बड़ी खबर : सरकार ने सोशल मीडिया से लेकर OTT प्लेटफॉर्म तक के लिए बनाए सख्त नियम , गाइडलाइन जारी , अगर आप भी हैं सोशल मीडिया पर सक्रिय तो जरूर पढ़ लें ये नियम

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नई दिल्‍ली। केंद्र सरकार ने आज सोशल मीडिया और ओवर-द-टॉप प्‍लेटफॉर्म्‍स के लिए गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर तथा केंद्रीय आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में सोशल मीड़िया में नियमों की घोषणा की। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हम आज सोशल मीडिया पर गाइडलाइंस पर चर्चा करने को लेकर उपस्थित हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमने देखा कि भारत में सोशल मीडिया तेजी से फैला है और भारत में व्यापार के लिए सोशल मीडिया का स्वागत है।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में रेगुलेशंस की घोषणा करते हुए कहा, नई गाइडलाइंस के दायरे में फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्‍स और नेटफ्लिकस, ऐमजॉन प्राइम, हॉटस्‍टार जैसे ओटीटी प्‍लेटफॉर्म्‍स आएंगे। वहीं जावड़ेकर ने पहले कहा था कि इसके संबंध में दिशानिर्देश तैयार किए जा चुके हैं और जल्द ही उन्हें लागू किया जाएगा।

केंद्र सरकार ने दोनों माध्‍यमों के लिए की बड़ी घोषणाएं

सोशल मीडिया के लिए होगी नई पॉलिसी

केंद्रीय आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, “सोशल मीडिया कंपनियों का भारत में कारोबार करने के लिए स्‍वागत है। इसकी हम तारीफ करते हैं। व्‍यापार करें और पैसे कमांए”। उन्‍होंने कहा कि सरकार असहमति के अधिकार का सम्‍मान करती है लेकिन यह बेहद जरूरी है कि यूजर्स को सोशल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर सवाल उठाने के लिए फोरम दिया जाए। प्रसाद ने कहा कि हमारे पास कई शिकायतें आईं कि सोशल मीडिया पर मार्फ्ड तस्‍वीरें शेयर की जा रही हैं। आतंकी गतिविधियों के लिए इनका इस्‍तेमाल हो रहा है। प्रसाद ने कहा कि सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म्‍स के दुरुपयोग का मसला सिविल सोसायटी से लेकर संसद और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।

सोशल मीडिया की 24 घंटे में शिकायत दर्ज होगी और 14 दिन में होगा निपटाना

  • दो तरह की कैटिगरी हैं: सोशल मीडिया इंटरमीडियरी और सिग्निफिकेंड सोशल मीडिया इंटरमीडियरी।
  • सबको ग्रीवांस रीड्रेसल मैकेनिज्‍म बनाना पड़ेगा। 24 घंटे में शिकायत दर्ज होगी और 14 दिन में निपटाना होगा।
  • अगर यूजर्स खासकर महिलाओं के सम्‍मान से खिलवाड़ की शिकायत हुई तो 24 घंटें में कंटेंट हटाना होगा।
  • सिग्निफिकेंड सोशल मीडिया को चीफ कम्‍प्‍लायंस ऑफिसर रखना होगा जो भारत का निवासी होगा।
  • एक नोडल कॉन्‍टैक्‍ट पर्सन रखना होगा जो कानूनी एजेंसियों के चौबीसों घंटे संपर्क में रहेगा।
  • मंथली कम्‍प्‍लायंस रिपोर्ट जारी करनी होगी।
  • सोशल मीडिया पर कोई खुराफात सबसे पहले किसने की, इसके बारे में सोशल मीडिया कंपनी को बताना पड़ेगा।
  • हर सोशल मीडिया कंपनी का भारत में एक पता होना चाहिए।
  • हर सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म के पास यूजर्स वेरिफिकेशन की व्‍यवस्‍था होनी चाहिए।
  • सोशल मीडिया के लिए नियम आज से ही लागू हो जाएंगे। सिग्निफिकेंड सोशल मीडिया इंटरमीडियरी को तीन महीने का वक्‍त मिलेगा।

