दिल्ली वेब डेस्क / कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए अभी तक संक्रमित मरीजों के ठीक होने के बाद उनकी एंटीबॉडी सहायक साबित हुई थी | लेकिन अब संक्रमण रोकने के लिए वैज्ञानिकों को एक नया औजार मिल गया है | ये औजार गाय के रूप में मिला है | वैज्ञानिकों ने कई प्रयोग के बाद गाय के शरीर की एंटीबॉडीज को इंसानी एंटीबॉडी की तुलना में कारगर और सक्रीय पाया है | उनके मुताबिक गाय का उपयोग कोरोना वायरस को खत्म करने में किया जा सकता है | ये दावा अमेरिका की एक बायोटेक कंपनी ने किया है | अमेरिकी दवा कंपनी ने इसका उपयोग कई शोध के बाद किया | उसके रिजल्ट भी अच्छे पाए है | बायेटेक कंपनी सैब बायोथेराप्यूटिक्स ने कहा है कि जेनेटिकली मॉडीफाइड गायों के शरीर से एंटीबॉडी निकाल कर उनसे कोरोना वायरस को खत्म करने की दवा बनाई जा सकती है | उसके मुताबिक वो जल्द ही इसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने वाली है |
जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी में संक्रामक बीमारियों के फिजिशियन अमेश अदाल्जा ने भी गाय की एंटीबॉडी को कारगर बताया है | उन्होंने कहा कि यह दावा बेहद सकारात्मक, भरोसा देने वाला और आशाजनक है | उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को हराने के लिए ऐसे विभिन्न हथियारों की जरूरत पड़ेगी | उन्होंने बताया कि आमतौर पर वैज्ञानिक एंटीबॉडीज की जांच पड़ताल प्रयोगशालाओं में कल्चर की गईं कोशिकाओं या फिर तंबाकू के पौधे पर करती हैं | लेकिन बायोथेराप्यूटिक्स 20 साल से गायों के खुरों में एंटीबॉडीज को डेवलप कर रही है |
कंपनी गायों में जेनेटिक बदलाव करती है | ताकि उनके इम्यून सेल्स (प्रतिरोधक कोशिकाएं) और ज्यादा विकसित हो सकें | खतरनाक बीमारियों से लड़ सकें | साथ ही ये गाय ज्यादा मात्रा में एंटीबॉडीज बनाती हैं जिनका उपयोग इंसानों को ठीक करने में किया जा सकता है | पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के इम्यूनोलॉजिस्ट विलियम क्लिमस्त्रा ने भी इसे क्रन्तिकारी रिसर्च बताया है | उन्होंने कहा कि इस कंपनी के गायों की एंटीबॉडीज में कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को खत्म करने की ताकत है | गाय अपने आप में एक बायोरिएक्टर है | वह भयानक से भयानक बीमारियों से टकराने के लिए भारी मात्रा में एंटीबॉडीज बनाती है |
अमेरिका में कई और कंपनियों ने गायों पर रिसर्च कर उसकी एंटीबॉडी और दूध को भी कीटाणुओं और वायरस को खत्म करने के लिए प्राकृतिक दवा के रूप में मान्यता दी है | सैब बायोथेराप्यूटिक्स के सीईओ एडी सुलिवन ने बताया कि गायों के पास अन्य छोटे जीवों की तुलना में ज्यादा खून होता है. इसलिए उनके शरीर में एंटीबॉडीज भी बहुत ज्यादा बनते हैं | जिन्हें बाद में सुधार कर इंसानों में उपयोग किया जा सकता है | मशहूर रिसर्चर और कोरोना पर शोध कर रहे एडी ने बताया कि दुनिया की ज्यादातर कंपनियां कोरोना वायरस से लड़ने के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी विकसित करने में जुटी हैं | उनके मुताबिक गायों के साथ अच्छी बात ये है कि ये पॉलीक्लोनल एंटीबॉडी बनाती हैं | ये किसी भी वायरस को खत्म करने के मामले में किसी भी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी से ज्यादा सक्षम होते हैं |
एडी सुलिवन ने कहा कि जब मिडिल ईस्ट रेस्पोरेटरी सिंड्रोम (MERS) आया था, तभी हमने यह रास्ता चुना था. वहीं से हमें पता चला कि गाय के एंटीबॉडी में बाकी जीवों के एंटीबॉडी की तुलना में ज्यादा ताकत होती है. (फोटोः गेटी) सुलिवन ने कहा कि 7 हफ्ते के अंदर गाय के शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार हो रही हैं | इस दौरान गाय बहुत ज्यादा बीमार भी नहीं हो रही है. जांच करने पर पता चला कि गाय के शरीर में बन रहे एंटीबॉडी ने कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को खत्म कर दिया |
वैज्ञानिकों के मुताबिक गाय के प्लाज्मा को लैब में जांचा गया तो पता चला कि यह इंसानी प्लाज्मा थैरेपी यानी कोवैलेसेंट प्लाज्मा थैरेपी से चार गुना ज्यादा ताकतवर है | यह कोरोना वायरस को इंसान के शरीर की कोशिकाओं में घुसने ही नहीं देता | एडी ने बताया कि कुछ ही हफ्तों में गाय की एंटीबॉडी का इंसानी क्लीनिकल ट्रायल शुरू करेंगे. ताकि यह पता कर सकें कि यह इंसानों में कितना कारगर है | हमें उम्मीद है कि गाय के खून से निकाली गई एंटीबॉडी बाकी अन्य दवाओं और इलाज से बेहतर होगा | यदि यह रिसर्च कामयाब रही तो जल्द ही कोरोना की रवानगी पर मुहर लग सकती है |