दिल्ली वेब डेस्क / देश में कोरोना का संक्रमण अपनी पूरी रफ़्तार पर है | रोजाना नए नए इलाकों से संक्रमित मरीज सामने आ रहे है | गुरुवार शाम 5 बजे तक देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1 लाख 12 हज़ार 359 तक पहुंच गई है | जबकि 45300 मरीज ठीक हुए है | कोरोना से होने वाली मौत 3435 दर्ज की गई है | देश के कई डॉक्टरों को लगने लगा है कि मौजूदा स्थिति में OPD चलाना खतरे से खाली नहीं है | कुछ ऐसा ही हाल पैथोलॉजी लैब का भी है | पैथलैब संचालकों को भी संक्रमण का डर सताने लगा है |
डॉक्टर उन रिपोर्ट्स का हवाला दे रहे है, जिसमे कहा गया था कि मई और जून में भारत में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलेगा | लिहाजा डॉक्टर OPD, क्लिनिक और लैब को 15 जुलाई तक लॉक डाउन करने पर विचार कर रहे है | इसके स्थान पर वो ज़ूम एप और टेलीमेडिसिन के जरिये मरीजों के संम्पर्क में आ कर प्रेक्टिस पर जोर दे रहे है | लॉक डाउन – 4 में कई डॉक्टरों ने अपनी OPD और पैथलैब शुरू की थी | उनकी प्रेक्टिस जोर पकड़ ही रही थी कि कोरोना के संक्रमण का आंकड़ा 1 लाख पार हो गया | डॉक्टरों के मुताबिक अब जिस तेजी से संक्रमण फ़ैल रहा है, वहां उन्हें और उनके मेडिकल स्टाफ को मुसीबत में डाल सकता है |
कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ने के साथ ही देश भर के ऐसे डॉक्टर सकते में आ गए है, जो निजी प्रेक्टिस करते है | किसी का क्लिनिक OPD सेवाएं देता है, तो कोई नर्सिंग होम और सामान्य अस्पतालों में प्रेक्टिस करते है | इन डॉक्टरों को अब कोरोना संक्रमण के चपेट में आने का अंदेशा हो चला है | लिहाजा कई डॉक्टरों ने एक बार फिर OPD से तौबा कर ली है | यही नहीं कई डॉक्टर तो अपने क्लिनिक को ही लॉक डाउन करने पर विचार कर रहे है | इसका मुख्य कारण देशभर में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलना बताया जा रहा है |
खुद डॉक्टर दावा कर रहे है कि सिर्फ शहरी ही नहीं बल्कि ग्रामीण इलाकों से भी अब कोरोना संदेही उनकी OPD में आ रहे है | ऐसी स्थिति में उनके पास OPD बंद करने या फिर क्लिनिक लॉक डाउन करने के अलावा कोई चारा नहीं है | डॉक्टरों ने मेडिकल विशेषज्ञों की उस रिपोर्ट का हवाला भी दिया है, जिसमे कहा गया है कि देश में मई और जून में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा तेजी से बढ़ेगा | इस रिपोर्ट के अनुसार देश में जिस तेजी से संक्रमण की रफ़्तार बढ़ रही है, उससे डॉक्टर डरे हुए है | उन्होंने अब टेलीमेडिसिन सिस्टम अपनाने पर जोर दिया है |
सिर्फ डॉक्टर ही नहीं बल्कि कई पैथालॉजी लैब भी एक बार फिर अपनी लेब्रोटरी बंद करने पर आमादा है | उनका मानना है कि जिस तरह से OPD खतरे से खाली नहीं है, उसी तरह से उनकी लेब्रोटरी भी | पैथलैब संचालकों के मुताबिक उनका पेरामेडिकल स्टाफ इतना दक्ष नहीं है कि हर किसी मरीज को मेडिकल गाइड लाइन के तहत व्यवहार करने के लिए बाध्य कर सके | ऐसी स्थिति में जरा सी चूक से कई लोग संक्रमित हो सकते है |
मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े ज्यादातर लोगों की दलील है कि राज्य सरकार को प्रत्येक जिलों कस्बों और गांव में OPD संचालित करने वाले डॉक्टरों के साथ मिल कर कोई रास्ता निकलना चाहिए | यह सभी पक्षों के हित में है | उधर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने कहा कि कोविड-19 से संक्रमित हर व्यक्ति की जांच के लिए 20 से अधिक ऐसे नमूनों की जांच की गई जो संक्रमित नहीं पाए गए। उसने कहा कि पिछले दो महीने में हर दिन जांच की संख्या में 1,000 गुना वृद्धि हुई है।
आईसीएमआर ने एक बयान में कहा कि दो महीने पहले प्रति दिन 100 से कम कोविड-19 की जांच से शुरुआत करने के बाद शोध संस्थानों, मेडिकल कॉलेजों, जांच प्रयोगशालाओं, मंत्रालयों, एयरलाइनों और डाक सेवाओं के समर्पित दलों के एक साथ मिलकर काम करने से महज 60 दिनों में जांच की संख्या 1000 गुना तक बढ़ गई। शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान संस्था ने कहा कि जनवरी में भारत के पास कोविड-19 की जांच के लिए केवल एक प्रयोगशाला थी। उसने कहा कि आज देशभर में 555 प्रयोगशालाएं हैं |