बड़ी खबर : कोरोना संक्रमण ने बढ़ाई मानसिक बीमारी का जोखिम , अब OCD का शिकार हो रहे लोग, कई लोगों को होने लगी यह मानसिक बीमारी , जानिए इसके क्या हैं लक्षण 

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रायपुर/इंदौर/नागपुर/दिल्ली – कोरोना संक्रमण का खौफ अभी भी बना हुआ है | जो लोग संक्रमित होकर ठीक हो चुके है , उनके अलावा कई ऐसे लोग है जो संक्रमण का शिकार नहीं हुए , बावजूद इसके वे एक नई बीमारी की चपेट में दिखाई दे रहे है | संक्रमण से ठीक हुए कुछ मरीज अब मानसिक रोगों का इलाज करने वाले डाक्टरों के क्लिनिक में दिखाई दे रहे है | इन क्लिनिक में पहले से ही उन लोगों का जमावड़ा लगा हुआ था , जो संक्रमण का शिकार नहीं बल्कि उसके डर और खौफ के चलते एक नयी समस्या का सामना कर रहे थे | ये समस्या ओसीडी की है | इसका शिकार कई स्वस्थ लोग हो रहे है | डॉक्टर हैरानी जता रहे है कि कोरोना वायरस ने इस नयी समस्या को जन्म दे दिया है | महानगरों से लेकर  आम शहरों तक में ओसीडी के मरीज देखे जा रहे है | सबकी समस्याएं एक समान है | न्यूज़ टुडे से चर्चा करते हुए कई डॉक्टरों ने बताया कि मार्च माह से पूर्व ओसीडी से ग्रसित इक्का-दुक्का मरीज ही रिपोर्ट करते थे | लेकिन बीते तीन माह से ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ गई है | उन्होंने बताया कि ऐसे मरीजों को दवाई के बजाय समझाइश ज्यादा जरुरी है | उनके दिलोदिमाग से कोरोना का खौफ निकालना होगा |   

डॉक्टरों के मुताबिक  OCD याने ऑबसेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर यह एक ऐसी मानसिक परेशानी है जिसमें व्यक्ति डर या चिंता के कारण एक ही चीज को बार-बार दोहराता है। उनके मुताबिक OCD से जूझ रहा व्यक्ति कभी-कभी एक दिन में 60 या इससे ज्यादा बार अपने हाथ धोता है। गंभीर मामलों में दिन में कई बार कपड़े भी बदलता है, हैंडल छूने से पहले बार-बार डिसइंफेक्ट करता है, लोगों से दूरी बनाए रखना जैसी आदतें उसके व्यव्हार में शामिल हो सकती हैं। डॉक्टरों ने बताया कि इस तरह के मरीज बड़ी तादाद में आ रहे है | क्लिनिक में भी वे अपने इस व्यवहार से चर्चा में है | 

उनके मुताबिक OCD से जूझ रहे लोग खुद को बैक्टीरिया, वायरस या गंदगी से बचाने की कोशिश करते हैं। उन्हें कोरोना या अन्य बीमारी से ग्रसित होने का डर दिलोदिमाग में समाया रहता है | ऐसे मरीजों में सफाई के ये उपाय घबराहट या चिंता को कुछ समय के लिए कम कर देते हैं, लेकिन जल्द ही डर फिर बढ़ता है और सबकुछ दोबारा शुरू हो जाता है। डाक्टरों ने बताया कि कोविड 19 से पहले ऐसे व्यवहार को अजीब और असामान्य समझा जाता था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। बड़ी तादाद में ऐसे मरीज आ रहे है | 


उनके मुताबिक कोरोना से बचने के लिए बार-बार हाथ धोने की अपील की जा रही है। महामारी से पहले हम जिसे असामान्य समझ रहे थे, वो अब लगभग सामान्य हो गया है। जर्मन सोसाइटी फॉर ऑबसेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर की एंटोनिया पीटर्स के मुताबिक, इससे OCD से ग्रस्त लोगों में कन्फ्यूजन बढ़ा है।पीटर्स कहती हैं ” OCD से परेशान लोगों के लिए यह समझ से बाहर है कि अचानक लोग मास्क और ग्लव्ज पहनकर घूमने लगे हैं। कुछ सोच रहे हैं कि यह पहले हमारा खास ट्रेडमार्क हुआ करता था। अब इसे सभी अपना रहे हैं।”


पीटर्स के अनुसार, वॉशिंग कम्पल्शन से जूझ रहे लोगों ने पाया है कि महामारी के दौरान उनकी यह मजबूरी और बढ़ी है। ये लोग अब ज्यादा सफाई रख रहे हैं और मुश्किल से बाहर निकलने की हिम्मत कर पा रहे हैं। OCD का इलाज सामान्य हालात में भी एक लंबी प्रक्रिया है, जबकि अभी महामारी चल रही है। पीटर्स कहती हैं “जो मरीज थैरेपी के दौरान खुद पर काम कर रहे थे, उन्हें भी महसूस होने लगा है कि अब सब दोबारा शुरू करना होगा। साथ ही उन्होंने थैरेपी में जो भी कुछ सीखा वो बेकार हो गया।” व्यवहार करने के तरीकों को बनाए रखना मरीजों के लिए काफी मुश्किल है।

मेडिकल सेंटर हेमबर्ग-एपेनडोर्फ की लीना जेलिनेक ने OCD मरीजों पर पड़ रहे कोरोनावायरस और इससे जुड़े डर और पाबंदियों का असर जानने के लिए स्टडी की है। हालांकि यह स्टडी अभी पब्लिश नहीं हुई है। स्टडी में शामिल वैज्ञानिक इस बात में दिलचस्पी रखते थे कि धुलाई की मजबूरी वाले लोग और दूसरी तरह की OCD से जूझ रहे लोगों में फर्क था या नहीं।लीना ने कहा कि इस सर्वे में करीब 400 लोग शामिल हुए थे। इस सर्वे में यह पता लगाया जाना था कि OCD से जूझ रहे लोग कोरोनावायरस महामारी में किस तरह डर रहे थे और इस दौरान उनकी हालत ठीक या खराब हुई थी। उन्होंने कहा “दो तिहाई से ज्यादा लोगों ने कहा कि इस दौरान उनके कंपल्सिव सिम्प्टम बदतर हुए हैं। धुलाई की मजबूरी वाले लोगों की हालत और भी ज्यादा गंभीर थी।”हेमबर्ग स्टडी के पहले आकलन में वैज्ञानिकों ने पाया कि शामिल हुए 7 प्रतिशत से कम लोगों में कंपल्सिव लक्षण कम हुए थे। इसके अलावा एक चिंता का विषय यह भी है कि महामारी के कारण की लोगों में पहली बार OCD विकसित हो सकता है।