नई दिल्ली / भारत में बाल-पोषण के मामलों में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है। देश में ऐसे परिवारों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है जो अविकसित और कमजोर बच्चों के पैदा होने से आ रही समस्याओं से जूझ रहे है। इन दिनों देखा जा रहा है कि कई बच्चे शारीरिक रूप से ना केवल कमजोर है बल्कि उनके अंगों का विकास भी बाधित हो रहा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के ताजा आंकड़ें बताते हैं कि देश में बच्चों की ग्रोथ पर असर पड़ रहा है। नई सर्वे रिपोर्ट की मानें तो उम्र की तुलना में कद में गिरावट वाले सबसे ज्यादा बच्चे भारत में हैं। नए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में उन राज्यों में अल्पपोषण के आंकड़ें बढ़ रहे हैं, जहां पहले ये ग्राफ सकारात्मक स्थिति में रहता था।
सर्वे में संपन्न राज्यों में अल्प पोषण के आंकड़ों में बढ़ोत्तरी चौंकाने वाली है। बताया जाता है कि अगले चरण के सर्वे के नतीजों में भी यही हाल रहता है तो 20 साल में पहली बार बाल स्टंटिंग की पहली बढ़ोतरी देखी जाएगी। सर्वे में बताया गया है कि ज्यादातर राज्यों में स्टेंटेड, वैस्टेड और अंडरवेट बच्चों की संख्या बढ़ी है। चौंकाने वाली बात यह है कि केरल, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और हिमाचल प्रदेश जैसे संपन्न राज्यों में अल्पपोषण के आंकड़े बढ़े हैं। पिछले दशक में इन राज्यों में स्टंटिंग के आंकड़ों को कम कर लिया गया था। सर्वे में बताया गया कि सबसे ज्यादा मामले पश्चिम बंगाल, बिहार और त्रिपुरा जैसे राज्यों में हैं।
एनएफएचएस भारत में स्वास्थ्य डाटा संकलित करने का प्रमुख स्रोत है, इसका इस्तेमाल स्वास्थ्य योजनाओं की प्रगति और बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार के आकलन के लिए किया जाता है। इस सर्वे में देश के छह लाख घरों को शामिल किया गया था। हालांकि सरकारी अधिकारी कहते हैं कि स्टंटिंग के मामलों में बढ़ोतरी का मतलब सरकार की स्वास्थ्य या पोषण नीतियों में किसी कमी से नहीं है। लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है ? इस पर अधिकारीयों ने कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है। रिपोर्ट की माने तो सबसे ज्यादा अविकसित बच्चे भारत में हैं।
सर्वे में अल्पपोषण मापने के तीन मुख्य सूचक अपनाये गए। इसमें स्टंटिंग अर्थात उम्र की तुलना में कद में कमी। वैस्टिंग मतलब कद के सापेक्ष कम वजन। जबकि अंडरवेट उम्र के सापेक्ष कम वजन को पैमाना बनाया गया। सर्वे में पाया गया कि भारत के 22 राज्यों में से 18 राज्यों में पांच साल के कम उम्र के एक चौथाई से ज्यादा बच्चे स्टेंटेड हैं। मेघालय में 46.5 फीसदी, बिहार में 42.9 फीसदी, गुजरात में 39 फीसदी, कर्नाटक में 35.5 फीसदी, गोवा में करीब 26 फीसदी और केरल में 23 फीसदी बच्चे उम्र के सापेक्ष कद में छोटे हैं।