नए इलाकों में भी फ़ैल सकता है | इसकी संभावना शत प्रतिशत है |

ये भी पढ़े : प्रवासी मजदूर ही नहीं बल्कि सेक्स कर्मियों से भी कई राज्यों को खतरा, मुंबई, दिल्ली और कोलकाता से 60 फीसदी से ज्यादा महिला यौनकर्मी अपने गृह राज्यों में लौटीं, इन्हे रोजगार नहीं मिला तो,,,,,,

स्टडी में यह बताया गया है कि मुंबई, दिल्ली, नागपुर, पुणे और कोलकाता में कोरोना के मामले में और भी तेजी से बढ़ने लगेंगे | यदि इन शहरों में भी रेड लाइटों पर कमर्शियल सेक्स को कंट्रोल किया जाए तो कोरोना के मामले मुंबई में 12 दिन, दिल्ली में 17 दिन, पुणे में 29 दिन, नागपुर में 30 दिन और कोलकाता में 36 दिन पीछे रहेंगे | ऐसा करने से पहले 45 दिनों में कोराना के मामले मुंबई में 21%, दिल्ली में 56%, पुणे में 31%, नागपुर में 56% और कोलकाता में 66% कम हो पाएंगे | फ़िलहाल देखना होगा कि केंद्र और राज्य सरकार कमर्शियल सेक्स वर्कर को लेकर क्या फैसला लेती है ? हालाँकि लॉक डाउन के दौरान मजदूरों को इधर उधर करने का खामियाजा शहरों से लेकर ग्रामीण इलाकों भोगना पड़ रहा है |

bureau
bureau
BUREAU REPORT
RELATED ARTICLES

Most Popular

spot_img