बड़ी खबर : सुप्रीम कोर्ट की ऑनलाइन सुनवाई के दौरान अर्धनग्न शख्स को देखकर जज साहब नाराज , कहा –  ‘अदालत के न्यूनतम शिष्टाचार का पालन जरुरी’ 

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नई दिल्ली।  कोरोना संकट के दौरान देश की निचली अदालतों से लेकर सर्वोच्च अदालतों में ​बीते 8 महीनों से ऑनलाइन सुनवाई जारी है | पक्षकारों और जजों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए यह कदम उठाया गया है | लेकिन इस ऑनलाइन व्यवस्था में कई बार ऐसी शर्मिंदा करने वाली घटनाएं सामने आ रही है , जिसे अदालत भी शर्मसार मान रही है | गंभीर बात ये है कि अदालत की आपत्ति के बावजूद गाहें-बगाहें लोग शिस्टाचार को तोड़ने में आमादा है | एक ऐसे ही ताजा मामले में जज साहब ने अपनी नाराजगी जाहिर की है | दरअसल उच्चतम न्यायालय में एक मामले की सुनवाई के दौरान पक्षकार अर्धनग्न अवस्था में कैमरे के सामने बैठ गया था | सुनवाई के दौरान वीडियो-कान्फ्रेंस लिंक पर यह व्यक्ति  कमीज पहने बिना नजर आया। उसकी हालत देखकर कोर्ट ने नाराजगी जताई है । 

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा, ‘वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए सुनवाई करते हुए सात से आठ महीने हो जाने के बावजूद इस प्रकार की चीजें हो रही हैं।’ सुनवाई के दौरान स्क्रीन पर अर्धनग्न व्यक्ति के नजर आने पर पीठ ने कहा, ‘यह सही नहीं है |’  

सुप्रीम कोर्ट में वीडियो-कान्फ्रेंस के जरिए सुनवाई के दौरान इस प्रकार की अप्रिय घटना पहली बार नहीं हुई है। इसी प्रकार की घटना 26 अक्टूबर को हुई थी, जब न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के सामने एक वकील बिना कमीज पहने दिखाई दिया था। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा था, ‘मुझे किसी पर सख्ती बरतना अच्छा नहीं लगता, लेकिन आप स्क्रीन पर हैं। आपको ध्यान रखना चाहिए.’ एक अन्य मामले में न्यायालय में जून माह में डिजिटल सुनवाई के दौरान एक वकील साहब भी बिस्तर पर लेटे हुए अपनी दलीले पेश करने में पीछे नहीं रहे | वे टी-शर्ट पहनकर पेश हुए थे |

इस पर न्यायाधीश ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि सुनवाई की जन प्रकृति को ध्यान में रखते हुए ‘अदालत के न्यूनतम शिष्टाचार’ का पालन किया जाए। कुछ ऐसी ही स्थिति विभिन्न हाईकोर्ट और जिला अदालतों में भी दिखाई दी थी | इन मामलों पर संज्ञान लेते हुए  सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के दौरान वकीलों को अनुचित तरीके से स्‍क्रीन पर नहीं आना चाहिए उन्‍हें प्रेजेंटेबल  दिखना चाहिए। फिलहाल शीर्ष अदालत में इस तरह के मामलों की पुनरावृति को देखते हुए अदालत की आपत्ति पक्षकारों की जागरूकता के लिए जरुरी है |