बड़ी खबर : कोरोना संक्रमित हो जाये सतर्क , देश में मरीजों को कोरोना वायरस का होने लगा दोबारा संक्रमण , खतरनाक साबित हो रहा है कोरोना का री-अटैक , कई मरीजों की गई जान

0
8

नई दिल्ली / देश में कोरोना संक्रमित ज्यादातर मरीज ठीक होने के बाद घर लौट रहे है | लेकिन इनमे से कुछ ऐसे भी मरीज है , जो ठीक होने के बाद उल्टे पांव वापिस अस्पताल में दाखिल हो रहे है | दरअसल इन्हे ठीक होने के बाद फिर कोरोना संक्रमण हो रहा है | अभी तक यह माना जाता था कि कोरोना का दोबारा संक्रमण नहीं होता | लेकिन यह थ्योरी अब गलत साबित हो रही है | कई ऐसे मरीज सामने आ रहे है जो ठीक होने के कुछ दिनों बाद फिर कोरोना संक्रमित हो गए | इनमे से कुछ की जान भी चली गई |

कोरोना वायरस  से जंग जीतने के बाद मुंबई के चार हेल्थ वर्कर्स को दोबारा कोविड-19 का री-इंफेक्शन  हुआ है | ‘दि लैंसेट’ की मेडिकल जर्नल वेबसाइट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, चारों लोग पिछली बार की तुलना में कोविड-19 के संक्रण से ज्यादा गंभीर स्थिति में हैं | रिपोर्ट के मुताबिक, चारों री-इंफेक्टेड मरीजों में से तीन डॉक्टर्स बीएमसी के नायर हॉस्पिटल से हैं और एक हेल्थकेयर वर्कर हिंदुजा अस्पताल से है. यह स्टडी दो अस्पतालों के साथ इंस्टिट्यूट ऑफ जिनोमिक्स ऐंड इंट्रिग्रेटिव बयॉलजी  और इंटरनैशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजिनियरिंग ऐंड बायोटेक्नॉलजी  दिल्ली ने मिलकर की. यहां आठों जीनोम में 39 म्यूटेशन पाए गए |

कोरोना के दोहरे अटैक से डॉक्टर भी हैरत में है | मुंबई के नायर हॉस्पिटल की विशेषज्ञ डॉ. जयंती शास्त्री ने इन मामलों को लेकर हैरानी जताई है | जबकि आईसीजीईबी की डॉ. सुजाता सुनील ने कहा कि चार हेल्थकेयर वर्कर्स ठीक होकर घर लौटे थे | लेकिन अब वे दूसरी बार संक्रमित हो गए |  उन्होंने बताया कि पहले की तुलना में चारों में ज्यादा गंभीर लक्षण पाए गए | उनकी हालत भी नाजुक है | डॉक्टर बताते है कि फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्कर्स लगातार SARS-CoV-2 के संपर्क में रहते हैं | ऐसे में उन्हें इंफेक्शन होने का खतरा भी ज्यादा रहता है | यही नहीं ठीक होने के बाद जब वे वापस काम पर लौटते है तो उन्हें दोबारा संक्रमण देखा जा रहा है |

डॉ. सुजाता सुनील ने चर्चा करते हुए बताया कि एक RT-PCR पॉजिटिव टेस्ट से री-इंफेक्शन को कन्फर्म नहीं किया जा सकता है. उनके मुताबिक वायरल आइसोलेट्स के पूरे जीनोम सिक्वेंसिंग से ही री-इंफेक्शन का पता लगाया जा सकता है. कोविड-19 का इंफेक्शन पहली बार बिना लक्षण या कम लक्षण वाला होता है | जबकि दूसरी बार स्थिति गंभीर होती है. उनके मुताबिक दोबारा संक्रमित हुए इन हेल्थकेयर वर्कर्स को गंभीर हालत के चलते दूसरी बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था |

उन्होंने बताया कि दूसरी बार संक्रमित हुए चारों हेल्थ वर्कर्स को ‘लोवर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट’ में सांस से जुड़ी तकलीफ नहीं हुई | हालांकि यह शायद उनकी कम उम्र होने की वजह से ऐसा ना हुआ हो | कोरोना के दोहरे अटैक को लेकर शोधकर्ताओं ने बताया कि इस स्टडी को सामने लाने का उद्देश्य ये था कि इस खतरे से जुड़ी जानकारी आम लोगों तक पहुंचाई जा सके | डॉ. सुजाता सुनील ने बताया कि चारों लोगों में इंफेक्शन सिर्फ पिछली बार की तुलना में ही ज्यादा गंभीर था |

कोरोना के री-इंफेक्शन के मामले इस वक्त सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर के कई देशों में देखने को मिल रहे हैं | इस महीने की शुरुआत में हॉन्गकॉन्ग में री-इंफेक्शन के पहले मामले की पुष्टि की गई थी | भारत में अप्रैल से जुलाई के बीच 52 अन्य सैंपल्स के साथ पूरे 8 सीक्वेंसिस का फाइलोजेनेटिक विश्लेषण बताता है कि ये उसी नस्ल का हिस्सा थे जो वुहान स्ट्रेन से काफी मिलती-जुलती थी |

शोधकर्ताओं के मुताबिक टीम ने री-इंफेक्टेड स्टाफ में D614G म्यूटेशन पाया था, जो कि लोगों को आसानी से संक्रमित करने वाले स्पाइक प्रोटीन के लिए जाना जाता है | D614G म्यूटेशन लोगों में घातक इंफेक्शन से जुड़ा होता है. फ़िलहाल कोरोना से जंग जीत चुके लोगों को बेहद सतर्कता बरतना होगा | यही नहीं लोगों को हर हाल में मेडिकल गाइडलाइन का पालन करना अपनी आदतों में शुमार करना होगा |