दिल्ली / सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सामाजिक कार्यकर्ता व वकील प्रशांत भूषण को तगड़ा झटका दिया है | उनके अरमानों पर पानी फेरते हुए शीर्ष अदालत ने प्रशांत भूषण की उस विनती को खारिज कर दिया कि जिसमे उन्होंने आग्रह किया था कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही में सजा तय करने संबंधी दलीलों की सुनवाई शीर्ष अदालत की दूसरी पीठ द्वारा की जाए। हालाँकि न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने भूषण को विश्वास दिलाया कि जब तक उन्हें अवमानना मामले में दोषी करार देने के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर निर्णय नहीं आ जाता, सजा संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
अदालत ने भूषण के वकील दुष्यंत दवे से कहा कि वह न्यायालय से अनुचित काम करने को कह रहे हैं कि सजा तय करने संबंधी दलीलों पर सुनवाई कोई दूसरी पीठ करे। शुरुआत में दवे ने मामले में सजा तय करने पर दलीलों की सुनवाई टालने का अनुरोध करते हुए कहा कि वह दोषी करार दिए जाने के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे। शीर्ष अदालत ने न्यायपालिका के खिलाफ भूषण के दो अपमानजनक ट्वीट को लेकर उन्हें 14 अगस्त को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था।
उधर अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने न्यायालय से अनुरोध किया कि अवमानना मामले में प्रशांत भूषण को कोई सजा नहीं सुनाई जाए, कहा कि उन्हें पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है। इस पर न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल से कहा, प्रशांत भूषण के बयान की शैली, सार और विषय वस्तु ने इसे और खराब कर दिया, क्या यह प्रतिरक्षा है या क्रोध।
अदालत ने यह भी कहा कि वह अटॉर्नी जनरल के अनुरोध पर तब तक विचार नहीं कर सकते जब तक प्रशांत भूषण ट्वीट के लिए माफी नहीं मांगने के अपने पहले के रुख पर पुन: विचार नहीं कर लेते। अगर प्रशांत भूषण को गलती का अहसास हो तो अदालत काफी नरमी दिखा सकती है। वहीं, प्रशांत भूषण ने कहा कि वह दो-तीन दिन में अपने वकीलों से परामर्श लेंगे और उच्चतम न्यायालय की सलाह पर विचार करेंगे।