सभी सोशल मीडिया का स्‍वागत है लेकिन बड़े आदर से कहूंगा कि डबल स्‍टैंडर्ड्स नहीं होने चाहिए। अगर कैपिटल हिल में कांग्रेस पर हमला होता है तो सोशल मीडिया पुलिस कार्यवाही का समर्थन करता है लेकिन लाल किले पर आक्रामक हमला होता है तो आप डबल स्‍टैंडर्ड दिखाते हैं, ये किसी लिहाज से स्‍वीकार्य नहीं है।

रविशंकर प्रसाद ने बताया कि भारत में इस समय देश में इस वक़्त व्हॉट्सऐप यूज़र्स की संख्या 53 करोड़, यूट्यूब यूज़र्स की संख्या- 44.8 करोड़, फ़ेसबुक यूज़र्स की संख्या 41 करोड़, ट्विटर यूज़र्स की संख्या 1.75 करोड़ और इंस्टाग्राम यूज़र्स की संख्या 21 करोड़ हैं। रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘सोशल मीडिया कंपनियों का बिज़नेस के लिए भारत में स्वागत है, इसकी हम तारीफ करते हैं। व्‍यापार करें और पैसे कमांए। सरकार आलोचना का स्वागत करती है पर सोशल मीडिया यूज़र्स को भी एक फ़ोरम मिलना चाहिए ताकि इसके गलत इस्तेमाल की शिकायतों का निपटारा टाइम बाउंड तरीके से करने के लिए ये कंपनियां बाध्य हों।’

रविशंकर प्रसाद, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ‘सरकार ने समझा कि मीडिया प्‍लेटफॉर्म्‍स के लिए एक लेवल-प्‍लेइंग फील्‍ड होना चाहिए इसलिए कुछ नियमों का पालन करना पड़ेगा। लोगों की मांग भी बहुत थी।’

ओटीटी प्‍लेटफॉर्म्‍स के लिए बनी गाइडलाइंस?

  • ओटीटी और डिजिटल न्‍यूज मीडिया को अपने बारे में विस्‍तृत जानकारी देनी होगी। रजिस्‍ट्रेशन अनिवार्य नहीं है।
  • दोनों को ग्रीवांस रीड्रेसल सिस्‍टम लागू करना होगा। अगर गलती पाई गई तो खुद से रेगुलेट करना होगा।
  • ओटीटी प्‍लेटफॉर्म्‍स को सेल्‍फ रेगुलेशन बॉडी बनानी होगी जिसे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज या कोई नामी हस्‍ती हेड करेगी।
  • सेंसर बोर्ड की तरह ओटीटी पर भी उम्र के हिसाब से सर्टिफिकेशन की व्‍यवस्‍था हो। एथिक्‍स कोड टीवी, सिनेमा जैसा ही रहेगा।
  • डिजिटल मीडिया पोर्टल्‍स को अफवाह और झूठ फैलाने का कोई अधिकार नहीं है।

दूसरी तरफ, इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने केंद्र सरकार से ओटीटी प्‍लेटफॉर्म्‍स को रेगुलेट करने से पहले स्‍टेकहोल्‍डर्स से बातचीत करने की अपील की है। पूरी दुनिया में नेटफ्लिक्स, प्राइम और हॉटस्टार (डिज्नी प्लस) सहित कम से कम 40 ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं।

सुप्रीम कोर्ट तक जा चुका है मामला

केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह ओटीटी प्‍लेटफॉर्म्‍स को रेगुलेट करने के क्‍या कदम उठाने पर विचार कर रही है। पिछले साल अक्टूबर में, सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न ओटीटी/स्ट्रीमिंग और डिजिटल मीडिया प्लेटफार्मों पर कंटेंट की निगरानी और प्रबंधन के लिए एक उचित संस्थान की स्थापना के लिए जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था।

संसद में भी गूंज चुका है मुद्दा

बीजेपी के कई सांसदों ने 12 फरवरी को लोकसभा में वेब सीरीज को सेंसरशिप के दायरे में लाने की मांग की थी। बीजेपी सांसदो का कहना था कि मोबाइल पर वेब सीरीज के माध्यम से हिंसा, गालियां परोसी जा रही हैं। धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई जा रही है। इसके लिए सेंसरशिप की व्यवस्था की जाए।